चीन का डिजिटल अतिक्रमण

विद्याशंकर तिवारी

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, दैनिक जागरण, सहित विभिन्न प्रमुख मीडिया संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर रहे हैं। वर्तमान में इंडिया न्यूज चैनल में एडिटर हैं। उदय भूमि में प्रकाशित यह लेख लेखक के निजी विचार हैं।)

भारत और चीन के बीच पिछले छह महीने से एलएसी पर तनाव बदस्तूर जारी है, चीन किसी भी सूरत में पेंगोंग व देपसांग में पीछे हटने को तैयार नहीं है। कोर कमांडर स्तर की वार्ता में खुद पीछे हटने की बजाय उसका जोर इस बात पर रहता है कि भारत पहले पेंगोंग के दक्षिणी छोर पर जो कब्जा जमाया है वहां से हटे। सात बार दोनों देश के ले। जनरल स्तर के अधिकार वार्ता की टेबल पर बैठ चुके हैं लेकिन नतीजा सिफर है। दोनों देश की सेनाएं -20 डिग्री तापमान में आमने-सामने खड़ी हैं। भारत बुरी तरह से फंसा हुआ है कि जंग इस समस्या का समाधान नहीं और चीन है कि बिना कुछ लिये पीछे हटने को तैयार नहीं। भारत के रणनीतिकारों और सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये लड़ाई लंबी चलेगी और हुक्मरानों को संकल्प शक्ति दिखाने की जरूरत है। ये सब कुछ अभी चल ही रहा था कि अचानक चीनी मोबाइल ऐप ने अरूणाचल, लद्दाख व अन्य विवादित क्षेत्र का वेदर दिखाना बंद कर दिया। क्या ये महज इत्तेफाक हो सकता है कि चीन जिन-जिन इलाकों को विवादित या जिन पर अपना दावा ठोकता है वो क्षेत्र चाइनीज मोबाइल के वेदर ऐप से गायब हो जाएं। फिलहाल चीनी मोबाइल के वेदर ऐप से वो शहर और इलाके गायब हैं जिनको चीन विवादित मानता है। विवाद बढऩे पर चीनी मोबाइल कंपनी श्याओमी ने इसे तकनीकी खामी बताया। कंपनी का कहना है कि तकनीकी खामी के चलते ऐसा हुआ जिसे अब ठीक कर लिया गया है।
अभी इस पर बहस चल ही रही थी कि 18 अक्टूबर को अचानक ट्विटर अपने प्लेटफॉर्म पर लेह की जियो टैग लोकेशन को चीन दिखाने लगा। नेशनल सिक्योरिटी एनालिस्ट नितिन गोखले इस दिन लेह के वॉर मेमोरियल से ट्विटर पर लाइव कर रहे थे। उस समय उनकी लोकेशन जो लेह में थी उसको ट्वीटर ने जैसे ही चीन का हिस्सा बताया वह चौंक गये, उन्होंने उसे दोबारा चेक किया, वो उसे पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ही बता रहा था। सोशल मीडिया पर रिएक्शन शुरू हुआ तो मोदी सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और ट्विटर को कड़ी चेतावनी देते हुए आईटी सचिव अजय साहनी ने पत्र लिखा कि ऐसे कार्यों से न सिर्फ ट्विटर की साख गिरती है बल्कि ट्विटर की तटस्थता और निष्पक्षता पर भी सवाल उठते हैं। ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी से संवेदनशीलता से काम करने को कहा है। इस पर ट्विटर ने कहा कि हम भारत सरकार के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम इसके संवेदनाओं को समझते हैं और उनका सम्मान करते हैं। इस तकनीकी दिक्कत से अवगत हैं। दिक्कत को सही करने के लिए टीम तेजी से काम कर रही है और जियोटैग के मसले का जल्द ही हल निकाल लिया जाएगा। आईटी सचिव अजय साहनी ने लिखा है कि लेह केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा है। लद्दाख और जम्मू-कश्मीर भारत के अभिन्न हिस्से हैं, जो भारत के संविधान द्वारा शासित हैं। सोशल साइट को भारत के लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। भारत की संप्रभुता और अखंडता के साथ किया गया अपमान स्वीकार नहीं किया जाएगा और ये कानून का भी उल्लंघन है। बेशक ट्वीटर की तरफ से कहा गया है कि ये तकनीकी दिक्कत थी जिसे सुधार लिया गया है लेकिन ये सवाल स्वभाविक रूप से बनता है क्या यह संयोग है कि जिस इलाके को चीन विवादित मानता है वो क्षेत्र चीनी मोबाइल के वेदर ऐप से गायब हो जाएं और ट्वीटर अचानक लेह को चीन बताने लगे। हरगिज नहीं, दरअसल ये चीन का डिजीटल अतिक्रमण है, तकनीकी रूप से वो बहुत आगे है और ऐसे हरकतें करता रहता है। कभी हैकिंग तो कभी इस तरह की गतिविधियां. उसकी स्थापित नीति है कि दुश्मन से जंग करने की जरूरत नहीं उसे मानसिक रूप से डराओ-धमकाओ और उसे इतना परेशान कर दो कि वो झुकने के लिए मजबूर हो जाए। भारत के साथ भी वह यही कर रहा है, उसे ये हरगिज गंवारा नहीं कि भारत अमेरिका के प्रति ज्यादा झुके, क्वाड में सक्रिय भागीदारी निभाये, उसके सीपैक के लिए खतरा बने और सीमा पर विकास कर चीन की बराबरी करे। उसके वार्ताकार सोची समझी रणनीते के तहत हॉफवे यानी आधे रास्ते मतलब कुछ छोड़कर समझौता करने की बात कर रहे हैं जिसके लिए भारत तैयार नहीं है। भारत के पास विकल्प सीमित हैं, यदि उसे चीन को सख्त संदेश देना है तो लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहने और साम, दाम, दंड व भेद की नीति के तहत जैसे वो हमारे कुछ क्षेत्रों को विवादित बता रहा है वैसे ही ताइवान, तिब्बत व हांगकांग को लेकर भारत को भी सधी रणनीति अपनानी होगी।