IAS महेंद्र सिंह तंवर ने स्थानीय निकायों की आय बढ़ाने के लिए दिए मंत्र, सराहे गए सुझाव

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा नगरीय स्थानीय निकायों के लिए गठित समिति की पहली वर्चुअल बैठक आयोजित की गई। प्रमुख सचिव नगर विकास की अध्यक्षता में आहूत बैठक में समिति सदस्य एवं गाजियाबाद नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने महत्वपूर्ण सुझाव रखे। इन सुझावों को सभी ने सराहा। नगरायुक्त तंवर ने स्थानीय निकायों की आय बढ़ाने के मकसद से अधिनियम के अनुसार प्रत्येक 2 साल में हाउस टैक्स बढ़ाने जाने पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों के लिए राजस्व बढ़ाना और जुटाना बेहद जरूरी है।

उप्र शासन ने नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर को हाल ही में अहम जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें नगरीय स्थानीय निकायों के लिए गठित समिति का सदस्य बनाया गया है। इस समिति की पहली वर्चुअल बैठक में नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने अपनी काबिलियत का प्रदर्शन किया। इस बैठक में प्रमुख रूप से स्थानीय निकायों की आय बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया गया। गाजियाबाद नगरायुक्त तंवर ने निकायों की आय बढ़ाने के लिए हाउस टैक्स को अधिनियम के अनुसार प्रत्येक 2 वर्ष में बढ़ाने संबंधी विषय को रखा। इसके तहत संपत्ति कर की दरों को बढ़ाने पर चर्चा की गई। अधिनियम के अनुसार संपत्ति कर 2 साल में बढ़ाने का विषय लिखा हुआ है, जिसे नियमानुसार बढ़ाए जाने पर नगर निकाय को फायदा होगा।

नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने जीआईएस एवं पीटीएमएस सर्वे से आय बढ़ाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने जीआईएस सर्वे को आय बढ़ाने का साधन बताया। उन्होंने अवगत कराया कि गाजियाबाद नगर निगम ने 2 लाख नई संपत्तियों की जानकारी कर उन पर टैक्स लगाया है। इससे निगम की आय में वृद्धि हुई है। इसी प्रकार सर्वे से प्राप्त आंकड़ों से नगर निगम की आय को बढ़ाना आसान है। उन्होंने सुझाव दिया कि जो संपत्ति टैक्स के अभाव में हैं या टैक्स से छुट्टी हुई है, उसका सर्वे कर टैक्स लगाकर टैक्स के जरिए आय बढ़ाई जा सकती है।

नगरायुक्त तंवर ने बताया कि नगर निगम की दुकानों से भी आय बढ़ाई जा सकती है। दुकानों का किराया तथा प्रीमियम शासनादेश में बाजारी दर पर बढ़ाने की व्यवस्था है। इसमें व्यापारियों का सहयोग भी प्राप्त हो सकता है। उन्होंने कहा कि रिक्त भूमि का सही उपयोग कर भी आय बढ़ाई जा सकती है। रिक्त भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त कराकर और उसका शहरहित में उपयोग कर नगरीय स्थानीय निकायों की आय बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा लाइसेंस शुल्क व 39 मद के शुल्क की शत-प्रतिशत वसूली से भी आय को बढ़ाना आसान है।

उन्होंने सुझाव दिया कि विज्ञापन टेंडर तथा पार्किंग टेंडर को सुव्यवस्थित कर भी आय में वृद्धि संभव है। उन्होंने बताया कि गाजियाबाद में पूर्व में विज्ञापन से 80 से 90 लाख की आय निगम की बढ़ती थी, मगर सुव्यवस्थित टेंडर के बाद 15 से 16 प्रतिवर्ष आय बढ़ रही है। इसी प्रकार अन्य या पार्किंग टेंडर से भी तीन से चार करोड़ रुपए आय प्रभावित हुई है। बैठक में गाजियाबाद से मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा भी मौजूद रहे।