महंगाई पर लगाम कब तक

गाजियाबाद। व्यापारी एकता समिति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता का कहना है कि देश में कोरोना के कहर के बीच पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी आग लग गई है, जिससे आम आदमी का जीना मुहाल हो गया है। मुंबई में 102, भोपाल में 104 के अलावा देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमतें शतक लगा चुकी हैं। देश में पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइस अभी भी 33 रुपए के करीब ही है, लेकिन सरकारें टैक्स लगाकर इसे 100 रुपए के पार पहुंचा देती है। डीजल की बढ़ी हुई कीमत, मालभाड़ा बढ़ाती है और फिर यहीं से महंगाई भी बढऩा शुरू हो जाती है। जून महीने में यह कुल मिलाकर छठवीं बढ़ोतरी है। वहीं, 4 मई के बाद से अब तक कुल 23 दिन तेल के दाम बढ़ाए जा चुके हैं। पेट्रोल की बढ़ती कीमतों में झुलस रहे लोगों के लिए एक और बुरी ख़बर है। खाने के तेल यानी मस्टर्ड ऑयल की क़ीमत भी 200 रुपए प्रति लीटर को पार कर गई है। पिछले 6 माह में मस्टर्ड ऑयल की क़ीमत भी दोगुना हो चुकी है। साफ है कि पेट्रोल के शतक और मस्टर्ड ऑयल के दोहरे शतक ने आम आदमी की कमर तोड़ दी। सरकारी आंकड़ों में इस लॉकडाउन के दौरान कऱीब 3 करोड़ से ज़्यादा लोग बेरोजगार हो गए हैं। लॉकडाउन के बाद शुरू हुए कारोबार धीरे-धीरे रफ्तार पकडने की कोशिश कर रहा है। मतलब व्यपारियों की हालात भी खराब ही है। समाज के लगभग हर तबके की आय पर लॉकडाउन की वजह से ज़बरदस्त चोट हुई है। सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जब तक आम आदमी की जेब में पैसा नहीं बचेगा, देश की अर्थव्यवस्था नहीं चल सकती। कोरोना महामारी के मद्देनजर सरकार से मांग है कि लोगों की जेब में पैसा डालने की दृष्टि से महंगाई पर लगाम लगाना पड़ेगा। कहीं ना कहीं टैक्स में रियायत, पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना आदि अनेक इस तरह के प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।