नगर निगम के इंजीनियर देवी सिंह सरकार और हाईकोर्ट के बीच बुरे फंसे

नगर विकास विभाग के आदेश के बाद गाजियाबाद नगर निगम से हुए रिलीव अब हाईकोर्ट ने आदेश को किया खारिज

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। गाजियाबाद नगर निगम में सहायक अभियंता के पद पर तैनात देवी सिंह का तबादला इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। देवी सिंह सरकारी सिस्टम और कोर्ट की व्यवस्था के बीच फंस गये हैं। नगर विकास विभाग के आदेश क बाद देवी सिंह को गाजियाबाद नगर निगम से रिलीव कर दिया गया लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसके तहत इंजीनियर का तबादला हुआ था। लेकिन हाईकोर्ट ने इस बात का संज्ञान नहीं लिया कि जब वह रिलीव हो चुके हैं तो फिर वर्तमान में कहां अपनी सेवाएं देंगे।

गाजियाबाद नगर निगम में सहायक अभियंता के पद पर तैनात देवी सिंह का तबादला कई महीने पहले बस्ती नगर पालिका में हुआ था। तबादला आदेश के खिलाफ देवी सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। देवी सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि उनका तबादला स्थानांतरण नीति जून 2022 के मुताबिक तर्कसंगत नहीं है। उनकी पत्नी बीमार हैं और उनका इलाज चल रहा है और उनकी सेवानिवृत्ति में भी दो साल से कम समय बचा है। ऐसे में उनके स्थानांतरण पर रोेक लगाई जाये। हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा था कि देवी सिंह इस मामले में शासन के समक्ष अपना प्रत्यावेदन दें और शासन नीति के मुताबिक तार्किक ढंग से फैसला करे।

15 नवंबर 2022 को नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने पत्र जारी कर कहा है कि हाईकोर्ट के आदेशों के क्रम में देवी सिंह का प्रत्यावेदन स्थानांतरण नीति के तहत जनहित में अस्वीकृत किया जाता है और उनके पूर्व के तबादले के आदेश को बरकरार रखा जाता है। पत्र में कहा गया है कि प्रत्यावेदन उत्तर प्रदेश सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की वार्षिक स्थानान्तरण नीति 2022-23 दिनांक 15.06.2022 के पैरा 4 (6आई) एवं पैरा-15 में निहित व्यवस्थानुसार कार्यहित एवं जनहित में पोषणीय न पाते हुए अस्वीकृत कर एतद्द्वारा निस्तारित किया जाता है।

नगर विकास विभाग से आये इस आदेश के बाद देवी सिंह को गाजियाबाद नगर निगम से कार्यमुक्त (रिलीव) कर दिया गया। इसके खिलाफ देवी सिंह दोबार इलाहाबाद हाईकोर्ट गये और नगर विकास विभाग के आदेश को चुनौती देते हुए फिर से रिट दाखिल की। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नगर विकास विभाग के 15 नवंबर 2022 के देवी सिंह के तबादले से संबंधित आदेश को निरस्त कर दिया।

हाईकोर्ट ने नगर विकास विभाग को आदेश दिया कि वह देवी सिंह के तबादले को लेकर फिर से प्रार्थी का प्रत्यावेदन ले और उस पर तबादला नीति के पैरा-5 (7) के तहत रिटायरमेंट में दो वर्ष से कम अवधि होने पर किये गये प्रावधानों के तहत निर्णय लें। दरअसल तबादला को लेकर एक शासनादेश है जिसके तहत कर्मचारी को रिटायरमेंट के अंतिम दो साल में अपने गृह जनपद या फिर एच्छिक स्थान में से किसी एक जगह तबादला किये जाने का प्रावधान है। लेकिन हाईकोर्ट ने देवी सिंह के रिलीविंग और ज्वाइनिंग को लेकर कोई आदेश नहीं दिया। हाईकोर्ट ने गाजियाबाद नगर निगम को इस मामले में कोई निर्देश नहीं दिया है।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद देवी सिंह गाजियाबाद नगर निगम पहुंचे और वहां फिर से ज्वाइनिंग देने की मांग की। लेकिन नगर निगम ने उनके इस तर्क को नहीं माना और कहा कि गाजियाबाद नगर निगम के पास ना तो शासन से और ना ही हाईकोर्ट से ऐसा कोई निर्देश मिला है। ऐसे में गाजियाबाद में उनकी दोबार ज्वाइनिंग नहीं हो सकती है। देवी सिंह बस्ती नगर पालिका में ज्वाइन करें क्योंकि वह गाजियाबाद नगर निगम से रिलीव हो चुके हैं। ऐसे में अब देवी सिंह फंस चुके हैं। गाजियाबाद से रिलीव हो चुके हैं और बस्ती में ज्वाइनिंग नहीं हुई है। ऐसे में संभव है कि उनकी तनख्वाह मिलने में भी परेशानी हो।