बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा से गुस्सा

गाजियाबाद। देश के आम बजट में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा से विद्युत कर्मचारियों में गुस्सा है। इसके अलावा इनकम टैक्स में कोई राहत न मिलने से निराशा है। विद्युत विभाग के कर्मचारी नेताओं ने भी आम बजट पर प्रतिक्रिया दी है। ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे और उप्रराविप अभियंता संघ के अध्यक्ष वी.पी. सिंह व महासचिव प्रभात सिंह ने आम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर कहा है कि बजट में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा से बिजली कर्मियों में गुस्सा है। इनकम टैक्स में कोई राहत न मिलने से भारी निराशा है। उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों की मोनोपोली समाप्त करने के नाम पर एक क्षेत्र में एक से अधिक बिजली वितरण कंपनियों के आने का साफ मतलब है कि वर्तमान में सरकारी बिजली कंपनियों के अतिरिक्त निजी कंपनियों को बिजली आपूर्ति का कार्य दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके बाद निजी बिजली कंपनियां सरकारी वितरण कंपनियों के नेटवर्क का बिना नेटवर्क में कोई निवेश किए प्रयोग करेंगी। यही नहीं निजी कंपनियां सिर्फ मुनाफे वाले औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बिजली देंगी और घाटे वाले ग्रामीण और घरेलू उपभोक्ताओं को सरकारी कंपनी घाटा उठाकर बिजली देने को विवश होगी। इससे पहले से आर्थिक संकट से कराह रही सरकारी बिजली कंपनियों की माली हालत और खराब हो जाएगी। परिणामस्वरूप किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं पर घाटे का बोझ आएगा और अंतत: इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी। बजट में सार्वजानिक क्षेत्र के संपूर्ण निजीकरण की घोषणा की निंदा कर उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह निजीकरण और कारपोरेट घरानों का बजट है। उन्होंने कहा कि पहले से महंगाई भत्ते के फ्रीज का दंश झेल रहे कर्मचारियों को इनकम टैक्स में कोई राहत न देना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निराशाजनक है।