गाजियाबाद के डासना जेल में बंदियों की जांच में मिले 7 नए एड्स के रोगी

गाजियाबाद। डासना स्थित जिला कारागार में बंदियों की एक सफ्ताह तक चली जांच में एड्स के 7 नए रोगी मिले हैं। इनमें से एक महिला बंदी भी शामिल है। मामले में जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है। नए मरीजों को जेल अस्पताल में रखा गया है। सीएमओ डॉ. भवतोष शंखधर का कहना है कि चिन्हित किए गए बंदियों का उपचार शुरू हो गया है। बंदियों को दवाई के नियमित सेवर और रिहा होने पर सरकारी चिकित्सालय से उपचार जारी रखने के लिए प्रेरित किया गया है। उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसायटी के निर्देश पर आठ से 14 दिसंबर तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से डासना स्थित जिला कारागार में स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया गया। सात दिवसीय स्क्रीनिंग कैंप के दौरान कुल 4308 जेल बंदियों में से 4050 की स्क्रीनिंग हुई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ)डॉ. भवतोष शंखधर ने बताया कि स्क्रीनिंग जांच के दौरान जिला कारागार में एसटीडी (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज),एचआईवी (ह्युमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस) टीबी (क्षय रोग)तथा हेपेटाइटिस की जांच की गई। जांच के दौरान सात जेल बंदी एचआईवी(एड्स)पॉजिटिव मिले,इनमें एक महिला बंदी भी शामिल है। सबसे अधिक हेपेटाइटिस-सी के 49 और हेपेटाइटिस -सी के 18 रोगी मिले। एक जेल बंदी एसटीडी पीडि़त भी मिला। सभी का उपचार शुरू कर दिया गया है।

जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. अमित विक्रम ने बताया कि जिला कारागार में लगाए गए सात दिवसीय जांच शिविर में स्वास्थ्य विभाग की ओर से काउंसलर बिहारी ठाकुर,राहुल वर्मा, रेणु यादव, सुमन चौधरी के अलावा लैब टेक्नीशियन जयकेश यादव, नवाब, ललित चौधरी,अवनीश की ड्यूटी लगाई गई थी। इस दौरान जेल बंदियों की जांच के साथ ही जरूरत के हिसाब से काउंसलिंग और उपचार भी प्रदान किया गया। एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस और एसटीडी से बचाव के बारे में जेल बंदियों को जागरूक किया गया। उन्हें बताया कि एचआईवी रोगी को छूने, साथ उठने-बैठने और खाने-पीने से यह रोग नहीं फैलता। इस रोग का संचार शरीर से निकलने वाले दृव्य या रक्त के संपर्क में आने, असुरक्षित यौन संबंधों से,संक्रमित द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सुई (निडिल) या ब्लेड आदि से हो सकता है।

जेल बंदियों को बताया गया कि दो हफ्ते या उससे अधिक समय तक खांसी,खांसी के साथ बलगम में खून आना, रात में पसीना आना,भूख न लगना और वजन कम होना आदि टीबी के लक्षण हैं। इस तरह के लक्षण नजर आने पर तुरंत जांच करानी चाहिए।एसटीडी-एक यौन संचारित संक्रमण है, यह बैक्टीरिया ट्रेपोनिमा पैलिडम के कारण होता है। शुरुआत में संक्रमण वाले स्थान पर दर्द रहित घाव होता है। दूसरे चरण में दाने, बुखार, थकान, सिरदर्द, भूख में कमी की शिकायत होती है। सेरोलॉजिकल परीक्षण के जरिए इस रोग की जांच की जाती है। हेपेटाइटिस में लिवर में सूजन आ जाती है और रोगी को पीलिया हो जाता है। इसके लक्षणों में पेशाब का रंग बदलना, बहुत अधिक थकान, उल्टी या जी मिचलाना, पेट में दर्द और सूजन, खुजली, भूख न लगना और अचानक वजन कम होना आदि शामिल हैं।