चीन के चंगुल में पाकिस्तान, अब गिलगिट बाल्टिस्तान करेगा कुर्बान

चीन के चंगुल में बुरी तरह फंस चुके पाकिस्तान को जल्द बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। चीन के कर्ज के मकड़जाल में वह घिरा पड़ा है। इस मकड़जाल से बाहर आने के सभी रास्ते फिलहाल बंद दिखाई दे रहे हैं। इस्लामाबाद के हाथ से निकट भविष्य में गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र जा सकता है। पाक अधिकृत कश्मीर के इस क्षेत्र को बीजिंग को पट्टे पर दिए जाने की आशंका जाहिर की गई है। ऐसा होने पर यह क्षेत्र युद्ध का मैदान भी बन सकता है। चूंकि अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि चीन अपनी विस्तारवादी नीति में सफल हो सके। भारत के लिए भी अच्छे संकेत नहीं हैं। पाकिस्तान की माली हालत बद से बदतर हो चली है।

बढ़ती महंगाई ने आमजन का जीना मुहाल कर दिया है। दैनिक जरूरत की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। नागरिकों की आय के साधन सीमित हो गए हैं। ऐसे में जीवन यापन करना बेहद कष्टदायी हो चुका है। वैसे अपनी इस दुदर्शा के लिए इस्लामाबाद खुद जिम्मेदार है। आतंकवाद को पालने-पोसने और चीन का पिछलग्गू बनने के चक्कर में वह बर्बादी की कगार पर पहुंच चुका है। बगैर कर्ज लिए पाकिस्तान का गुजारा नहीं हो पा रहा है। खबर है कि पाकिस्तान ने चीन से 2.3 मिलियन डॉलर का ऋण लिया है। पिछले कर्ज को वह अभी चुका नहीं पाया है। अलबत्ता कर्ज के मकड़जाल में घिरकर वह अपनी बर्बादी की राह को खुद तैयार कर रहा है।

नई खबर हैरान और परेशान करने वाली है। खबर है कि चीन से बढ़ते कर्ज का भुगतान करने के लिए पाकिस्तान जल्द पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को चीन को पट्टे पर दे सकता है। काराकोरम नेशनल मूवमेंट के अध्यक्ष मुमताज नगरी ने यह आशंका जाहिर कर खलबली मचा दी है। मुमताज नगरी ने कहा है कि पहले से अलग-थलग और बदहाल गिलगित-बाल्टिस्तान भविष्य में ग्लोबल पॉवर्स के लिए युद्ध का मैदान भी बन सकता है। यदि गिलगिट-बाल्टिस्तान को पट्टे पर चीन को सौंपा जाता है तो यह अमेरिका को भी परेशान करेगा। साथ भारत की चिंता भी बढ़ा देगा।

गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र पर पाक ने लंबे समय से अवैध कब्जा कर रखा है। वहां पाक सेना अक्सर नागरिकों का उत्पीड़न करती रहती है। जिसके विरोध में आवाजें भी उठती रहती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को चीन के हवाले करता है तो बीजिंग के लिए यह अच्छा सौदा होगा। ऐसा कर इस्लामाबाद को अच्छी-खासी रकम मिल सकती है, जिससे मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने में आसानी होगी। वर्तमान स्थिति यह है कि गिलगित-बाल्टिस्तान की आबादी निरंतर कम हो रही है। सैन्य उत्पीड़न और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में लोग लगातार पलायन करने को विवश हैं।

नागरिक सुविधाओं की बदहाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गिलगित-बाल्टिस्तान में औसतन दो घंटे बिजली मिल पाती है, क्योंकि यह पाक के राष्ट्रीय ग्रिड का हिस्सा नहीं है। इसके अलावा गिलगित-बाल्टिस्तान का जल विद्युत या अन्य संसाधनों पर कोई नियंत्रण नहीं है। उधर, विशेषज्ञों का मानना है कि एशिया में चीन के विस्तार को रोकने के लिए अमेरिका प्रभावी कदम उठा रहा है। ऐसे में वह यह कभी बर्दाश्त नहीं करेगा कि किसी नए क्षेत्र पर बीजिंग का कब्जा हो जाए। अमेरिका खुद चीन पर नजर रखने को ब्लूचिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे क्षेत्रों पर नजर रख रहा है।

पाकिस्तान में पिछले दिनों सत्ता परिवर्तन देखने को मिला था। विपक्ष की घेराबंदी के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। वर्तमान में पीएम की जिम्मेदारी शहबाज शरीफ पर है। वह पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई है। यानी सत्ता पर एक बार फिर शरीफ परिवार का नियंत्रण है। पाकिस्तान की राजनीति में नवाज शरीफ परिवार की अच्छी पकड़ है, मगर कुछ साल पहले आम चुनाव में हार मिलने के बाद पूर्व पीएम शरीफ को देश छोड़ना पड़ गया था।

हालाकि सत्ता परिवर्तन के बाद भी पाक की हालात में कोई बड़ा सुधार देखने को नहीं मिला है। आम आदमी की जिंदगी आज भी काफी कष्टदायी दिखाई दे रही है। उधर, पाक अधिकृत गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र पर चीन का नियंत्रण होने की सूरत में भारत के लिए भी बड़ा खतरा पैदा होने की संभावना है। भारत शुरू से इस क्षेत्र पर अपना दावा करता रहा है। चीन और भारत के बीच पहले से सीमा विवाद चल रहा है। ऐसे में दोनों देशों के मध्य नए विवाद को जन्म मिलना भी तय है।