बढ़ती जनसंख्या पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी समस्या: केके शर्मा

गाजियाबाद। विकास और जनसंख्या का एक-दूसरे से अभिन्न संबंध है वर्तमान में मानव जाति के समक्ष अनेक समस्याएं हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण समस्या पृथ्वी पर बढ़ती जनसंख्या है। विश्व की जनसंख्या प्रतिवर्ष 86 मिलियन की दर से बढ़ रही है। बढ़ती जनसंख्या पर्यावरण के लिए एक समस्या बन गई है। शहरों में बढ़ती हुई जनसंख्या के फलस्वरूप तंग मलिन बस्तियों का जाल बिछाया जा रहा है। इससे पेय जल, मल के निपटारे आदि की समस्याएं बढ़ रही हैं। जनसंख्या वृद्धि से ऊर्जा के परंपरागत साधनों के उपयोग में वृद्धि हुई है। समय पर वर्षा का न होना भंयकर बाढ़, भूकंप, महामारी एवं सूखा पड़ना आदि प्राकृतिक आपदाओं का कारण पर्यावरण का प्रदूषित हो जाना है।

इससे मनुष्य में अनेक प्रकार की बीमारियां फैल रही है, कृषि योग्य भूमि के अनुपजाऊ होने की संभावना बढ़ी है। पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों का अंधाधुंध दोहन है। यदि इस पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई तो भारी संकट उत्पन्न हो सकता है। पिछले कई वर्षों में उद्योगों के साथ-साथ मोटर वाहनों की संख्या तीव्र गति से बढ़ी है। जिसके परिणामस्वरूप वायु एवं ध्वनि प्रदूषण दोनों ने विकराल रूप धारण कर लिया है। उत्तर प्रदेश में मोटर वाहनों की बिक्री तीव्र गति से बढ़ रही है। उक्त बातें सोशल चौकीदार संस्थापक एवं वरिष्ठ समाजसेवी केके शर्मा ने बढ़ती जनसंख्या के मुद्दे पर अपना बयान जारी करते हुए कहीं। उन्होंने कहा बढ़ती जनसंख्या की विकरालता का सीधा प्रभाव प्रकृति पर पड़ता है जो जनसंख्या के आधिक्य से अपना संतुलन बैठाती है और फिर प्रारम्भ होता है असंतुलित प्रकृति का क्रूरतम तांडव जिससे हमारा समस्त जैव मण्डल प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता।

इस बात की चेतावनी आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व माल्थस नामक अर्थशास्त्री ने अपने एक लेख में दी थी। इस लेख में माल्थस ने लिखा है कि यदि आत्मसंयम और कृत्रिम साधनों से बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया गया तो प्रकृति अपने क्रूर हाथों से इसे नियंत्रित करने का प्रयास करेगी। यदि आज हम अपने चारों ओर के वातावरण के संदर्भ में विचार करें तो पाएंगे कि प्रकृति ने अपना क्रोध प्रकट करना प्रारम्भ कर दिया है। आज सबसे बड़ा संकट ग्रीन हाउस प्रभाव से उत्पन्न हुआ है, जिसके प्रभाव से वातावरण के प्रदूषण के साथ पृथ्वी का ताप बढ़ने और समुद्र जल स्तर के ऊपर उठने की भयावह स्थिति उत्पन्न हो रही है।

आज जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है उससे कहीं अधिक तेजी से स्वचालित वाहनों की संख्या बढ़ रही है। फलस्वरूप जो ऑक्सीजन जीवधारियों के प्रयोग में आनी चाहिए वह स्वचालित वाहनों द्वारा प्रयोग में लायी जा रही है और बदले में जीवधारियों को मिल रहा है इन वाहनों द्वारा वायुमण्डलों में छोड़ा गया जहरीला धुँआ जो विभिन्न प्रकार की मानव व्याधियों को जन्म दे रहा है।