देश के लिए घातक कट्टरपंथी सोच

टेलर मास्टर कन्हैयालाल की नृशंस हत्या से देशभर में आक्रोश की लहर है। जिस क्रूर तरीके से कन्हैयालाल को मौत के घाट उतारा गया, सभ्य एवं पढ़े-लिखे समाज में वह कतई स्वीकार्य नहीं है। हत्यारों में कानून का कोई खौफ नहीं था। तभी तो उन्होंने जघन्य वारदात को अंजाम देने के बाद वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो में वह अपनी हैवानियत को कबूल कर ठहाके लगाते दिखाई देते हैं। इस घटना को सिर्फ एक मर्डर का मामला नहीं कहा जा सकता है। हत्यारों की घृणित सोच ने देश की बहुसंख्यक आबादी को भीतर तक गुस्से से भर दिया है। गनीमत है कि इतना सबकुछ होने के बावजूद बहुसंख्यकों के सब्र का बांध नहीं टूटा है।

अन्यथा देशभर में शांति एवं कानून व्यवस्था को बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है। राजस्थान के उदयपुर के मालदास स्ट्रीट पर गत 28 जून को दर्जी कन्हैयालाल की गर्दन काटकर हत्या कर दी गई थी। भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट की वजह से कन्हैयालाल को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। रियाज और गौस नामक व्यक्तियों ने इस दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया था। दोनों हत्यारोपी फिलहाल पुलिस गिरफ्त में हैं। कांग्रेस शासित राज्य में इस घटना को लेकर पूरे देश में उबाल है। अजीब विडम्बना है कि कांग्रेस जब देश चला रही थी, तब सीमा पर पाकिस्तान के फौजी बेखौफ होकर भारतीय जवानों के सिर कलम कर दिया करते थे।

राजस्थान में आज कांग्रेस के राज में बेकसूर नागरिक की गला रेतकर हत्या कर दी गई है। इस पूरे घटनाक्रम के पीछे पैगम्बर मोहम्मद विवाद को असली जड़ माना जा रहा है, मगर यह कतई स्वीकार्य नहीं है कि भारत जैसे शांतिप्रिय देश में तालिबानी तरीके से बहुसंख्यक समुदाय में दहशत पैदा करने की कोशिश की जाए। फिलहाल यह मामला एनआईए के अधीन पहुंच चुका है। शुरुआती जांच और हत्यारों से पूछताछ में उदयपुर की घटना के पीछे पाकिस्तान का कनेक्शन भी सामने आया है। यानी रियाज और गौस के असली आका पाकिस्तान में बैठे हैं। जिनके हुक्म पर आरोपियों ने मानवता को शर्मसार करने वाला कदम उठाया है।

जांच एजेंसियों को पता चला है कि गौस मोहम्मद ने आठ साल पहले पाकिस्तान का दौरा किया था। वह दावत-ए-इस्लामी नामक संगठन के कराची दफ्तर में भी गया था। वहां वह अक्सर फोन भी करता रहता था। दावत-ए-इस्लामी एक सुन्नी इस्लामिक संगठन है। इसका गठन पाकिस्तान में 1981 में मोहम्मद इलियास अत्तार कादरी ने किया था। यह संगठन अपनी पहचान एक गैर राजनीतिक संस्था के तौर पर जाहिर करता है। संस्था के मुताबिक वह दुनियाभर में मुसलमानों के धार्मिक ग्रंथ कुरान और पैगंबर मोहम्मद की बातों का प्रचार करती है। कन्हैयालाल हत्याकांड में स्थानीय पुलिस की लापरवाही को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

चूंकि वारदात से पहले कन्हैया को जान से मारने की खुली धमकी दी गई थी। इसके बावजूद पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। बताया जाता है कि पुलिस ने औपचारिकता के तौर पर दोनों पक्षों को थाने में बुलाकर बातचीत कर शांति बनाए रखने के निर्देश दे दिए थे, मगर विकृत मानसिकता रखने वाले रियाज और गौस पर पुलिस के निर्देश का कोई असर नहीं पड़ा था। उदयपुर की घटना पर दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी चुप्पी तोड़ी है। शाही इमाम ने वीडियो जारी कर इस हत्याकांड की घोर निंदा की है। वीडियो में शाही इमाम कहते हैं, उदयपुर में क्रूर हत्या ने मानवता को झकझोर दिया है…यह न सिर्फ कायरता का कार्य है, बल्कि गैर-इस्लामिक, अवैध और अमानवीय भी है। सभी भारतीय मुसलमानों की ओर से मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं।