हिंडन नदी का 1 फीट घटा जलस्तर, पानी में डूबने से महिला की मौत

बचाव कार्य में मुस्तैद प्रशासन, नगर निगम, एनडीआरएफ, पुलिस की टीमें
पीड़ितों को नाव से शिविर में पहुंचाने का अभियान जारी

गाजियाबाद। हिंडन नदी का जलस्तर बढ़ने से पिछले पांच दिन से बाढ़ का पानी करहेड़ा समेत कॉलोनियों में घुस जाने के बाद बाढ़ प्रभावित परिवारों को शिविर में पहुंचाने का कार्य जारी है। राहत की बात यह है कि मंगलवार को हिंडन नदी में करीब 1 फीट पानी घट गया। एडीएम वित्त एवं राजस्व एवं नोडल अधिकारी विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि मंगलवार को हिंडन नदी में पानी का जल स्तर करीब 1 फीट तक कम हो गया।

इससे थोड़ी राहत मिल गई है। वहीं, जिला प्रशासन, नगर निगम,एनडीआरएफ और पुलिस के अधिकारी व टीमें राहत एवं बचाव कार्य में लगी हुई है। एडीएम वित्त एवं राजस्व विवेक श्रीवास्तव व एसडीएम सदर विनय कुमार सिंह ने एनडीआरएफ टीम के साथ नाव में सवार होकर बाढ़ पीडि़त परिवारों का नाव से कंपोजिट विद्यालय में राहत शिविर में पहुंचाया।हिंडन नदी से जलकुंभी हटाए जाने के बाद बाढ़ का पानी निकलना शुरू हो गया। इससे बाढ़ का पानी नदी में बहना शुरू हो गया है।

घेर में जा रही महिला की पानी में डूबने से मौत

हिंडन नदी में जलस्तर बढ़ने के बाद करहेड़ा और अटौर नंगला गांव सबसे ज्यादा प्रभावित है। मंगलवार को अटौर नगला गांव में रहने वाले बलराज की पत्नी मोनिका (50) अपने घर से करीब 20-25 मीटर दूरी पर अपने घेर में जा रही थी। घेर में जाते हुए सड़क पर न जाने की वजह से वह पानी भरे गड्ढ़े में गिर गई। जिसकी गड्ढे में भरे पानी में डूबकर मौत हो गई।महिला मोनिका को प्रशासन एवं एनडीआरएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर वहां से निकाला गया। एसडीएम सदर विनय कुमार सिंह ने बताया कि महिला का शव बरामद करने के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।पोस्टमार्टम होने के बाद महिला का शव परिजनों को सौंप दिया गया। सदर तहसीलदार रवि सिंह ने बताया कि महिला की पानी में डूबने से मौत हुई है। दुखद घटना है। इसके परिजनों को आर्थिक सहायता के रूप में 4 लाख रुपए की राशि दी जाएगी। हिंडन नदी में पानी निकलने के बाद पानी की रफ्तार बेहद धीमी है। पानी का स्तर लगातार बढऩे और आगे न निकल पानी की वजह से सिटी फॉरेस्ट के पास बने पुल से जलकुंभी हटाने का काम किया गया था। जलकुंभी की जड़े इतनी मजबूत हो गई हैं ताकि उन्हें हटाने में खासी मुश्किलें आ रही हैं।

एसडीएम सदर विनय कुमार सिंह ने बताया कि पानी नदी में आगे बढऩा शुरू हो गया है। लेकिन रफ्तार कम होने से अभी पानी निकलने में समय लग सकता है। जलकुंभी सबसे बड़ी मुश्किल बनी हुई है जिससे पानी रूक रहा है। कई टीमें जलकुंभी हटाने में जुटी हुई हैं। इनके हटने से पानी और तेजी से बहना शुरू हो जाएगा। प्रभावित क्षेत्रों में टीमें रेस्क्यू में जुटी हुई हैं। लोगों को घरों से निकलने के लिए अपील की जा रही है, लेकिन बडी संख्या में लोग घरों से निकलने के लिए तैयार नहीं हैं। इसकी वजह से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए नाव में लाया गया है। करहेड़ा गांव समेत डूब क्षेत्र में बसी कॉलोनियों मेंं बड़ी संख्या में लोग अभी भी अपने घरों में मौजूद हैं।

जबकि इन कॉलोनियों में तीन से चार फुट तक पानी भरा हुआ है। मगर यह लोग अपने घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं।टीमें लगातार लोगों से अपील कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कह रही हैं।मगर चोरी के डर से लोग अपने घरों को छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं है। लोग ऊपरी मंजिलों पर शरण लिए हुए हैं। जबकि पानी होने के कारण क्षेत्र में बिजली सप्लाई ठप होने से उनके सामने पानी और खाने का संकट खड़ा हो गया है।राहत टीमें लोगों को राहत सामग्री भी पहुंचा रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भारी मुश्किल झेल रहे लोगों पर बीमारियों का खतरा भी मंडराने लगा है। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में लगातार कैंप लगा रही हैं। लावण्या मैरिज होम अटौर, कंपोजिट विद्यालय करहैड़ा में शरण लिए हुए लोगों में से 171 का इलाज किया गया है। विभाग की चार मोबाइल टीमें भी क्षेत्र में तैनात हैं। बीमारियों का सबसे बड़ा खतरा पानी कम होने के बाद उत्पन्न होगा।
सीएमओ डॉ. भवतोष शंखधर ने बताया कि जब तक हालात सामान्य नहीं होंगे टीमें प्रभावित क्षेत्रों में तैनात रहेंगी।लोनी में भी स्वास्थ्य विभाग की टीमें शिविर लगाकर लोगों का इलाज कर रही हैं ताकि संक्रमित बीमारियों के फैलाव को रोका जा सके।

एनडीआरएफ टीम ने किया 400 से अधिक लोगों को रेस्क्यू

एनडीआरएफ की टीमें लगातार करहेड़ा और अटौर गांव के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। अटौर में जहां स्थिति सामान्य बताई जा रही हैं वहीं करहेड़ा में अभी भी हालात सामान्य नहीं है। एनडीआरएफ की एक टीमें प्रभावित क्षेत्र में लोगों को राहत पहुंचाने के काम में जुटी है।पिछले चार दिन में करहेड़ा से एनडीआरएफ 400 से अधिक लोगों, पालतू जानवरों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा चुकी हैं। नावों के जरिए जवान प्रभावित कॉलोनियों में घूम-घूम कर लोगों को बचाने में जुटी है। करहेड़ा गौशाला परिसर के अंदर भी पानी पहुंच गया है। गौशाला के बाहर भी चार फुट पानी जमा है। वहीं, गौशाला के अंदर पानी पहुंच जाने से पंप सेट लगाकर पानी को निकाला जा रहा है। जिन लोगों ने अभी तक अपने घरों से पलायन नही किया उन्हें भोजन के पैकेट एवं आवश्यक खाद्य सामग्री पहुंचाई जा रही है।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ.महेश कुमार ने बताया कि विभाग की एक टीम पशुओं की सुरक्षा के लिए गौशाला में ही मौजूद हैं। उनके चारे से लेकर अन्य सुविधाओं का ख्याल रखा जा रहा है। पम्प सेट लगने के बाद से पानी कम होना शुरू हुआ है। पशुओं पर अभी तक कोई खतरा नहीं है।

सिटी फॉरेस्ट के पुल से हटवाई जाए जलकुंभी

हिंडन नदी का जलस्तर बढऩे के बाद सिटी फॉरेस्ट जाने वाले लोहे के पुल पर जलकुंभी इक_ा है।
जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह ने इन जलकुंभी को हटवाने के लिए सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता को पत्र लिखा है। जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह ने पत्र में लिखा है कि हिंडन नदी के किनारे करहेड़ा गांव के पास सिटी फॉरेस्ट विकसित है। करीब 180 एकड़ में फैले सिटी फॉरेस्ट में अनेक प्रकार की सुविधाएं हैं। यहां रोजाना तीन से चार हजार लोग घूमने फिरने आते हैं। सिटी फॉरेस्ट के मुख्य द्वार से आने-जाने के लिए हिंडन नदी पर एक लोहे का पुल निर्मित है। हिंडन नदी में बाढ़ आने से काफी जलकुंभी पुल के नीचे जमा हो गई है।इसे जीडीए हटवा रहा है। इन्हें हटवाने में सिंचाई विभाग को सहयोग करने के लिए पत्र लिखा है।

यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से लोनी में अलर्ट घोषित

यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने पर जिला प्रशासन ने लोनी क्षेत्र में अलर्ट घोषित कर दिया है। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने एसडीएम लोनी व तहसीलदार को अलीपुर पुस्ते की निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। पिछले दिनों आई बाढ़ के कारण पानी से सुभानपुर गांव के पास अलीपुर पुस्ता टूट गया था। इस कारण लोनी के पांच गांवों समेत ट्रॉनिका सिटी व राम पार्क एक्सटेंशन कालोनी में बाढ़ का पानी भर गया था। बाढ़ का पानी हटने के बाद जिला प्रशासन ने अलीपुर पुस्ते को दुरुस्त कराया था।यमुना नदी का जलस्तर बढऩे की सूचना मिलने पर डीएम ने अलीपुर पुस्ते की निगरानी बढ़ाने के निर्देश देते हुए गांव के लोगों की टोलियां बनाकर पुस्ते की निगरानी करने के लिए कहा है। वहीं,अधिकारियों को रेत के बोरे भरकर तैयार रहने के निर्देश दिए हैं ताकि फिर से पानी आने पर रेत के बोरों को डालकर पानी को आने से रोका जा सकें।