निगम की जांच में श्मशान घाट की शिकायत मिली फर्जी

– दुहाई श्मशान घाट में मिट्टी डालने का मामला, भाजपा पार्षद ने की थी जांच, मेयर के आदेश पर हुई जांच

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। फर्जी शिकायतों से नगर निगम अधिकारी इन दिनों खासे परेशान हैं। मामूली शिकायतों को भी बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा है और जब जांच होती है तो इन शिकायतों की हवा निकल जाती है। ताजा मामला दुहाई श्मशान घाट में मिट्टी डाले जाने से संबंधित शिकायत का है। मेयर के आदेश कर कराई गई इस जांच में मामला फर्जी निकला है। लगातार होने वाले इन शिकायतों और उसकी जांच प्रक्रिया से नगर निगम का काम काज भी प्रभावित हो रहा है। उधर, इन शिकायतों के कारण ठेकेदार भी अब काम करने से कतराने लगे हैं। ठेकेदार को यह डर सताने लगा कि इन शिकायतों के कारण वह कहीं किसी विवाद में ना फंस जाये।ज्ञात हो कि नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर- 46 स्थित श्मसान घाट में मिट्टी भराव एवं जीर्णोद्धार से संबंधित एक टेंडर नगर निगम द्वारा जारी किया गया। टेंडर की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है और ई-टेंडर के जरिये ठेकेदार टेंडर डालते हैं। टेंडर खुलने से पहले ही किसी ने श्मशान घाट के एक हिस्से में कुछ मिट्टी डलवा दिया। भाजपा पार्षद हिमाशुं मित्तल ने इस मामले की शिकायत मेयर और नगरायुक्त करते हुए टेंडर प्रक्रिया में धांधली किये जाने का आरोप लगाया। भाजपा पार्षद का आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया में झोल है यही वजह है कि टेंडर खुलने से पहले ही वहां मिट्टी डलवा दिया गया। बकौल भाजपा पार्षद ठेकेदार को यह पता रहा होगा कि उसके नाम ही टेंडर आएगा इसलिए उसने ऐसा किया होगा। भाजपा पार्षद की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मेयर आशा शर्मा ने इसमें जांच कराने के निर्देेश दिये। 19 फरवरी को जांच टीम ने मौके का निरीक्षण किया और जांच रिपोर्ट तैयार की। जांच में यह बात सामने आई कि श्मशान घाट के छोटे द्वार के सामने मिट्टी डाली गई थी। इसका निगम से कोई लेना देना नहीं है। जांच में यह बात भी सामने आई कि मिट्टी पशुपतीनाथ महादेव मंदिर समित द्वारा डाली गई। श्मशान घाट में नगर निगम का कोई चौकीदार या कर्मचारी नहीं होता है। ऐसे में यह रिकार्ड रखना भी संभव नहीं है कि किसने और कब मिट्टी डाली। कई बार यह भी देखने में आया कि धार्मिक स्थलों पर स्वयं भी किसी व्यक्ति द्वारा या किसी संस्था द्वारा कुछ कार्य करा दिये जाते हैं। ऐसे में श्मशान घाट में मिट्टी डालने के मामला का नगर निगम की ई-टेंडर प्रकिया से कोई लेना-देना नहीं है। ई-टेंडर शासन द्वारा निर्धारित एनआईसी की वेबसाइट के जरिये होता है। ऐसे में कोई इसमें कोई गड़बड़ी नहीं कर सकता। ई-टेंडर प्रक्रिया होने के कारण कंप्टीशन अधिक है। इस कारण टेंडर प्राप्त करने के लिए ठेकेदार द्वारा बिलो रेट पर टेंडर डाले जाते हैं। बहरहाल दुहाई श्मशान घाट मामले में शिकायत होने और आरोप लगने के कारण ठेकेदार भी अब काम करने से इंकार कर रहा है।