मायावती के ट्वीट के बाद बैकफुट पर योगी सरकार: गाजियाबाद के नंदग्राम में अब नहीं बनेगा डिटेंशन सेंटर

उदय भूमि ब्यूरो
लखनऊ/गाजियाबाद। प्रदेश सरकार ने नंदग्राम स्थित दलित छात्र-छात्राओं के लिए बने छात्रावास को डिटेंशन सेंटर में तब्दील करने का फैसला वापस ले लिया है। सरकार ने बसपा सुप्रीमो मायावती के एक ट्वीट के बाद अपने फैसले को बदल दिया है। एक दिन बाद ही फैसले को वापस लेना सरकार के लिए एक झटका है। सरकार को डर है कि यदि वह फैसला वापस नहीं लेती है तो उस पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाकर विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिशें कर सकती है। गाजियाबाद के जिला प्रशासन द्वारा भी नंदग्राम के डिटेंशन सेंटर के प्रस्ताव को निरस्त करने की पुष्टि की गई है।

दिल्ली के नजदीक गाजियाबाद में बनेगा डिटेंशन सेंटर

दरअसल एक दिन पहले तक जहां सरकार द्वारा गाजियाबाद में डिटेंसन सेंटर बनाये जाने की बात को जोर-शोर से प्रचारित किया जा रहा था वहीं अब उस फैसले को बदलने की बात कही गई है। पिछले काफी दिनों से नंदग्राम में डिटेंशन सेंटर बनाने की प्लानिंग शासन स्तर से की जा रही थी। मगर अब इस पर पूरी तरह विराम लग गया है। बता दें कि नंदग्राम में दलित छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग दो आंबेडकर छात्रावास बनाए गए थे। इनकी क्षमता 408 छात्र-छात्राओं की है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की सरकार के कार्यकाल में इसका 15 जनवरी-211 को उद्घाटन हुआ था। पिछले कई साल से महिला छात्रावास बंद है। देखरेख न होने से इसकी बिल्डिंग भी जर्जर हो चुकी थीं। इस छात्रावास को डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए केंद्र सरकार से बजट जारी हुआ था। इसका निर्माण करने के लिए मेरठ की एक कंपनी को ठेका भी दिया गया था। इसे प्रदेश का पहला डिटेंशन सेंटर बताया जा रहा था, जहां प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को रखा जाना था। इस डिटेंशन सेंटर में अवैध रूप से रहने वाले अप्रवासियों (दूसरे देश से आए नागरिक) को रखने के लिए एक तरह की जेल बनाई जाती। विशेष रूप से इसमें अवैध रूप से भारत में रह रहे बंग्लादेशी और रोहंगिया मुसलमानों को रखा जाना था। जिनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। द फॉरनर्स एक्ट, पासपोर्ट एक्ट का उल्लंंघन करने वाले विदेशी नागरिकों को तब तक इस डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है, जब तक कि उनका प्रत्यर्पण न हो जाए। डिटेंशन सेंटर के भीतर मानवाधिकारों के मुताबिक, कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। फिलहाल देश में असम, दिल्ली, म्हापसा (गोवा), अलवर जेल (राजस्थान), अमृतसर जेल (पंजाब), बेंगलुरु के पास सोंडेकोप्पा (कर्नाटक) में डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं। उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद में पहला डिटेंसन सेंटर बन रहा था।
गाजियाबाद के नंदग्राम स्थित दलित छात्र-छात्राओं के छात्रावास को डिटेंसन सेंटर में तब्दील करने की खबर फैली। इस पर राजनीति शुरू हो गई। बसपा सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी ट्वीट करके छात्रावास की बहाली की मांग उठाई थी। उन्होंने एक बार फिर ट्वीट करते हुए कहा कि गाजियाबाद में बीएसपी सरकार द्वारा निर्मित बहुमंजिला डॉ. अंबेडकर एससी/एसटी छात्र हॉस्टल को अवैध विदेशियों के लिए यूपी के पहले डिटेंशन सेंटर के रूप में कन्वर्ट करना अति-दु:खद व अति-निन्दनीय है। यह सरकार की दलित-विरोधी कार्यशैली का एक और प्रमाण है। सरकार इसे वापस ले बीएसपी की यह मांग है। इससे पहले इस पर राजनीति गर्माती। प्रदेश सरकार ने डिटेंशन सेंटर बनाने का फैसला निरस्त कर दिया हैं।
नंदग्राम स्थित एससी-एसटी छात्राओं के लिए बने छात्रावास की बिल्डिंग में उत्तर प्रदेश का पहला और देश का 12वां डिटेंशन सेंटर बनाने का निर्णय कई माह पहले ले लिया गया था। इसके बाद समाज कल्याण विभाग ने इस बिल्डिंग को गृह मंत्रालय को एनओसी काफी पहले ही दे दी थी। इसके जीर्णोंद्धार का कार्य भी पूरा हो गया है। इस सेंटर को दिल्ली में बने तीन सेंटर की तर्ज पर ही संचालित किया जाना था। इस डिटेंशन सेंटर के संचालन और बजट को लेकर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जल्द एक अहम बैठक होनी थी। मगर अब यह निरस्त कर दिया गया। ऐसे में संभव है कि डिटेंसन सेंटर बनाने की प्लानिंग पर नये सिरे से विचार किया जायेगा।