असत्य पर सत्य की जीत

विष्णु देव मिश्र

( मार्गदर्शक एवं संपादकीय सलाहकार उदय भूमि समूह। )

आज विजयदशमी और दशहरा का पर्व है। आप सभी को इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। कोविड-19 (कोरोना वायरस) के कारण इस बार यह पर्व मनाने के तरीके भी बदल गए हैं। कोरोना का असर रामलीला महोत्सव पर भी देखने को मिला है। मां दुर्गे की प्रतिमा के विसर्जन के साथ नवरात्र पर्व का समापन हो जाएगा। मां दुुर्गा के 9 शक्ति रूप के विजय-दिवस के रूप में विजयादशमी मनाया जाता है। भगवान श्रीराम ने भी नौ दिनो तक रावण के साथ युद्ध करके दसवें दिन रावण का वध किया था, इसलिए इस दिन को भगवान श्रीराम के भी विजय के रूप में भी मनाते हैं। दशहरा यानी दस सिर वाले रावन का वध। भगवान राम ने रावण के दसों सिर का वध किया था। जिसे प्रतिकात्मक रूप से 10 बुराईयों को खत्म करने से जोड़कर देखना चाहिये। पाप, काम, क्रोध, मोह, लोभ, घमंड, स्वार्थ, जलन, अहंकार, अमानवता और अन्याय वह दस बुराईयां हैं। जिसके खात्मे का हमें प्रण लेना चाहिये। विजयदशमी असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। दशहरा भगवान राम और मां दुर्गा दोनों के महत्व को दशार्ता है। मान्यता है कि रावण को हराने के लिए श्रीराम ने मां दुर्गा की पूजा की थी और आशीर्वाद के रूप में मां ने रावण को मारने का रहस्य बताया था। हमें ऐसी कामना करनी चाहिए की दशहरा पर्व पर देश में भ्रष्टाचार, अत्याचार, अपराध, अन्याय, जातिवाद, आतंकवाद इत्यादि बुराईयों का भी समूल नाश हो जाए। रामराज सिर्फ कल्पना में नहीं बल्कि हकीकत में साकार करना है। देश की ज्वलंत समस्याओं का भी दहन होना जरूरी है। सभी से अनुरोध है कि कोरोना काल में धूमधाम से त्यौहार जरूर मनाएं, लेकिन कोरोना से खुद को बचाने के लिए जरूरी सावधानियां भी बरतें। यह पर्व हम सभी के जीवन में खुशियां लेकर आये और कोरोना महामारी से निजात दिलाये। मां दुर्गा की असीम कृपा हम सभी पर बनी रहे, ऐसी कामना करता हूं।