भाजपा के हुए सीपी चंद, लेकिन सवाल वही सपा के कब थे सीपी चंद ? उदय भूमि की खबर पर लगी मुहर

– दो वर्ष पहले उदय भूमि ने कहा था सीपी चंद का भाजपा में आना है तय सिर्फ मुहर्रत का है इंतजार
– एमएलसी चुनाव में सपा प्रत्याशी को रिकार्ड मतों से हराकर हाशिल की थी जीत
– सीपी चंद के साथ चार और एमएलसी हुए भाजपा में शामिल, सपा को लगा जोरदार झटका
– पूर्वांचल के बड़े नेताओं में शामिल है सीप चंद का नाम, भाजपा में भी मिलेगी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

विजय मिश्रा (उदय भूमि ब्यूरो)
लखनऊ/ नई दिल्ली। एमएलसी सीपी चंद ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) को अलविदा कह वह भाजपाई बन गए हैं। वह अपने साथ सपा के तीन और एमएलसी को लेकर आये हैं। लेकिन सवाल आज भी वही है कि सीपी चंद सपा के कब थे? दो वर्ष पहले उदय भूमि समाचार पत्र ने यही सवाल पूछते हुए खबर प्रकाशित की थी कि सीपी चंद का भाजपा में आना तय है। बस सही मुर्हरत का इंतजार है। बुधवार 17 नवंबर 2021 को सीपी चंद विधिवत रूप से भाजपा में शामिल हुए। वह अकेले नहीं आये बल्कि अपने साथ सपा के तीन और एमएलसी लेकर आये। सीपी चंद के भाजपा में आने से पूर्वांचल में पार्टी को काफी फायदा मिलेगा। सीपी चंद के भाजपा में आने से गोरखपुर सहित पूर्वांचल के कई जिलों में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। सीपी चंद को भी इसका फायदा मिलेगा और भाजपा में उनका कद बढ़ेगा।

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22 सितम्बर 2019 को उदय भूमि में प्रकाशित खबर

2 साल पहले जब सीपी चंद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। उस समय भी सीपी चंद के भाजपा में आने की चर्चा हुई थी। लेकिन सभी ने उसे नकार दिया था। स्वयं सीपी चंद ने कहा कि उनकी मुख्यमंत्री से इसको लेकर कोई बात नहीं हुई है। लेकिन उदय भूमि समाचार पत्र ने कहा था कि सीपी चंद का भाजपा में आना तय है। उदय भूमि ने 22 सितम्बर 2019 के अंक में शीर्षक सपा के कब थे सीपी चंद? से खबर प्रकाशित की थी। इस खबर के माध्यम से कहा गया कि जो लोग कह रहे हैं कि सपा के एमएलसी सीपी चंद भाजपा में शामिल होंगे उन्हे यह जवाब देना चाहिये कि सीपी चंद आखिर सपा के थे ही कब? 2016 में हुए एमएलसी चुनाव में सीपी चंद ने समाजवादी पार्टी के घोषित प्रत्याशी जयप्रकाश यादव को बड़े अंतर से हराया था। गोरखपुर महराजगंज विधानपरिषद सीट से सीपी चंद की जीत निर्दलीय ही थी। क्योंकि सपा के सभी दिग्गजों ने जयप्रकाश यादव के पक्ष में और सीपी चंद के खिलाफ चुनाव प्रचार करते हुए वोट मांगे थे। सीपी चंद का परिवार राजनीतिक परिवार है। उनके पिता मार्कण्डेय चंद की गिनती उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में होती थी। वह कई सरकारी में मंत्री रहे हैं। 2019 में सीपी चंद जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले थे उस समय उनके साथ दो एमएलसी थे। लेकिन आज जब भाजपा ज्वाइन की तो उनके साथ तीन और एमएलसी आये। सीपी चंद की आम जनता में मजबूत पकड़ है। सीपी चंद के साथ रविशंकर सिंह पप्पू, नरेंद्र भाटी और रमा निरंजन ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में सपा के यह चारों एमएलसी भाजपा के साथ आ गए हैं।

सपा ने कर दिया था निष्कासित
2016 में संपन्न विधान परिषद चुनाव की घटनाए जब-तब सभी के जेहन में ताजा हो जाती हैं। सभी इस बात को जानते हैं कि महराजगंज-गोरखपुर स्थानीय निकाय क्षेत्र से चुनाव में सपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सीपी चंद को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसके बावजूद सीपी चंद ने 4619 मतों में से 3024 वोट प्राप्त कर सपा के पूर्व मंत्री रहे अपने प्रतिद्वंदी जयप्रकाश यादव को 1589 मतों के भारी अंतर से मात दी थी। यह बड़ी जीत थी। सीपी चंद ने दो तिहाई वोट प्राप्त किया था। यह बताता है कि पूर्वांचल की राजनीति पर सीपी चंद की कितनी पकड़ है।

योगी और मोदी को लेकर क्या बोले सीपी चंद
भाजपा की सदस्यता लेने के बाद सीपी चंद ने उदय भूमि से बातचीत में कहा कि आज जो देश और प्रदेश में हालात हैं वह उत्साह पैदा करने वाला है। जिस तरह से आदरणीय मोदी जी के नेतृत्व में देश में और आदरणीय योगी जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार चल रही है उससे तरक्की और अमन का माहौल बना है। विकास की डगर पर देश और प्रदेश सरपट दौर रहा है। आम आदमी आश्वस्त है कि भाजपा की फिर सरकार बनेगी और उत्तर प्रदेश प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा। मैं भाजपा के साथ सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर जुड़ा हूं और इस संकल्प के साथ जुड़ा हूं कि पार्टी जहां उचित सम­ोगी वहां मेरा इस्तेमाल करेगी और मेरी ड्यूटी लगाएगी। मैं हर उस काम को करूंगा जो पार्टी मुझे सौपेगी। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश के बयान को लेकर सीपी चंद ने कहा कि किसी भी कार्य का सिर्फ विचार करने वालों को उसका श्रेय नहीं दिया जा सकता। जो परिश्रम करके किसी विचार को पूरा करता है उसे ही श्रेय मिलता है। सपने तो बहुत लोग देखते हैं लेकिन सपना पूरा कौन करता है यह मायने रखता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को बड़ी सौगात दी है। इसमें किसी को कमियां नहीं ढूढनी चाहिये। यह इतना बड़ा काम हुआ है जिससे प्रदेश की तरक्की होगी। करोड़ों लोग लाभान्वित होंगे। अखिलेश से नाराजगी को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में सीपी चंद ने कहा कि मैं किसी से खफा नहीं हूं। किसी से कोई नाराजगी भी नहीं है। योगी जी की जो नीतियां हैं और उन्होंने जो काम किया है उससे प्रभावित होकर भाजपा में आया हूं।

22 सितम्बर 2019 को उदय भूमि में प्रकाशित खबर
हेडिंग : सपा के कब थे सीपी चंद ?
सबहेडिंग : फोटो वायरल होने के बाद सुर्खियों में हैं सीपी चंद, जल्द छंटेंगे चचार्ओं के बादल, गुणा-भाग के बाद होगी घोषणा
विजय मिश्रा (उदय भूमि ब्यूरो)
नई दिल्ली/ लखनऊ। हंगामा है बरपा जब से फोटो वायरल हुई है। गोरखपुर और लखनऊ से शुरू हुई इस वायरल विस्फोट की गुंज दिल्ली तक पहुंच गई है। हालांकि दिल्ली से इस प्रकरण में कोई दखलंदाजी नहीं होगी लेकिन नजर पूरी रहेगी। क्योंकि गोरखपुर की राजनीति में होने वाली हर एक छोटी-बड़ी हलचल ना सिर्फ लखनऊ को प्रभावित करती है बल्कि दिल्ली में भी लहरें और झटके पैदा करती है। यही वजह है कि महाराज जी यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ सपा के तीन एमएलसी सीपी चन्द, रविशंकर सिंह पप्पू और रमेश मिश्र की मुलाकात वाली फोटो वायरल होने के बाद काफी चचार्एं हो रही है। लेकिन इन चचार्ओं के केंद्र में सीपी चंद ही हैं। फिलहाल राजनैतिक गणित के गुणा भाग चल रहे हैं और जल्द ही किसी घोषणा के साथ सभी चचार्ओं के बादल छंट जाएंगे। इन्हीं चचार्ओं के बीच राजनैतिक पंडित यह सवाल पूछ रहे हैं कि सीपी चंद सपा के कब थे? चर्चा यह हो रही है कि सपा एमएलसी सीपी चंद भाजपा में जा सकते हैं। यह अधूरा सत्य है। MLC-CP-Chand-Udaybhoomi-News

गोरखपुर की हलचल दिल्ली में भी देती है झटकें
सत्य है कि सीपी चंद एमएलसी हैं। लेकिन वह सपा एमएलसी है यह महाभारत युद्ध में युधिष्ठिर द्वारा कहे गए शब्द अश्वत्थामा मारा गया की तरह ही सत्य है। 2016 में हुए विधान परिषद चुनाव को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है और उस समय की घटनाएं सभी के जेहन में ताजा हैं। सभी इस बात को जानते हैं कि महराजगंज-गोरखपुर स्थानीय

तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कर दिया था निलंबित
निकाय क्षेत्र से चुनाव में सपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सीपी चंद को पार्टी से निलंबित कर दिया था। इसके बावजूद सीपी चंद ने 4619 वोटों में से 3024 वोट हासिल कर सपा के पूर्व मंत्री रहे अपने प्रतिद्वंदी जेपी यादव को 1589 वोटों के भारी अंतर से हराया। सभी जानते हैं कि इस जीत में महाराज जी की क्या भूमिका रही थी। महराज जी उस समय सिर्फ भाजपा के सांसद थे लेकिन गोरखपुर की राजनीति की चाल वही तय करते थे। महाराज जी आज मुख्यमंत्री हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। लोकतंत्र में लोकप्रिय और जनप्रिय से बड़ा कोई पैमाना नहीं है। इसी तरह सीपी चंद गोरखपुर में लोकप्रिय के साथ कद्दावर भी हैं। याद रखने वाली बात यह भी है कि सीपी चंद ने 1999 में कैसरगंज से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव भी लड़ा था। यही वजह है कि यह सवाल उठ रहा है कि सीपी चंद सपा के थे कब?