परमवीर चक्र कैप्टन मनोज पांडे को पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि

-लिंक रोड का नाम बदलकर शहीद कैप्टन मनोज पांडे मार्ग की घोषणा के बाद भी नही लगी प्रतिमा
-मनोज विहार के निवासियों ने किया शहीद कैप्टन मनोज पांडे को याद

गाजियाबाद। परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय का शहीद दिवस सोमवार को शहर में विभिन्न स्थलों पर मनाया गया। इस अवसर पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गोरखा राइफल्स मनोज विहार, एडब्ल्यूएचओ, सोसायटी, इंदिरापुरम के निवासियों ने शहीद कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय को उनकी 24वीं पुण्य तिथि पर मनोज विहार के सामुदायिक भवन में पुष्पांजलि अर्पित कर याद किया। विशिष्ठ अतिथि के रुप में ब्रिगेडियर व्यूमकेश द्विवेदी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कारगिल युद्ध स्मारक की पृष्ठभूमि में 1/11 जीआर की वीरतापूर्ण कार्रवाई को दिखाने वाले कैप्टन मनोज पांडे पर एक लघु वीडियो क्लिप भी दिखाई गई। वक्ताओं ने शहीद की जीवनी पर प्रकाश डाला। युवाओं को उनकी शौर्य गाथा सुनाई। शहीद कैप्टन मनोज कुमार पांडेय का जन्म 25 जून 1975 को सीतापुर जिले के रुधा गांव में हुआ था।

मनोज की शिक्षा सैनिक स्कूल लखनऊ में हुई और वहीं से उनमें अनुशासन भाव तथा देश प्रेम की भावना संचारित हुई जो उन्हें सम्मान के उत्कर्ष तक ले गई। मनोज बतौर एक कमीशंड ऑफिसर बनकर ग्यारहवां गोरखा राइफल्स की पहली बटालियन में पहुंच गए। उनकी तैनाती कश्मीर घाटी में हुई। मनोज पाण्डेय की टुकड़ी सियाचिन की चौकी से होकर वापस आई थी और तभी तीन मई 1999 को कारगिल युद्ध का संकेत मिल गया और इस वीर योद्धा ने आराम की बात भूल फिर से तैयार हो गया दुशमनो को धुल चटाने के लिए। पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध के कठिन मोर्चों में एक मोर्चा खालूबार का था जिसको फतह करने के लिए कमर कस कर उन्होंने अपनी 1/11 गोरखा राइफल्स की अगुवाई करते हुए दुश्मन से जूझ गए और जीत कर ही माने। हालांकि, इन कोशिशों में उन्हें अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। वे 24 वर्ष की उम्र में देश को अपनी वीरता और हम्मित का उदाहरण दे गए। कारगिल युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया। सारा देश उनकी बहादुरी को प्रणाम करता है।

गौरतलब हो कि मनोज विहार, एक सेना कल्याण आवास संगठन, (एडब्ल्यूएचओ), सोसायटी है और इसका नाम कारगिल शहीद कैप्टन मनोज पांडे के नाम पर रखा गया है। 2002 में मनोज विहार सोसाइटी की स्थापना के बाद से 3 जुलाई को कारगिल शहीद, मनोज पांडे की याद में, मनोज विहार के निवासियों द्वारा शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। जून 2018 में केन्द्रीय राज्यमंत्री एवं सांसद (डॉ) वीके सिंह की सहमति से मनोज विहार के निवासियों ने एनएच 9 (पूर्व में एनएच 24) को जोडऩे वाली लिंक रोड का नामकरण करने के लिए गाजियाबाद नगर निगम (जीएमसी) के साथ एक मामला शुरू किया था। एनएच 58 के साथ, दक्षिण से उत्तर की ओर चल रहा है और मनोज विहार के पूर्व में शहीद कैप्टन मनोज पांडे मार्ग, परमवीर चक्र, (मरणोपरांत) के रूप में गुजर रहा है। साथ ही एनएच 9 पर स्थित सीआईएसएफ क्रॉसिंग का नाम कैप्टन मनोज पांडे चौक रखा जाएगा और चौक पर कैप्टन मनोज पांडे की एक प्रतिमा लगाई जाएगी।

3 जुलाई 2022 को लिंक रोड का नाम बदलकर शहीद कैप्टन मनोज पांडे मार्ग, परमवीर चक्र (मरणोपरांत) और मनोज पांडे चौक का नामकरण तत्कालीन महापौर आशा शर्मा द्वारा किया गया था। हालांकि कैप्टन मनोज पांडे की प्रतिमा अभी तक स्थापित नहीं की गई है। इसके अलावा सीआईएसएफ क्रॉसिंग और मोहन नगर क्रॉसिंग दोनों पर सड़क संकेत अत्यधिक अपर्याप्त हैं और निर्देशों के अनुसार नहीं हैं। वे बहुत छोटे हैं और मानक के अनुरूप नहीं हैं। मनोज पांडे चौक का साइन बोर्ड अभी तक नहीं लगाया गया है। गूगल ऐप पर शहीद कैप्टन मनोज पांडे मार्ग, परमवीर चक्र, (मरणोपरांत) को अभी भी लिंक रोड, वसुंधरा, इंदिरापुरम रोड, वसुंधरा रोड के रूप में संदर्भित किया जा रहा है। एक साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन नगर निगम (जीएमसी) द्वारा अभी तक इन कमियों को दूर नहीं किया गया है। दशहरा तक तैयार होने के लिए मनोज पांडे चौक पर कैप्टन मनोज पांडे, पीवीसी, (मरणोपरांत) की प्रतिमा स्थापित करने के लिए एक बार फिर जनरल (डॉ) वीके सिंह, (सेवानिवृत्त) के साथ मामला उठाया गया है। अग्निपथ योजना के माध्यम से सशस्त्र बलों में शामिल होने और अग्निवीर बनने के लिए यह गाजियाबाद के युवाओं के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत होगा।