प्रबंधन के खिलाफ गरजे बिजली कर्मचारी, दिखाया जोश

-मुख्य अभियंता कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन

गाजियाबाद। शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन की हठधर्मिता व वादाखिलाफी के विरूद्ध सोमवार को बिजली विभाग के कर्मचारियों ने विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान मुख्य अभियंता (कार्यालय) आरडीसरी राजनगर में धरना-प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी की गई। बाद में चीफ इंजीनियर को ज्ञापन सौंपा गया। राज्य विद्युत परिषद प्राविधिक कर्मचारी संघ के आह्वान पर सोमवार को प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत गाजियाबाद में भी बिजली विभाग के कर्मचारियों ने शक्ति प्रदर्शन किया। प्रदेशव्यापी चरणबद्ध आंदोलन के दूसरे चरण में यह कार्यक्रम किया गया।
संघ के जिलाध्यक्ष मोनू शर्मा ने बताया कि संघ पिछले एक साल से तकनीकी कर्मचारियों की मांगों एवं समस्याओं के समाधान के लिए प्रयासरत है। इसके चलते फरवरी से प्रांतव्यापी चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत की गई थी। सातवें चरण के उपरांत ऊर्जा मंत्री द्वारा हस्तक्षेप किए जाने एवं सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिए जाने पर आंदोलन स्थगित कर दिया गया था। आंदोलन स्थगित होने के बाद 2 बार उप्र पावर कारपोरेशन लि. की अध्यक्षता में ऊर्जा प्रबंधन व संघ प्रतिनिधिमंडल के मध्य द्विपक्षीय वार्ता में संवर्ग की मांगों के संबंध में आम सहमति भी बन गई थी। संघ के जिला पदाधिकारी जिला कार्यवाहक अध्यक्ष अनुज कुमार ने बताया कि शासन स्तर पर भी 29 जुलाई, 12 अगस्त और 5 सितम्बर 2021 को अपर मुख्य सचिव ऊर्जा के साथ संघ प्रतिनिधियों की वार्ता में भी संबंधित मांगों पर सहमति बन गई थी, मगर प्रबंधन शासन की मंशा के विरुद्ध ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक अशांति को उत्पन्न कर रहा है। इससे पूर्व 24 अगस्त 2019 की प्रबंधन से वार्ता एवं समझौता भी 02 वर्षों से लम्बित ही है और सहमती के अनुसार प्रबंधन कार्यवाही नहीं कर रहा है। उन्होंने बताया कि ऊर्जा प्रबन्धन द्वारा बिना समुचित संसाधन व प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित किये तकनीकी कर्मियों पर अन्य संवर्गों के कर्मियों का कार्यभार व दायित्वों को थोपा जा रहा है।
जिला कोषाध्यक्ष लवेश यादव ने बताया कि शीर्ष ऊर्जा प्रबंधन द्वारा निरंतर अपने तकनीकी कर्मियों की जायज मांगों व समस्याओं के प्रति उदासीनता दिखाई जा रही है। प्रबन्धन का यह रवैया न तो कर्मचारी हित में है, न ही उद्योग हित में है और न ही प्रदेश हित में है।जिला सचिव रविंद्र कुमार अर्थला ने बताया कि प्रबंधन की हठधर्मिता व अन्यायपूर्ण नीति के कारण संवर्ग में अत्यंत रोष व्याप्त है। संघ हमेशा शांतिपूर्ण रूप से द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से संवर्ग की जायज मांगों का निवारण चाहता है। मगर प्रबंधन द्वारा विभिन्न द्विपक्षीय वार्ताओं के उपरांत उनके द्वारा कार्यवृतों का क्रियान्वयन किये जाने की बजायें साल भर से परीक्षण के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। उन्होंने बताया कि अगर जल्द ही ऊर्जा प्रबन्धन द्वारा अपनी हठधर्मिता छोड़कर पूर्व में बनी सहमति के अनुसार परिणामी आदेश जारी नहीं किये जाते हैं तो आंदोलन के अग्रिम चरणों/कार्यक्रमों का आयोजित किया जाना संघ की बाध्यता होगी। इस अवसर पर केंद्रीय पदाधिकारी उप महासचिव रामनारायण उपाध्याय, पश्चिमांचल संगठन सचिव अरूण नागर, पश्चिमांचल प्रचार सचिव लक्की झा, क्षेत्रीय कार्यकारणी पदाधिकारी पतंजलि उपाध्याय, धमेंद्र मौर्य, कामेश सक्सेना, के.के. सोलंकी, अनिल पाल, बंशीधर दूबे, अनिल राठी, फजल मौ, घनश्याम सिंह, भगवान दास, संतोष कुमार, रविंद्र मुरादनगर, सरताज मौ., गणेश कुमार, शैलेष द्विवेदी, विनोद कुमार आदि मौजूद रहे।