मेवाड़ में ‘मौजूदा दौर में महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की प्रासंगिकता विषय पर विचार संगोष्ठी आयोजित

-गांधी के ग्राम स्वराज से ही होगा देश का विकास: प्रो. अरुण कुमार

गाजियाबाद। सुविख्यात अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार ने कहा कि कालेधन की अर्थव्यवस्था से देश के हालात अच्छे नहीं हैं। इससे विकास कम तो हो ही रहा है निवेश पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। तमाम नीतियां फेल हो रही हैं। इन सभी समस्याओं का हल आज गांधी की ग्राम स्वराज की विचारधारा में है, जिसे अपनाने की बहुत जरूरत है। प्रभाष परम्परा न्यास और मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की ओर से आयोजित विचार संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता प्रो. अरुण कुमार ने ये विचार व्यक्त किये। वह ‘मौजूदा दौर में महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की प्रासंगिकताÓ विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज देश में डिजिटल तकनीक आ जाने से काम तो बढ़ा है लेकिन बेरोजगारी भी बढ़ी है। मैन पॉवर कम हो गई है, ऑनलाइन का चलन शुरू हो गया है। विशेष तौर पर आज युवा और महिलाओं को काम कम मिल पा रहा है। कारण, संगठित क्षेत्र में तकनीक का तेजी के साथ बढऩा।

जबकि देश में असंगठित क्षेत्र में काम बढऩा चाहिए। जब तक असंठित क्षेत्र मजबूत नहीं होता तब तक हम बेरोजगारी से पार नहीं पा सकते। आज संगठित क्षेत्र में 80 प्रतिशत निवेश हो रहा है जबकि असंगठित क्षेत्र में 20 प्रतिशत ही निवेश हो रहा है। इसका उल्टा होना वाहिए। इसके लिए हमें गांवों की ओर लौटना होगा। कुटीर और मध्यम दर्जे के उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। महात्मा गांधी ने भी गांवों के विकास की बात कही है। जिसे आज अपनाना बहुत जरूरी है। बाजार और तकनीक हमें शॉर्ट टर्म की ओर ले जा रहा है। हमें लांग टर्म चलना चाहिए। आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस और सोशल मीडिया हमें शॉर्ट टर्म की ओर ले जा रहा है। हम शॉर्ट टर्म वाले हो गये हैं। इस कारण हमारा विकास बाधित हो रहा है। इससे प्रजातंत्र पर विपरीत असर पड़ रहा है। हमारे अर्थशास्त्र पर असर पड़ रहा है। हमें क्रिटिकल नॉलेज और क्रिटिकल थिं्रकिंग की जरूरत है। हमें सभ्य बनना है तो गांधी जी के बताये रास्ते पर चलना ही होगा।

मेवाड़ गु्रप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने कहा कि आज हमारी अर्थव्यवस्था का नियंत्रण हमारी सरकार और जनता के हाथ में नहीं है। इसे विदेशी संस्थाएं नियंत्रित कर रही हैं। हम विदेशी ऋण में दबे हुए हैं। हमारी आर्थिक स्वतंत्रता समाप्त हो चुकी है। आयात पर नियंत्रण नहीं है। हमें इंडस्ट्रीज बढ़ानी होंगी, रोजगार बढ़ाना होगा। शिक्षा का सिस्टम हमें अपने हिसाब से बनाना होगा। हम अपनी जरूरतें स्वयं तय करें फिर नई नीतियां बनाएं। तभी विकास संभव है और विकास की राहें गांधी जी के ग्राम स्वराज से ही होकर निकलेंगीं। विचार संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री राम बहादुर राय, नीलम गुप्ता समेत मेवाड़ परिवार के सदस्य और विद्यार्थी उपस्थित रहे। मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। संचालन भार वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र ने संभाला।