अव्यवस्थित जीवनशैली, खराब खानपान से बढ़ सकती है हार्ट की समस्या: डॉ सिंघानिया

-निशुल्क ह्रदय रोग शिविर में 100 लोगों ने करार्ई जांच, स्वास्थ्य के प्रति लोगों को किया जागरूक

गाजियाबाद। विश्व ह्रदय दिवस पर बुधवार को यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशाम्बी में एक निशुल्क ह्रदय रोग शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें 100 से भी ज्यादा लोगों ने अपने ह्रदय की स्वास्थ्य जांच कराई। शिविर के साथ ही एक जागरूकता व्याख्यान का भी आयोजन किया गया।
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी के प्रिंसिपल इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ असित खन्ना एवं वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ धीरेन्द्र सिंघानिया ने शिविर में आये मरीजों को देखते हुए ह्दय रोगों से बचाव के लिए जागरूक किया। शिविर में रामप्रस्थ आरडब्लूए के प्रेजिडेंट वीपी शर्मा, सूर्य नगर आरडब्लूए के सेक्रेटरी एच एस सोलंकी, जसवंत सिंह सेक्रेटरी चंदरनगर आरडब्लूए, सुधीर श्रीवास्तव, सेके्रटरी शिप्रा सनसिटी, त्रिलोक अरोरा , ट्रेजरार रामपुरी आरडब्लूए, आशीष मेहरा, सेक्रेटरी उदयगिरि टॉवर, कौशाम्बी आरडब्लूए प्रमुख रूप से मौजूद थे।डॉ असित खन्ना ने बताया की 2021 की वर्ल्ड हार्ट डे की थीम यूज हार्ट टू कनेक्ट यानि अपने साथ साथ अपने ह्रदय को भी जुड़ा हुआ रखें। डॉ खन्ना ने बताया कि अब सरकार ने वैधानिक तरीकों से बहुत सारे डिजिटल एप्प को मान्यता दे दी है। जिनके माध्यम से डॉक्टर एवं मरीज दोनों ह्रदय की देखभाल कर सकते हैं और ह्रदय के रोगों से उपचार में मदद पा सकते है। डॉ सिंघानिया ने बताया कि डिजिटल एप्प एवं प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से हम विश्व के किसी भी कोने या किसी भी सुदूर गाँव में रह कर भी अपने ह्रदय की देखभाल कर सकते हैं और अपने ह्रदय रोग चिकित्सक से संपर्क में रह सकते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि ह्रदय को इ-कनेक्ट या डिजिटली कनेक्ट रखने के अनेकों फायदे हैं, जैसे कि हार्ट रेट (ह्रदय गति) बढऩे की निगरानी आसानी से की जा सकती है। डॉक्टरों ने बताया कि हार्ट अटैक को अमूमन गैस की परेशानी समझा जाता रहा है। लेकिन डिजिटल और इंटरनेट के माध्यम से लोग अब जागरूक हो रहे हैं और वे अपने लक्षणों को डिजिटल एप्प पर मिला कर यह निर्णय ले सकते हैं कि उन्हें कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए या नहीं, डॉ सिंघानिया ने कहा यह एक क्रांतिकारी परिवर्तन है। जिससे मरीजों को बहुत फायदा पहुँच रहा है। डॉ असित खन्ना ने कहा कि हमें हृदयाघात से बचने हेतु इमरजेंसी दवाएं और एप्प, हमेशा पाने पास रखनी चाहिए। यदि हृदयाघात की समस्या लगे तो हमेशा मदद के लिए पुकारना चाहिए और खुद कोई भी जोर जबरदस्ती या भारी काम, ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए।
जागरूकता व्याख्यान में डॉक्टरों ने बताया कि अव्यवस्थित जीवनशैली, खराब खानपान, चिंता, मोटापे से कई बीमारियां होती हैं। मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, यूरिक एसिड के साथ ही दिल की बीमारियों का खतरा भी बहुत बढ़ गया है। बदलते समय के साथ युवाओं को भी यह बीमारी अपनी चपेट में ले रही है।