ब्राह्मण सेवक तरुण मिश्र ने किए बाबा विश्वनाथ के दर्शन

-12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है काशी विश्वनाथ

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी) प्रवास के दौरान मंगलवार सुबह ब्राह्मण सेवक तरुण मिश्र ने गंगाजी में स्नान कर भारत के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक बाबा विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। तरुण मिश्र ने बताया काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए बहुत ही खास है। मान्यता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है। काशी पुरातन समय से ही अध्यात्म का केंद्र रहा है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंगों में भगवान भोलेनाथ स्वयं विद्यमान रहते हैं। जिनके दर्शन मात्र से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में सबसे पवित्र शहरों में से काशी माना जाता है।

माना जाता है कि भगवान विश्वनाथ यहां ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में निवास करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती से विवाह करने के बाद भगवान शिव कैलाश में रहते थे। लेकिन माता पार्वती अपने पिता के घर में ही रहती थी। ऐसे में जब माता पार्वती ने अपने साथ ले चलने का आग्रह किया तो उनकी बात मानकर भगवान शिव उन्हें काशी लेकर आ गए, जहां उन्हें विश्वनाथ या विश्ववेश्वर नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है ब्रह्मांड का शासक। यहां बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पूर्व महादेव के दर्शन से पहले भैरव जी के दर्शन करना जरूरी माना जाता है, इसके पीछे मान्यता है कि भैरव जी के दर्शन किए बगैर विश्वनाथ के दर्शन का लाभ नहीं प्राप्त होता। शास्त्रों में बाबा भैरव नाथ को लेकर एक पौराणिक कथा भी मौजूद है। काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है। काशी पुरातन समय से ही अध्यात्म का केंद्र रहा है।