प्रशासन ने किसानों को दिया धरनास्थल खाली करने का अल्टीमेटम

लाल किला और दिल्ली में हुई हिंसा के बाद किसानों पर लटकी कार्र्रवाई की तलवार

धरनास्थल के आसपास पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तादाद बढ़ाकर किया छावनी में तब्दील

गाजियाबाद। नए कृषि कानूनों के विरोध में करीब दो महीनों ने यूपी गेट और गाजीपुर बॉर्डर डेरा डालकर बैठे किसानों को हटाने के लिए पुलिस ने कमर कस ली है। नए कृषि कानूनों के विरोध के गणतंत्र दिवस पर किसानों द्वारा ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किला और दिल्ली में गई जगहों पर हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलनों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। दिल्ली पुलिस के साथ अब यूपी सरकार भी ऐक्शन मोड में आ गई है। गाजियाबाद जिला प्रशासन ने यूपी गेट धरनास्थल खाली करने के लिए किसानों को अल्टीमेटम दे दिया है जिससे माना जा रहा है कि आज ही धरनास्थल खाली हो सकता है। गुरूवार को हालात का जायजा लेने के लिए जिला अधिकारी अजय शंकर पांडेय, एसएसपी कलानिधि नैथानी, एडीएम शैलेन्द्र सिंह सहित प्रशासन एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद हैं।

धरनास्थल को खाली कराने की जिला प्रशासन द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है। धरनास्थल के आसपास पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तादाद बढ़ाकर छावनी में तब्दील कर दिया है। सुरक्षा बल दोपहर से ही यहां पर फ्लैग मार्च कर रहे हैं। इसके साथ ही धरनास्थल पर बिजली-पानी भी काट दिए गए हैं। प्रशासन किसानों से अपील कर रहा है कि वे अपने-अपने घरों को लौट जाएं। वीरवार दोपहर को मंच पर अपने संबोधन में राकेश टिकैत ने कहा कि अगर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है तो वह गिरफ्तारी देने को तैयार हैं। उन्होंने सरकारी अधिकारियों को मंच पर आने को भी कहा। जिसके बाद शाम को एडीएम सिटी शैलेन्द्र सिंह व एसपी सिटी सेकेंड ज्ञानेन्द्र सिंह उनसे बात करने के लिए आंदोलन स्थल पर पहुंचे। राकेश टिकैत ने उनसे सडक़ खाली करने के आदेश की कॉपी मांगी। इसी दौरान कुछ संगठनों द्वारा किसानों के खिलाफ नारेबाजी व हाई वे खाली करने की मांग की सूचनाएं आने लगीं। जिसके बाद राकेश टिकैत भडक़ गए। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि वह ना गिरफ्तारी देंगे और ना धरना स्थल से हटेंगे। वह गोली खाने को तैयार हैं और अगर उनके साथ जबर्दस्ती की गई तो वह मंच पर ही फांसी लगा लेंगे। अधिकारियों को बैरंग लौटा दिया गया। राकेश टिकैत ने कहा कि जो बात होगी, कल होगी। रात में नहीं होगी। यूपी गेट पर लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के पहुंचने की खबर के बाद से ही माहौल ज्यादा गर्मा गया। राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि भाजपा विधायक और उनके समर्थकों को रास्ते में सरदारों को पीटने का प्लान है। जिसे वह कामयाब नहीं होने देंगे। भाजपा विधायक को साथ लेकर पुलिस-प्रशासन ने गुंडागर्दी का प्लान तैयार किया है। किसान धरना स्थल से नहीं हटेंगे। साथ ही कोई विधायक या कार्यकर्ता यहां आया तो बंधक बना लेंगे। बाद में लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे। वहां अधिकारियों ने विधायक को मनाकर वापस भेज दिया। विधायक ने बताया अगर रविवार तक सभी आंदोलनकारी बॉर्डर से नहीं उठे तो वह खुद बोर्डर खाली कराएंगे।
कम हो रही किसानों की संख्या
दिल्ली में उपद्रवियों के हमले के बाद बुधवार को यूपी गेट पर जारी किसान आंदोलन का नजारा बदला हुआ था। कहीं न कहीं हर किसान के मुंह से एक ही बात निकल रही थी कि जो कुछ हुआ अच्छा नहीं हुआ। सुबह से ही कुछ किसान सामान बांधकर घरों की ओर रवाना होने लगे, इससे मंच पर बैठे किसान नेता भी परेशान रहे। नेता किसानों को समझाते रहे कि उपद्रवियों के पीछे एक साजिश है। इसके साथ ही मृतक किसान को श्रद्धांजलि देने के साथ ही बुधवार को किसान सभा का समापन हुआ। सुबह सात बजे से ही यूपी गेट पर बने फ्लाईओवर के नीचे लगे तंबू उतरने शुरू हो गए। तंबू उतार रहे किसानों से कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को जो हुआ वह गलत था। मंच और आसपास किसानों की संख्या काफी कम दिखी। मंच पर किसान नेताओं ने भाषण तो शुरू किया लेकिन उनका पहला वाक्य ही किसानों को यह समझा रहा था कि उपद्रव करने वाले साजिश के तहत दिल्ली में दाखिल हुए। किसान नेता वीएम सिंह ने आंदोलन से अपने संगठन को अलग कर लिया। इसके बाद किसानों का घरों को लौटना और तेज हो गया। शाम करीब छह बजे तक चालीस फीसद किसान घरों को लौट चुके थे। इसके बाद हाईवे पर लगे तंबू खाली दिखाई दिए।
उपद्रव के बाद आंदोलन से उखडऩे लगे तंबू
दिल्ली में किसानों की आड़ में उपद्रवियों द्वारा किए गए हमले के बाद से यूपी गेट किसान आंदोलन स्थल से तंबू उखडऩा शुरू हो गए हैं। काफी संख्या में किसान मंगलवार रात में ही यहां से घरों को लौट गए, जबकि बुधवार दिनभर भी लौटते हुए नजर आए। गाडिय़ां व ट्रालियां भी सामान से लदी हुई दिखीं।

यूपी गेट पर जिस जोश के साथ आंदोलन स्थल पर आने वाले किसानों के लिए लंगर व भंडारे चल रहे थे। वह कई जगह बंद नजर आए। यहां खान-पान की सेवा में जुटने वालों के चेहरे पर भी कोई उत्साह नजर नहीं आया। कई लंगर व भंडारे का सामान समेटकर तंबू तक उतार लिया गया है। अधिकांश किसान गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए अलग-अलग जगह से काफी संख्या में पहुंचे थे। वह एक या दो दिन के लिए ही आए थे। अब वह वापस घरों को लौट गए हैं। कुछ किसान निजी काम के चलते घर को लौटे हैं, लेकिन वह जल्द ही वापस आ जाएंगे।
दिल्ली से गाजियाबाद लेन दोपहर तक रही बंद
गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली से गाजियाबाद से आने वाले वाहनों के लिए हाईवे की सभी लेन बंद कर दी गई थी। बुधवार को यातायात सामान्य होने की बात सुनकर दिल्ली की ओर से काफी संख्या में वाहन गाजीपुर बार्डर-यूपी गेट हाईवे से होते हुए पहुंच गए।

लेन न खुलने से सैंकड़ों वाहन चालक जाम में फंसे रहे। दोपहर करीब 12.30 बजे एक लेन खोलकर यातायात को सुचारू किया गया। यूपी गेट पर दिल्ली जाने के लिए रास्ते करीब दो माह से बंद हैं। एक लेन पर किसानों ने अपने तंबू के साथ ही आंदोलन स्थल का मंच लगा रखा है। गाजियाबाद की ओर आने-जाने वाले वाहन काफी संख्या में यहां एकत्र हो गए। दोपहर करीब 12.30 बजे यहां एक लेन को वाहनों के लिए खोल दिया गया, जबकि बाकी दो लेन बंद रहीं।