गाजियाबाद सीट : जातिगत समीकरण भी अह्म, दलित-ब्राह्मण, वैश्य और मुस्लिम की ताकत जानिए

गाजियाबाद। गाजियाबाद शहर विधान सभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी जोरों पर देखने को मिल रही है। मतदान का समय नजदीक आने के साथ सभी प्रत्याशियों ने भाग-दौड़ भी तेज कर दी है। भाजपा जहां इस सीट को बचाने की जुगत में है, वहीं विपक्ष का इरादा उलट-फेर करने का है। चुनावी जंग में कौन बाजी मारेगा, यह जानने के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। गाजियाबाद सीट पर जातिगत समीकरण भी काफी महत्व रखता है। दलित-मुस्लिम अथवा दलित-बाह्मण का साथ यदि किसी प्रत्याशी को मिल जाए तो जीत की राह मुश्किल नहीं है। पिछले दो चुनाव की बात करें तो यह सीट कभी बसपा तो कभी भाजपा के पास रही है। इस बीच मतदाताओं का आशीर्वाद किसे मिलेगा, यह देखना दिलचस्पी होगा। गाजियाबाद सीट पर 10 फरवरी को मतदान होना है। चुनाव मैदान में कुल 14 उम्मीदवार हैं।

14 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला
प्रमुख दलों की बात करें तो भाजपा से अतुल गर्ग, बसपा से केके शुक्ला, सपा-रालोद गठबंधन से विशाल वर्मा और कांग्रेस से सुशांत गोयल प्रत्याशी हैं। अतुल गर्ग मौजूदा विधायक होने के साथ-साथ योगी सरकार में राज्यमंत्री भी हैं। 2017 के विधान सभा चुनाव में गर्ग ने बसपा प्रत्याशी को हराया था। भाजपा प्रत्याशी के लिए इस बार जीत की राह आसान नजर नहीं आ रही है। इसके कई कारण हैं। एक तो गाजियाबाद सीट पर भाजपा के खिलाफ कई बागी चुनाव लड़ रहे हैं, दूसरा कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान विधायक एवं राज्य मंत्री गर्ग का जनता के प्रति उपेक्षित रवैया रहा है। वैसे इस सीट पर जातिगत समीकरण के भी खास मायने हैं।

सबसे ज्यादा दलित मतदाता, दूसरे नंबर पर ब्राह्मण
गाजियाबाद सीट पर दलित मतदाता सबसे ज्यादा हैं। इनकी संख्या एक लाख से अधिक है। दूसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाता हैं। ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 50 हजार से अधिक बताई जाती है। इसी प्रकार वैश्य 35 हजार, मुस्लिम 33 हजार, ठाकुर 25 हजार, पंजाबी 12 हजार और यादव मतदाता की संख्या 11 हजार से अधिक हैं। संख्याबल के हिसाब से यदि दलित एवं ब्राह्मण मतदाता किसी भी प्रत्याशी की चुनावी नाव किनारे लगाने की क्षमता रखते हैं। यही हाल दलित-मुस्लिम मतदाताओं के साथ भी है। दलित, ब्राह्मण, वैश्य व मुस्लिम मतदाताओं की ताकत को कोई भी राजनीतिक दल नजरअंदाज नहीं कर सकता है।

2012 में बसपा, 2017 में भाजपा और अब……
गाजियाबाद सीट पर 2012 में बसपा, 2017 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि 2020 में यह सीट किसके हाथ लगेगी। सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। खासकर भाजपा, कांग्रेस, सपा-रालोद, बसपा और आप के प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने को दिन-रात भाग-दौड़ करने में लगे हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा, इसके लिए 10 मार्च तक इंतजार करना होगा। 2012 में बसपा प्रत्याशी सुरेश बंसल ने भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग को 12 हजार मतों से मात दी थी। तीसरे और चौथे स्थान पर क्रमश: कांग्रेस, व सपा प्रत्याशी रहे थे। जबकि 2017 में भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग ने बसपा प्रत्याशी सुरेश बंसल को 71 हजार मतों से पराजित किया था। तीसरे स्थान पर कांग्रेस प्रत्याशी रहे थे।