-विकास हिंदू ने की आशा शर्मा को दोबारा टिकट देने की मांग
गाजियाबाद। भाजपा में ज्यादातर सभी सांसद, विधायक रिपीट होते आए है। तो फिर गाजियाबाद में महापौर की सीट पर भाजपा इतना विचार क्यों कर रही हैं। जबकि कोरोना काल के दौरान सभी विधायकों ने जनता से अपना मुंह मोड़ लिया और जनता से दूरी बना ली थी। लेकिन कोरोना काल में महापौर आशा शर्मा ने घर बाहर निकल कर लोगों की मदद की। महापौर के कार्यकाल में कोरोना महामारी के बावजूद विकास कार्यो ओर जनहितैषी कार्यो की भरमार रही। नगर निगम को सफाई व्यवस्था निस्तारण में अनेकों उपलब्धियां भी मिली है।
उक्त बातें विकास हिंदू ने कहीं। उन्होंने कहा महापौर ने अपने कार्यकाल में नगर निगम को एक नई पहचान दी है। उन्होंने गाजियाबाद को संवारने में जो अपना योगदान दिया है, वह सराहनीय है। पिछले दो दशक में पहली महापौर को देखा है, जो महिला होने के बाद भी नगर निगम में काम कैसे होता है, वह करके दिखाया है। मेरा भाजपा शीर्ष नेतृत्व से करबद्ध निवेदन है कि इस बार भी महापौर सीट पर आशा शर्मा को टिकट देकर गाजियाबाद की कमान उनके हाथों में सौंपी जाए।
वर्तमान में ज्यादातर मेयर पद के लिए खड़ी होने वाली महिलाओं में से कुछ को तो ना तो निगम के कार्यो का कोई अनुभव है और ना ही संगठन के कार्यो का, बल्कि कुछ तो सिर्फ ग्रहणी ही है। उन्हें बूथ कमेटी तक का ज्ञान भी नही है। ऐसे अज्ञानी के हाथ में अगर निगम की कमान सौंप दी जाए तो शहर का विकास संभव नही है। क्योंकि महापौर का पद एक जिम्मेदारी वाला पद है। वह पद सिर्फ कुर्सी तक ही सीमित नही है, शहर के लोगों के बीच में जाकर उनकी समस्याओं का निस्तारण करना, क्षेत्र का विकास करना, शहर की जनता को विकास योजना का लाभ दिलाने के साथ-साथ साफ-सफाई के कार्यो को कराना है। गाजियाबाद का विकास तभी संभव है, जब फिर से आशा शर्मा को महापौर का टिकट मिलें। अत: ऐसे लोगो को महापौर पद के लिए नाम चलना भी, कार्यकर्ताओ ओर जनता का अपमान करने बराबर होगा।
इनमें सिर्फ मेयर आशा दो बार पार्षद रही है, एक बार मेयर रह चुकी है और भाजपा की पूर्णत: समर्पित कार्यकर्ता बतौर लगभग पिछले 30-35 सालों से अपनी हर जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए कार्य किया है।
आशा शर्मा की पहचान ऊर्जावान नेताओं के रुप होती है। वर्तमान समय में उनसे बेहतर महापौर प्रत्याशी मिलना संभव नहीं है। विकास हिंदू ने कहा हिंदू संगठन आशा शर्मा का समर्थन करता है।