बयानवीर नेताओं की पार्टी भाजपा कर रही किसानों पर राजनीति

लेखक : अजय वर्मा
राष्ट्रीय प्रवक्ता कांग्रेस

(लेखक कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। सभी प्रमुख राष्ट्रीय न्यूज चैनल में कांग्रेस पार्टी का पक्ष मजबूती और बेबाकी से रखते हैं।)

किसान देश का अन्नदाता है और कांग्रेस पार्टी किसानों की आवाज उठा रही है। कांगेस हमेशा किसानों के साथ रहा है और रहेगा। किसानों को धोखा देकर राजनीति करने वाली भाजपा के बयानवीर किसानों जख्म पर नमक छिड़क रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने का बयान पूरी तरह से खोखला और भ्रामक है यह जनता को भ्रमित करने वाला है। राजनीतिक भाजपा कर रही है और वह सिर्फ कांग्रेसी और गरीब किसानों पर दोष मढ़ रही है। इस कड़ाके की ठंड में किसान सड़कों पर है। दर्जनों किसान आंदोलन की खातिर शहीद हो गए हैं। लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। भाजपा सरकार किसानों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है और तानाशाही रवैया अपना रही है। सरकार जब तक किसान विरोधी और पूंजीपतियों को समर्पित तीनों काले कानून को रद्द नहीं करेगी तब तक किसान उसे चैन से नहीं रहने देंगे। भाजपा के जो बयानवीर नेता है वह थोड़ा सा संभल कर बातें करें तो भाजपा को गंभीर दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा। भाजपा के नेता लोगों को धोखा में ना रखें। देश की जनता जागरूक है। उन्हें लंबे समय तक जुमलेबाजी में फंसाकर नहीं रखा जा सकता है।भाजपा कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। भाजपा द्वारा राजनैतिक रोटियां सेकी जा रही है। प्रधानमंत्री देश के चुनिंदा पूंजीपतियों के समक्ष किसानोें को कानून के माध्यम से गिरवी रखने पर तुली हुई है। उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की में सरकार चल रही है। लेकिन जनता बेवस और लाचार है। ­ाूठ बोलना भाजपा ने रजिस्टर्ड करा रखा है। सबसे पहले प्रधानमंत्री ने झूठ बोला कि सभी को 15 लाख रुपये देंगे। फिर इनके गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि किसी को पैसे नहीं देंगे यह तो बस एक जुमला था। उसके बाद उन्होंने कहा कि 2 करोड़ लोगों को नौकरी देंगे। फिर प्रधानमंत्री बोलते हैं कि पकोड़े तलो, फिर कभी कोई मंत्री कहता है कि यह संभव नहीं है कि दो करोड़ नौकरी देंगे। यही खोखले दावे जीडीपी को लेकर किया गया। 5 ट्रिलियन की इकोनामी बनाएंगे यह भी एक झूठ साबित हुआ। भाजपा संसद जैसी पवित्र जगह पर भी झूठ बोलने से बाज नहीं आती है। जीएसटी के मामले में छोटे व्यापारियों के साथ इतना बड़ा धोखा हुआ कि वह तबाह हो गए। जीएसटी से व्यापार बबार्दी हुआ और नोटबंदी से आम जनता तबाह हो गई। लाइन में लगकर सैकड़ों लोगों की जान चली गई। स्वामीनाथन आयोग की 205 बिंदुओं में से सिर्फ 25 बिंदुओं का जवाब भाजपा सरकार ने दिया है। जबकि 175 बिंदुओं पर यूपीए सरकार ने अपना मत दिया था और उसका समाधान भी दिया था। भाजपा ने एमएसपी की गारंटी नहीं दी और सिर्फ झूठ बोला है। भाजपा सरकार सिर्फ अडानी-अंबानी के हित में सोच रही है। किसान और कांग्रेस की सोच यह है कि किसानों को मजबूत बनाना होगा और उन्हें आगे बढाना होेगा। सरकार देश के 130 करोड़ लोगों की चिंता छोड़ चंद पूंजीपतियों की सोच रही है। अभी जो आटा 28 रुपये किलो मिल रहा है सरकार यही आटा 50 रुपए किलो अडानी-अंबानी मार्का लगाकर लोगों को तक पहुंचाना चाहती है। किसानों के लिए बने काले कानून में यही सब है। कॉपोर्रेट कंपनियां किस तरह से शोषण करती है, इसको हम नमक के माध्यम से ही समझ सकते हैं। जो नमक हम 20 किलो खरीदते हैं, उसकी कीमत 50 पैसे से एक रुपए किलो है। लेकिन यही बड़ी कंपनियां ब्रांड बनाकर लोगों को लुटती है। भाजपा पूजीपतियों को अघोषित शासक बना कर उनकी सरकार चलाना चाहते हैं। सरकार गरीब, कमजोर किसानों का दमन करना चाहती है। देश की तकदीर संवारने का झूठा वादा करके सत्ता में आयी भाजपा की सरकार गांव, गरीब नौजवानों और किसानों को बर्बाद करने पर आमादा है। भाजपा सरकार में जब भी कोई विरोध करता है, उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है। कृषि बिल यह तीन काले कानून किसानों की जमीनों को पूंजीपतियों को देकर कापोर्रेट खेती को बढ़ावा देने वाला है। एमएसपी को खत्म कर सरकार किसानों की हर जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहती है। कृषि और किसान ही होता है जो कठिन समय में देश की अर्थव्यवस्था संभालता था। लेकिन, अब खेती पर बड़े उद्योगपतियों की नजर है। जिससे किसान मजदूर बन कर रह जाएगा। किसानों की खेती बर्बाद हो जाएगी। अभी धान की फसल में डालने के लिए यूरिया व अन्य उर्वरकों के लिए किसान मारा-मारा फिर रहा था। यूरिया खाद की जमकर कालाबाजारी हुई। किसान को महंगे दामों पर यूरिया खरीदनी पड़ी। गन्ना किसानों की परेशानी जस की तस है। नया पेराई सत्र आने वाला है लेकिन पिछले सत्र का 15 हजार करोड़ रुपया बकाया है। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर सरकार चुप्पी साध लेती है। सरकार और मिल मालिकों की सांठ-गांठ से गन्ना किसान संकट में है। सरकारी नौकरियों में भी ठेका प्रथा लागू करने का युवा विरोधी कदम उठाकर भाजपा ने अपना असली चेहरा उजागर कर दिया है। सरकार को अहंकार का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।