शौर्य और पराक्रम का दूसरा नाम थे बिपिन रावत: डॉ. पीएन अरोड़ा

-डॉ. अरोड़ा ने जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी के अतिरिक्त 11 लोगों की मौत पर जताया शोक

गाजियाबाद। तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के कुन्नूर में भारतीय वायुसेना के एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर हादसे से न केवल भारतीय सेना के तीनों अंग बल्कि समूचा देश गहरे सदमे में है। दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर में सवार सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी के अतिरिक्त 11 लोगों की मौत ने हर किसी को स्तब्ध कर दिया है। वायुसेना ने घटना की जांच के आदेश दिये हैं।
वरिष्ठ समाजसेवी एवं यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के प्रबंध निदेशक डॉ पीएन अरोड़ा को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी की अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हेलीकॉप्टर दुर्घटना में आकस्मिक निधन से गहरा आघात पहुंचा है और उन्होंने उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा यह एक अभूतपूर्व त्रासदी है। उनका असामयिक निधन हमारे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने बताया हादसे का शिकार हुए हेलीकॉप्टर को विंग कमांडर पृथ्वी सिंह उड़ा रहे थे। हेलीकॉप्टर सुलुर के आर्मी बेस से निकलने के बाद जनरल रावत को लेकर वेलिंगटन सैन्य ठिकाने की ओर बढ़ रहा था और सुलूर से करीब 94 किलोमीटर दूर हेलीकॉप्टर अचानक हादसे का शिकार हो गया। किसी भी वीवीआईपी दौरे में इसी हेलीकॉप्टर का उपयोग किया जाता है। हादसे के शिकार हुए हेलीकॉप्टर की तुलना चिनूक हेलीकॉप्टर से की जाती थी, जो डबल इंजन हेलीकॉप्टर था।
दरअसल यह दुनिया के सबसे उन्नत परिवहन हेलीकॉप्टरों में से एक है, जिसे ट्रूप तथा आर्म्स ट्रांसपोर्ट, फायर सपोर्ट, काफिले एस्कॉर्ट, पेट्रोल और सर्च-एंड-रेस्क्यू मिशनों में भी तैनात किया जा सकता है। इसका अधिकतम टेकऑफ वजन 13 हजार किलोग्राम है और यह 36 सशस्त्र सैनिकों सहित आंतरिक रूप से 4500 किलोग्राम भार ले जा सकता है। यह हेलीकॉप्टर उष्णकटिबंधीय और समुद्री जलवायु के साथ-साथ रेगिस्तानी परिस्थितियों में भी उड़ान भरने की क्षमता रखता है। इसका केबिन काफी बड़ा है, जिसमें पोर्टसाइड दरवाजा है, जो पीछे की तरफ रैंप सैनिकों और कार्गो के आसानी के प्रवेश और निकास की अनुमति देता है। हेलीकॉप्टर एक विस्तारित स्टारबोर्ड स्लाइडिंग डोर, रैपलिंग और पैराशूट उपकरण, सर्चलाइट, एफएलआईआर सिस्टम जैसे कई आधुनिक प्रणालियों से सुसज्जित है। 2008 के मुम्बई आतंकी हमले के दौरान कमांडो ऑपरेशन में भी इसका इस्तेमाल हुआ था, जब इसी हेलीकॉप्टर के जरिये कोलाबा में एनएसजी कमांडो को आतंकियों के खिलाफ उतारा गया था। 2016 में जम्मू-कश्मीर में सीमा पर पाकिस्तानी लांच पैड को तबाह करने के लिए भी एमआई-17वी5 का इस्तेमाल हुआ था।