-जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने टीओडी जोन के जोनल प्लान को लेकर अधिकारियों के साथ की बैठक
गाजियाबाद। दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर के ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवेलपमेंट (टीओडी) जोन का जोनल प्लान लगभग 1 लाख वर्गमीटर क्षेत्रफल का तैयार किया जाएगा। गुरूवार को जीडीए सभागार में जिलाधिकारी एवं जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने टीओडी जोन के जोनल प्लान को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की। जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने बताया कि रैपिड रेल कॉरिडोर के आसपास टीओडी जोन का जोनल प्लान जल्द तैयार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष-2023-24 में लगभग 1 लाख वर्गमीटर क्षेत्रफल को टीओडी जोन के जोनल प्लान में शामिल किया गया हैं। इसके लिए जल्द ही एजेंसी तय की जाएगी। जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह,अपर सचिव सीपी त्रिपाठी,प्रभारी चीफ इंजीनियर मानवेंद्र कुमार सिंह,एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के चीफ आर्किटेक्ट एंड टाउन प्लानर एससी गौड़,टाउन प्लानर राजीव रतन शाह,अरविंद कुमार,एनसीआरटीसी के अधिकारी एवं कंसलटेंट एजेंसी के साथ बैठक की। जीडीए उपाध्यक्ष के समक्ष एजेंसी की ओर से प्रेजेंटेशन किया गया।
बता दें कि पिछले साल शासन ने रैपिड रेल कारिडोर के लिए ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवेलपमेंट(टीओडी)पालिसी-2022 लागू की थी। पालिसी के अनुसार कॉरिडोर के दोनों तरफ 500-500 मीटर और रैपिड रेल स्टेशन के 1.5 किलोमीटर तक के दायरे में मिक्स लैंड करने की योजना बनाई थी।इसके बाद रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम(आरआरटीएस)द्वारा कॉरिडोर के जोनल प्लान की मार्किंग की गई।इसके लिए एनसीआरटीसी ने आपत्ति जताई कि दुहाई मेें रैपिड रेल स्टेशन है, जबकि जोनल प्लान में इसे जीडीए की ओर से इंफ्लूएंस जोन में रखा गया है। टीओडी जोन का जोनल प्लान तैयार करने के लिए एनसीआरटीसी को कार्यदायी संस्था नामित किया गया। एनसीआरटीसी जोनल प्लान तैयार करने के लिए एजेंसी तय करेगी।जो पूरे कॉरिडोर को ध्यान में रखकर जोनल प्लान तैयार करेगी।
गुरूवार को जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने टीओडी जोन के जोनल प्लान को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की। दरअसल, इस प्लान में स्टेशन की 1.50 किलोमीटर की सीमा से पहले मुख्य सड़क, नहर, रेलवे लाइन, नदी, नाला पड़ता है तो प्रभावित क्षेत्र वहीं तक ही मान्य होगा। उसी के हिसाब से प्रभावित क्षेत्र की सीमा तय की गई हैं। टीओडी पालिसी का मकसद गाडिय़ों के कम से कम इस्तेमाल को बढ़ावा देना हैं। इसके तहत लोगों को एक ही परिसर में आवासीय व व्यावसायिक गतिविधियों की सुविधा मिलेगी। एक ही परिसर में आफिस,घर,पार्क,स्कूल, कालेज सहित अन्य सुविधाएं मिलेंगी।वहीं,मास्टर प्लान-2031 का जीडीए बोर्ड बैठक में ड्राफ्ट का प्रस्ताव पास नहीं होने से शहर में वेयरहाउस, लाजिस्टिक पार्क,ट्रांसपोर्टनगर, औद्योगिक पार्क,इंटर स्टेट टर्मिनल आदि छोटे-बड़े प्रोजेक्ट अभी तक परवान नहीं चढ़ सके हैं। इसके लागू होने के बाद ही यह परियोजनाएं आगे बढ़ सकेंगी।
गाजियाबाद का पहली बार जियोग्राफिक इंफोरमेशन सिस्टम (जीआईएस) बेस्ड केंद्रीयकृत मास्टर प्लान-2031 तैयार कराया है। केंद्र सरकार की एजेंसी डीडीएफ कंसलटेंट ने इसके तीन ड्राफ्ट तैयार किए। इसमें गाजियाबाद-डासना, लोनी और मोदीनगर-मुरादनगर का ड्राफ्ट बनाया गया। इसे पूरा कर 2022 तक लागू करने की योजना थीं। लेकिन इसका फाइनल ड्राफ्ट अभी तक तैयार नहीं हो सका। इसी कारण शहर का विकास भी थम गया है। इस मास्टर प्लान में सभी प्रोजेक्ट के लिए अलग से जमीन चिन्हित की गई है। मास्टर प्लान लागू होने के बाद शहर का विकास तेजी से होगा। बता दें कि मास्टर प्लान का ड्राफ्ट अंतिम दौर में तैयार किया जा रहा है। इसमें जीडीए उपाध्यक्ष की तरफ से बनाई गई कमेटी शासन के भेजे सुझावों को शामिल करने में जुटी है। ताकि इसका फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर आगामी बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव पास कराया जा सकें।
बोर्ड बैठक से स्वीकृति मिलने के बाद इसे शासन को भेजा जाएगा। मास्टर प्लान में गाजियाबाद, डासना, मुरादनगर, मोदीनगर और लोनी क्षेत्र में करीब 130 हेक्टेयर जमीन का भू-उपयोग बदलकर उसे विकसित करने की तैयारी है। इस कृषि भू-उपयोग को बदलकर आवासीय, व्यवसायिक और औद्योगिक किया जाएगा। इसमें गाजियाबाद, डासना में 50 हेक्टेयर, मोदीनगर, मुरादनगर में 60 हेक्टेयर, लोनी में 20 हेक्टेयर जमीन का भू-उपयोग बदलकर आवासीय, व्यवसायिक व औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने को शामिल किया गया है। बता दें कि जीडीए का वतज़्मान दायरा 184 गांवों की 3,889 हेक्टेयर जमीन पर फैला हुआ हैं।