नवनियुक्त म्युनिसिपल कमिश्नर विक्रमादित्य मलिक से बड़ी उम्मीद : गाजियाबाद की कूड़े की समस्या के निस्तारण को लेकर प्रमुख सचिव अमृत अभिजात के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये हुई मैराथन बैठक

पूर्व नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना, पूर्व मेयर आशा शर्मा और पूर्व म्युनिसिपल कमिश्नर सीपी सिंह के समय में हापुड़ जनपद के पिलखुवा क्षेत्र स्थित गालंद गांव में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया था। करीब 45 एकड़ जमीन पर नीदरलैंड की कंपनी जीसी इंटरनेशनल कंपनी को वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट लगाना था। जीडीए द्वारा जमीन उपलब्ध कराई गई और नगर निगम ने प्लानिंग की। कई स्तर पर बड़ी-बड़ी बातें हुई। पांच वर्ष से अधिक समय बीत गया। नगर विकास मंत्री और मेयर बदल गये। चार म्युनिसिपल कमिश्नर बदल गये। लेकिन अभी भी परियोजना की स्थिति जस की तस है।

विजय मिश्रा (उदय भूमि ब्यूरो)
गाजियाबाद। मेयर बदले, नगर विकास मंत्री बदले और बदल गए कई म्युनिसिपल कमिश्नर लेकिन नहीं सुधरी गाजियाबाद के कूड़े की समस्या। गाजियाबाद में कूड़ा निस्तारण कितनी बड़ी समस्या है, इसका अंदाजा पिछले दिनों कूड़े को लेकर पूर्व म्युनिसिपल कमिश्नर डॉ. नितिन गौड़ और मेयर सुनीता दयाल के बीच छिड़ी जंग से लगाया जा सकता है। कूड़ा विवाद का असर इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में गाजियाबाद की रैंकिंग पर भी दिखाई दे सकता है। लेकिन इन सभी बातों के बीच एक बार फिर से उम्मीद की किरण जगी है। नव नियुक्त म्युनिसिपल कमिश्नर विक्रमादित्य सिंह मलिक ने विश्वास जगाया है कि गाजियाबाद की कूड़े की समस्या का निस्तारण होगा। म्युनिसिपल कमिश्नर ने दो दिन पूर्व चार्ज संभालने के बाद पत्रकार वार्ता में कहा था कि जो समस्या विकट है मैं उसको दूर करने के लिए पूरा प्रयास करूंगा। गाजियाबाद के कूड़े का साइंटिफिक तरीके से निस्तारण हो और समस्या का स्थायी समाधान हो यह प्राथमिकता रहेगी। म्युनिसिपल कमिश्नर ने अपनी इस बात पर अमल करना भी शुरू कर दिया है। स्वास्थ विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में कूड़ा निस्तारण की वास्तविक स्थिति, समस्या और समस्या को दूर करने के उपाय को लेकर जानकारी ली और समस्या के निराकरण में जुट गये हैं। अधर में लटके गालंद में प्रस्तावित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को लेकर वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात और म्युनिसिपल कमिश्नर विक्रमादित्य सिंह मलिक के बीच महत्वपूर्ण बैठक हुई। प्रमुख सचिव को नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने अब तक नगर निगम एवं तत्कालीन नगर आयुक्त द्वारा किए गए पत्राचार से लेकर किसानों के विरोध समेत इसमें आने वाली अड़चन की वास्तुस्थिति से अवगत कराया। म्युनिसिपल कमिश्नर ने प्रमुख सचिव को बताया कि हापुड़ डीएम व एसपी को पत्र भेजे गए हैं लेकिन फोर्स उपलब्ध नहीं होने के कारण काम नहीं हो पा रहा है। नगर निगम द्वारा बाउंड्रीवाल बनाने के काम को किसानों ने रूकवा दिया। इस पर प्रमुख सचिव ने किसी अन्य स्थान पर भी जमीन तलाशने की संभावनाएं ढूढ़ने को कहा। प्रमुख सचिव के निर्देश के बाद नवागत म्युनिसिपल कमिश्नर अब जमीन से लेकर प्लांट निर्माण तक की सभी बारिक पहलुओं को लेकर प्लानिंग कर रहे हैं।

विदित हो कि पूर्व नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना, पूर्व मेयर आशा शर्मा और पूर्व म्युनिसिपल कमिश्नर सीपी सिंह के समय में हापुड़ जनपद के पिलखुवा क्षेत्र स्थित गालंद गांव में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया था। करीब 45 एकड़ जमीन पर नीदरलैंड की कंपनी जीसी इंटरनेशनल कंपनी को वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट लगाना था। जीडीए द्वारा जमीन उपलब्ध कराई गई और नगर निगम ने प्लानिंग की। कई स्तर पर बड़ी-बड़ी बातें हुई। पांच वर्ष से अधिक समय बीत गया। नगर विकास मंत्री और मेयर बदल गये। चार म्युनिसिपल कमिश्नर बदल गये। लेकिन अभी भी परियोजना की स्थिति जस की तस है। म्युनिसिपल कमिश्नर विक्रमादित्य सिंह मलिक का कहना है कि समस्या कैसी भी हो प्रयास करने से हल जरूर होती है। इसी सोच के साथ अब वह कूड़ा निस्तारण की समस्या का निराकरण करने में जुट गये हैं। विक्रमादित्य सिंह मलिक ने अब तक नगर निगम एवं पूर्व के अधिकारियों द्वारा किए गए पत्राचार से लेकर किसानों के विरोध समेत इसमें आने वाली अड़चन की वास्तुस्थिति की जानकारी प्रमुख सचिव को दी गई है। ज्ञात हो कि बीते दिनों हापुड़ में मंडलायुक्त सेल्वा कुमारी जे. की अध्यक्षता में अधिकारियों की मैराथन बैठक भी हुई थी लेकिन उसमें भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला था।

नीदरलैंड की कंपनी के साथ साइन हुए एमओयू 

गालंद में करीब 45 एकड़ जमीन पर नीदरलैंड की जीसी इंटरनेशनल कंपनी को प्लांट लगाना हैं। उत्तर प्रदेश सरकार और नीदरलैंड की जीसी इंटरनेशनल कंपनी के बीच वर्ष-2018 में मैमोरेंडम आॅफ अंडस्टैंडिंग (साइन) हुआ था। यहां पर करीब 1000 करोड़ रुपए का निवेश कंपनी ने पहले चरण में करना है। यहां पर रोजाना गाजियाबाद शहर और हापुड़ का लगभग 1500 मीट्रिक टन कूड़े का निस्तारण करने की प्लानिंग कर रखी है। इसके बाद इसका विस्तार कर 3000 मीट्रिक टन कूड़े से रोजाना  लगभग 45 मेगावाट बिजली उत्पादन कंपनी द्वारा की जाएगी। कंपनी ने जमीन के हैंडओवर होने के बाद दो साल में प्लांट बनाने का दावा किया था। लेकिन यहां पर निर्माण कार्य शुरू करते ही किसानों ने विरोध शुरू कर दिया। कोरोना काल के बाद नगर निगम ने इस जमीन पर बाउंड्री वॉल कराने के लिए सामग्री पहुंचाई तो ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया। निगम कर्मचारियों और ठेकेदार के श्रमिकों से भिड़ंत होने के बाद किसानों पर केस भी दर्ज हुआ। ग्रामीणों से कई बार की वार्ता भी हुई। मगर वेस्ट-टू एनर्जी प्लांट के निर्माण का कार्य पांच साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया।