जंगल में आशियाना बनाकर फंसे पूर्व मुख्यमंत्री

रोशनी घोटाले से प्रकाश में आया भ्रष्टाचार

कश्मीर। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला नई मुसीबत में फंस गए हैं। जंगल की भूमि पर अवैध तरीके से आशियाना बनाने पर उन्हें जांच और विरोध का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा ने फारूक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जवाब में फारूक ने खुद को निर्दोष करार दिया है। उन्होंने खुद पर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में रोशनी घोटाला प्रकाश में आने के बाद कई राजनीतिज्ञों की बेचैनी बढ़ गई है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने रोशनी घोटाले की सूची सार्वजनिक की है। यह सूची अदालत के आदेश पर सरकार की वेबसाइट पर अपलोड की गई है। जम्मू-कश्मीर राज्य भूमि (ऑक्युपेंट्स का स्वामित्व अधिकार) अधिनियम-2001 तत्कालीन फारूक अब्दुल्ला सरकार द्वारा जल विद्युत परियोजनाओं के लिए फंड जुटाने के मकसद से लाया गया था। इसलिए इस कानून को रोशनी नाम दिया गया। इस कानून के अनुसार भूमि का मालिकाना हक उसके अनधिकृत कब्जेदारों को इस शर्त पर दिया जाना था कि वह नागरिक बाजार मूल्य पर सरकार को भूमि का भुगतान करेंगे। इसकी कट ऑफ 1990 तय की गई थी। अधिनियम में 2 बार संशोधन किए गए। ये संशोधन मुफ्ती सईद और गुलाम नबी आजाद की सरकार के दरम्यान किए गए। कट ऑफ पहले 2004 और बाद में 2007 कर दी गई। 2014 में सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 2007 से 2013 के बीच भूमि ट्रांसफर के मामले में गड़बड़ी की गई। उधर, फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि क्षेत्र में सिर्फ मेरा ही घर नहीं है। अब्दुल्ला पर आरोप है कि जम्मू के सजवान में जंगल की भूमि पर उनका घर है। यह घर 10 कनाल भूमि में है। इसमें से 7 कनाल जंगल की भूमि है। जबकि 3 कनाल भूमि फारूक की है। आरोप है कि रोशनी एक्ट के तहत गलत तरीके से यह भूमि ली गई।