इंदिरापुरम-राजनगर एक्सटेंशन : हैंडओवर पर नहीं बनी बात, लेकिन भविष्य के लिए जगी आस

-जीडीए उपाध्यक्ष एवं नगरायुक्त के बीच हुई मैराथन बैठक, मौजूद रहे जीडीए और नगर निगम के अधिकारी
उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। इंदिरापुरम कॉलोनी के हैंडओवर को लेकर बृहस्पतिवार को कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका, लेकिन भविष्य के लिए उम्मीद जगी है। कुछ हम बढ़े कुछ तुम झुको की तर्ज पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) और नगर निगम अधिकारियों के बीच मैराथन बैठक हुई। बैठक में दोनों विभागों ने अपने-अपने तर्क रखे और अंत में इस बात पर सहमति बनी कि या तो पूर्व की रिपोर्ट के आधार पर कॉलोनी के हैंडओवर की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाये या फिर राइर्टस एवं जल निगम सरीखी किसी तीसरी संस्था द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर की ऑडिट कराकर नई रिपोर्ट के आधार पर कॉलोनी का हैंडओवर हो। विज्ञापन अधिकार को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई, जिसमें यह निकलकर सामने आया कि भले ही कॉलोनी नगर निगम को हैंडओवर नहीं हुई है, लेकिन शासनादेश और नियमावली के अनुसार बिना नगर निगम की सहमति के किसी को वहां विज्ञापन करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है। बैठक में जहां डीएम एवं जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने जीडीए के पक्ष को मजबूती से रखा, वहीं नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने नगर निगम की तरफ से दलीलें पेश की।
विदित हो कि इंदिरापुरम कॉलोनी जहां जीडीए द्वारा विकसित की गई है, वहीं राजनगर एक्सटेंशन को प्राइवेट बिल्डरों ने विकसित किया है। इन कॉलोनियों को जीडीए नगर निगम को हैंडओवर करना चाहता है। लेकिन समस्या यह है कि इन कॉलोनियों का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद खराब है। शहर में इंफ्राक्स्ट्रक्चर विकसित करने की जिम्मेदारी जहां जीडीए की है, वहीं मेंटीनेंस वर्क का जिम्मा नगर निगम पर रहता है। नगर निगम की आमदनी के सीमित संसाधन हैं और उसके पास पर्याप्त फंड का भी अभाव है। अनुमानित रूप से वर्तमान परिस्थिति में इंदिरापुरम में सड़क, नाली, सीवर और पेयजल आपूर्ति से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में लगभग 385 करोड़ रुपये खर्च होंगे। नगर निगम चाहता है कि कॉलोनी हैंडओवर होने से पूर्व या तो नगर निगम इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करके दे या फिर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए फंड उपलब्ध कराये। उधर, जीडीए इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च की अनुमानित रकम को बहुत अधिक मान रहा है। जीडीए का तर्क है कि इतने खर्च की जरूरत नहीं है। इसी बात को लेकर इंदिरापुरम को हैंडओवर करने के मामले में पेंच फंसा हुआ है। जीडीए ने बैठक में कॉलोनी के आंशिक हैंडओवर का भी प्रस्ताव रखा। जीडीए ने कहा कि कॉलोनी की साफ-सफाई, ग्रीनरी, उद्यान एवं पथ प्रकाश व्यवस्था का काम नगर निगम संभाले। इस प्रस्ताव पर नगर निगम का रूख सकारात्मक रहा। ऐसे में संभव है कि पहले चरण में इंदिरापुरम का आंशिक हैंडओवर हो और बाद में पूर्ण हैंडओवर की प्रक्रिया अपनाई जाये। डेढ़ घंटे तक चली मैराथन बैठक में जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह, नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर, जीडीए सचिव बृजेश कुमार, ओएसडी सुशील कुमार चौबे, अपर सचिव सीपी त्रिपाठी, चीफ इंजीनियर राकेश कुमार गुप्ता, फाइनेंस कंट्रोलर अशोक कुमार वाजपेयी, अधिशासी अभियंता मानवेंद्र कुमार सिंह, राजीव सिंह, आलोक रंजन एवं नगर निगम के चीफ  इंजीनियर एनके चौधरी, उद्यान प्रभारी डॉ. अनुज कुमार सिंह, नगर स्वास्थ अधिकारी डॉ मिथलेश कुमार, अधिशासी अभियंता देशराज सिंह आदि अधिकारी मौजूद रहे।
होर्डिंग-यूनीपोल विज्ञापन पर हुई चर्चा
जीडीए उपाध्यक्ष के समक्ष नगर आयुक्त ने होर्डिंग-यूनीपोल विज्ञापन का मुद्दा भी उठाया। नगर निगम एक्ट के अनुसार निगम क्षेत्र में विज्ञापन प्रचार-प्रसार का काम नगर निगम द्वारा ही किये जाने का प्रावधान है, मगर जीडीए ने इंदिरापुरम और राजनगर एक्सटेंशन में पहले ही विज्ञापन का ठेका कई कंपनियों को छोड़ रखा हैं। जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने बैठक में स्पष्ट किया कि नगर निगम को कॉलोनी हैंडओवर होने के बाद ही विज्ञापन करने का अधिकार दिया जाएगा। इसलिए पहले नगर निगम दोनों कॉलोनियों को हैंडओवर कर वहां पर आवश्यक कार्य शुरू कराए। इंदिरापुरम कॉलोनी के अलावा राजनगर एक्सटेंशन कॉलोनी को नगर निगम को हैंडओवर किए जाने को लेकर कोई अंतिम सहमति नहीं बनी। लेकिन जिस तरह से दोनों विभागों के बीच चर्चा हुई, उससे भविष्य में हैंडओवर की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद जगी है। अब अगली बैठक में आगे की चर्चा होगी।