अब भूमि आवंटन नहीं कर सकेंगे नगर निकाय

सरकार ने छीनी विकास प्राधिकरण व निकायों की पावर
राजस्थान में तत्कालीन सरकार के फैसले को पलटा

जयपुर। राजस्थान की गहलोत सरकार ने तत्कालीन भाजपा सरकार के महत्वपूर्ण आदेश को पलट दिया है। इसके तहत अब नगर निकायों को भूमि आवंटन का अधिकार नहीं रहेगा। सभी विकास प्राधिकरण और निकायों से भूमि आवंटन संबंधी पावर छीन ली गई है। इसके लिए पहले सरकार से अनुमति लेनी होगी। राजस्थान सरकार ने नगर निकायों को जोर का झटका दिया है। तत्कालीन भाजपा सरकार ने निकायों को भूमि आवंटन के अधिकार दिए थे। मौजूदा गहलोत सरकार ने इस अधिकार को वापस ले लिया है। सरकार ने सभी विकास प्राधिकरण और निकायों से भूमि आवंटन के अधिकार छीन लिए हैं। राजस्थान सरकार के नगरीय विकास विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। आदेश मे कहा गया है कि विकास प्राधिकरण और निकाय भूमि आवंटन के प्रस्ताव सीधे सरकार को भेंजे। आदेश की अवहेलना करने पर कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने साफ कहा है कि निकाय अपने स्तर पर किसी भी प्रकार के सरकारी और अद्र्धसरकारी, चैरिटेबल ट्रस्ट या अन्य किसी भी संस्थाओं को भूमि का आवंटन नहीं कर सकेंगे। शहरी निकाय को किसी भी प्रकार के भूमि आवंटन के लिए पहले सरकार से अनिवार्य अनुमति लेने होगी। आदेश में कहा गया है कि भूमि आवंटन चाहे पूरी कीमत का हो अथवा रियायती दामों का, सभी प्रकार के मामलों में सरकार से मंजूरी लेना जरूरी होगा। दरअसल राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने इसके पहले 29 अप्रैल 2020 को आदेश जारी कर निकायों, विकास प्राधिकरण और आवासन मंडल को कहा था कि वह भूमि आवंटन की फाइल अपने स्तर पर निर्णय लेने के बाद सिर्फ अनुमोदन हेतु सरकार को भेंजे। जबकि पिछली भाजपा सरकार ने नगरीय निकायों और विकास प्राधिकरण को 5 अक्तूबर 2015 को नई भूमि आवंटन नीति के तहत सरकारी संस्था, अद्र्ध सरकारी संस्था व चैरिटेबल ट्रस्ट को भूमि आवंटन के अधिकार दिए थे। नए आदेश को लेकर राज्य में चर्चाओं का बाजार गरम है।