गाजियाबाद में तैनात रहे 7 इंजीनियरों को बड़ी राहत 4 इंजीनियर हो चुके हैं रिटायर्ड

स्वर्णजयंतीपुरम भूखंड घोटाले में 4 रिटायर समेत 7 इंजीनियर को शासन ने किया बरी

गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) की स्वर्णजयंतीपुरम आवासीय योजना के पुर्नआवंटन भूखंड घोटाले में फंसे 7 इंजीनियरों को कई साल बाद प्रदेश शासन ने बरी कर दिया है। शासन से क्लीन चिट दिए जाने के बाद इनमें से जीडीए में पूर्व में तैनात रहे अधिशासी अभियंता धीरज सिंह, अवर अभियंता मोहम्मद वाकर, अवर अभियंता राजबल सिंह सिसौदिया, अवर अभियंता अवधराज सेवानिृवत्त हो चुके हैं। जबकि अधिशासी अभियंता निरंकार सिंह तोमर, अवर अभियंता मनोज कुमार शर्मा, सुधीर कुमार सिंह अन्य प्राधिकरणोंं में कार्यरत हैं। स्वर्णजयंतीपुरम योजना के भूखंड आवंटन घोटाले में 45 इंजीनियरों के खिलाफ चार्जशीट जारी की गई थी। मुरादाबाद मंडल के तत्कालीन मंडलायुक्त ने इनमें से कुछ इंजीनियरों की जांच पूरी करके शासन को रिपोर्ट भेज दी थी। दरअसल,जीडीए ने वर्ष-1998 से 2003 के बीच स्वर्ण जयंती पुरम आवासीय योजना के तहत 1583 भूखंंडोंं की 10 से ज्यादा योजनाओं को लांंच किया था। आवंटन के बाद निर्धारित राशि जमा नहीं करने या फिर भूखंड सरेंडर कर दिए जाने से इन भूखंडों का आवंटन निरस्त कर दिया था। निरस्त किए 139 भूखंडों को नियमों को ताक पर रखकर फरवरी-2005 से फरवरी-2007 के बीच फिर से इन्हें लोगों को पुन:आवंटित कर दिया गया।जीडीए के पूर्व अधिकारियों ने स्वर्ण जयंतीपुरम में 137 भूखंडों के आवंटन निरस्त कर दिए थे। लेकिन कुछ समय बाद जीडीए के अधिकारियों व कर्मचारियों ने बिल्डर समेत अन्य लोगों से मिली भगत करके निरस्त हुए भूखंडों की पुर्नबहाली कर दिए। इस मामले में जीडीए बोर्ड के सदस्य वरिष्ठ पार्षद राजेंद्र त्यागी ने यह मुद्दा उठाया था। इसकी शासन स्तर से जांच कराने की मांग की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि स्वर्णजयंतीपुरम योजना के तहत जितने भी प्लॉटों को निरस्त किया गया। उन भूखंडों की फाइलों को रुपए लेकर बिल्डरों को उपलब्ध कराया गया। उसके बाद बिल्डरों ने आवंटियों से संपर्क करते थे। इसके अलावा पावर ऑफ  अटॉर्नी अपने नाम करवा लेते थे।
पार्षद राजेंद्र त्यागी ने इस मामले में वर्ष-2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया था कि स्वर्णजयंतीपुरम योजना के भूखंड आवंटन में कई इंजीनियरों ने घोटाला किया है। हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने शासन से जांच कराने को कहा था। इसके बाद मुरादाबाद के तत्कालीन मंडलायुक्त ने इस भूखंड आवंटन घोटाले की जांच की। मंडलायुक्त की जांच में स्वर्णजयंतीपुरम के भूखंड आवंटन घोटाले में जीडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष, जीडीए सचिव, ओएसडी समेत कई अधिकारी दोषी पाए गए। इनमें से तीन को अभी तक गिरफ्तार किया जा चुका है।जबकि जीडीए में पूर्व में तैनात रहे आरोपी कुछ सीनियर अधिकारियों की अभी तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती है। जीडीए के कई कर्मचारियों को बर्खास्त व निलंबित भी किया जा चुका है। जबकि कई के खिलाफ सिहानी गेट थाने में एफआईआर दर्ज हैं।