गाजियाबाद। दिल्ली की नई आबकारी नीति के जांच मामले में जुटी सीबीआई ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी सीमा के बैंक लॉकर की तलाशी पूरी की। वसुंधरा सेक्टर-4 की पंजाब नेशनल बैंक में मनीष सिसोदिया का बैंक लॉकर है, जिसे सीबीआई की टीम ने घंटो तक खंगाला। जिस कारण बैंक के काम से आए ग्राहकों को परेशान होना पड़ा। सीबीआई के जाने के आधे घंटे बाद ही ग्राहकों को बैंक में जाने की अनुमति मिल पाई। इस दौरान जब गेट नही खोला गया तो उनकी उनकी बैंक कर्मचारियों से भी नोकझोंक हो गई।
मंगलवार सुबह करीब 11:15 बजे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पत्नी सीमा सिसोदिया के साथ मेवाड़ कॉलेज परिसर में स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में पहुंचे। उनके पहुंचने के करीब सात मिनट बाद सीबीआई टीम के अधिकारी भी वहां पहुंच गए। दोपहर एक बजे जांच के बाद मनीष सिसोदिया और सीबीआई की टीम बाहर निकली। सीबीआई जांच पूरी होने के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिस तरह मेरे घर से कुछ नही मिला है, वैसे ही बैंक लॉकर से भी कोई सबूत नही मिले है। खुशी हो रही है कि प्रधानमंत्री ने मेरे घर और बैंक के लॉकर की जांच करवाई। इस दौरान मनीष सिसोदिया और सीबीआइ अधिकारियों के बैंक आने के आधे घंटे बाद वसुंधरा चौकी प्रभारी मौके पर पहुंचे। लोगों की अधिक भीड़ रहने के कारण 20 से अधिक पुलिसकर्मी और तैनात कर दिए गए। पुलिस ने रस्सी बांधकर बैरिकेडिंग की। मनीष सिसोदिया ने कहा कि सीबीआई पर पीएम मोदी का दबाव है कि मुझे दो से तीन दिन में जेल भेज दें।
हालांकि अभी तक सीबीआई को कोई सबूत नही मिले है, जिसके आधार पर वह मुझे जेल भेज सकें। उन्होंने कहा जन्माष्टमी पर्व पर भी मेरे घर पर रेड डाली गई थी। उस दौरान टीम मेरी पत्नी के लॉकर की चाबी लेकर गई थी। लॉकर में मुश्किल से 70-80 हजार रूपए कीमत के बच्चों के पत्नी के जेवरात मिले हैं। एक झूठे मामले में उन्हें आरोपी बनाया गया है, ताकि अरविंद केजरीवाल को आगे बढऩे से रोका जा सके। अरविंद केजरीवाल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर उभरे हैं। तभी से प्रधानमंत्री की नींद उड़ी हुई है।
बता दें कि दिल्ली के डिप्टी सीएम बनने से पूर्व ही मनीष सिसोदिया गाजियाबाद के वसुंधरा इलाके में रहते थे। जांच के दौरान बैंक के गेट बंद रहे। मनीष सिसोदिया उन 15 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें दिल्ली आबकारी नीति के क्रियान्वयन में हुई अनियमितताओं के आरोप में सीबीआई ने एफआईआर में शामिल किया है। दिल्ली की नई आबकारी नीति में गड़बड़ी का आरोप है। आरोप है कि इस नीति के जरिए शराब लाइसेंस धारियों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाया गया है। लाइसेंस देने में अनदेखी हुई है। टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ करने का आरोप है। रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने और कोरोना के बहाने लाइसेंस फीस माफ करने जैसे भी आरोप हैं।