यमुना प्राधिकरण करेगा एनिमल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर का निर्माण 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगभग साढ़े 5 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा सेंटर, ग्रामीणों को बनाया जाएगा सारस मित्र

एयरपोर्ट निर्माण से वन्य जीवों के नेच्यूरल हैबीटेट के प्रभावित होने की आशंका है। ऐसे में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट शुरू होने से पहले एनिमल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर बनकर तैयार हो जाएगा। यह सेंटर 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बनेगा। नोएडा एयरपोर्ट के आसपास काले हिरण, सारस, नील गाय आदि बहुतायत में रहते हैं।

उदय भूमि ब्यूरो
ग्रेटर नोएडा। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से प्रभावित वन्य जीव के लिए एनिमल रेस्क्यू सेंटर एवं रीहैबिलिटेशन सेंटर बनाने का काम यमुना प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा। पहले सेंटर बनाने की जिम्मेदारी वन विभाग को देने की योजना थी। लेकिन पिछले सप्ताह लखनऊ में हुई बैठक में रेस्क्यू एंड रीहैबिलिटेशन सेंटर का निर्माण यमुना प्राधिकरण से कराये जाने का निर्णय लिया है। सेंटर के निर्माण पर 5 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत आने का अनुमान है। धनौरी वेटलैंड के नजदीक सेंटर का निर्माण कराने की योजना है।
जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पहले चरण का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके लिए छह गांव की 1334 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत की गई थी। एयरपोर्ट दूसरे और तीसरे चरण का काम बाद में होगा। एयरपोर्ट निर्माण से वन्य जीवों के नेच्यूरल हैबीटेट के प्रभावित होने की आशंका है। ऐसे में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट शुरू होने से पहले एनिमल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर बनकर तैयार हो जाएगा। यह सेंटर 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बनेगा। नोएडा एयरपोर्ट के आसपास काले हिरण, सारस, नील गाय आदि बहुतायत में रहते हैं। यह क्षेत्र एयरपोर्ट की परिधि में आने से उनके जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। इसके लिए वन्य जीव संस्थान देहरादून से बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन प्लान बनवाया गया था। इसमें एनिमल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर का प्रस्ताव दिया गया था। यह केंद्र दस हेक्टेयर में बनेगा। इसमें पांच हेक्टेयर जमीन यमुना प्राधिकरण और पांच हेक्टेयर जमीन वन विभाग देगा। यह जमीन सेक्टर 17ए में है। केंद्र के निर्माण पर 4.5 करोड़ और वेटलैंड के सुधार पर 90 लाख रुपये खर्च होंगे। यह पैसा नायल के हिस्सेदारों को देनी होगी। पहले इसको बनाने की जिम्मेदारी वन विभाग को दी गई थी। गत 14 अगस्त को लखनऊ में हुई बैठक में वन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने इस केंद्र को बनवाने की जिम्मेदारी यमुना प्राधिकरण को सौंपी है। इस केंद्र में पशु अस्पताल, बंदर, नील गाय, काले हिरण और अन्य जानवरों के लिए अलग-अलग इनक्लोजर बनेंगे। इसके अलावा सब स्टेशन, गार्ड रूम, पानी आपूर्ति के लिए नलकूप, हटह्यस आदि बनाई जाएंगी। इसके रखरखाव पर हर साल 10 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। परियोजना के तहत आसपास के ग्रामीणों को सारस मित्र बनाया जाएगा।