पश्चिमी उत्तर प्रदेश को भाजपा ने किया ब्राह्मण विहीन: बीके शर्मा

गाजियाबाद। विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने कहा कि जब तक ब्राह्मण कांग्रेस के साथ रहे, देश और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और जब कांग्रेस ने ब्राह्मणों को हाशिया में लाने की कोशिश की तो 2 बार मायावती की सरकार बनी और इसके बाद लगातार ब्राह्मण भाजपा का झंडा बुलंद कर रहे है, लेकिन कुछ समय से ऐसा लग रहा है कि भाजपा भी ब्राह्मणों को हाशया पे ला रही है। भाजपा सोचती है कि ओबीसी ही भाजपा को सत्ता में लाने के लिए काफी है, ब्राह्मण तो उनके बंधवा वोटर हो गये, उनकी कहीं और जाने के हैसियत नहीं है। उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में भाजपा की ब्राह्मणों के प्रति सोच खुलके सामने आ गई।

पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को भाजपा ने ब्राह्मण विहीन कर दिया, महापौर सीट एवं बाकि नगर पालिकाओं में ब्राह्मण को एक भी टिकट नहीं दिया गया। इतना ही नही, पार्षदों में भी ब्राह्मणों की हैसियत 5त्न कर दी जबकि ओ बी सी जातियों को अधिकांश टिकट दे दी। इतना ही नहीं, महापौर पद की सीट भी ब्राह्मण से छीन ली। हम किसी व्यक्ति के बारे में बात करने नहीं आये, हम आपके सामने ब्राह्मीण समझ कि बात करने आये है, हम जातिवाद की भी बात करने नहीं आये, हम अपने मान सम्मान की बात करने आए है और हद तो तब हो गई कि जिन 6 ब्राह्मणों को पार्षद पद का टिकट मिला, उनमें से एक कविनगर है, इसमें वैश्य समुदाय के लोगो ने भाजपा के ब्राह्मण प्रत्याशी को हराने के लिए निर्दलीय वैश्य को वोट देने की अपील अखबारों के माध्यम से की और कहा कि वैश्य की सीट ब्राह्मण नहीं ले सकता, तो फिर ब्राह्मण की सीट वैश्य कैसे छीन सकता है। ब्राह्मणों का वोट संख्या वैश्यों से ज़्यादा ही है, कम नहीं है।

दूसरा उदाहरण त्यागी समझ का है, त्यागी समझ को 16 पार्षद की सीट मिली लेकिन फिर भी उन्होंने अख़बार में ज्ञापन चलवा के नोटा दबाने की बात कही। यूपी में ब्राह्मण राजनेता व ब्राह्मण मतदाता का प्रभाव उत्तर प्रदेश की राजनीतिक यात्रा में ब्राह्मण राजनेताओं के प्रभाव को देखे तो इसे ब्राम्हण काल और गैर ब्राम्हण काल में बांट कर देखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश में सत्ता पाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल के ऊपर ब्राह्मण मतदाताओं की कृपा होना जरूरी माना जाता है। प्रदेश में भले ही बाहर 12 फीसदी ब्राह्मण आबादी है। लेकिन इस आबादी का 12 जनपदों की 62 विधानसभा सीटों पर सीधा असर है। जो हार-जीत में निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं।

इन जिलों में वाराणसी, महाराजगंज, गोरखपुर, देवरिया ,भदोही, चंदौली, जौनपुर, बस्ती संतकबीरनगर, अमेठी, बलरामपुर ,कानपुर, प्रयागराज शामिल हैं। इस अवसर पर पंडित जय प्रकाश शर्मा, पंडित जगदीश शर्मा, पंडित राकेश शर्मा, पंडित शिवकुमार शर्मा, पंडित गौरव शर्मा, पंडित प्रेम चंद शास्त्री, पंडित ओमपाल शर्मा, पंडित महेश शर्मा, पंडित राम निवास शर्मा, पंडित सतवीर शर्मा, पंडित महेश कुमार शर्मा मौजूद रहे।