प्रोत्साहन राशि ना दिए जाने पर स्वास्थ्य कर्मियों ने काला फीता बांधकर जताया विरोध

-स्वास्थ्य कर्मचारियों के परिवारजनों का भी वैक्सीनेशन कराए जाने की मांग

गाजियाबाद। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के आवाहन पर परिषद की जनपद शाखा ने प्रदेश सरकार से सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि दिए जाने उनके परिवारी जनों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन कराए जाने और कोविड से मृत होने की दशा में उनके आश्रितों को 50 लाख की धनराशि के लिए समय सीमा तय कर तत्काल सहायता उपलब्ध कराने की मांग को लेकर मंगलवार को काला फीता बांंधकर जिला अस्पताल संयुक्त अस्पताल, जिला महिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के पैरामेडिकल व फील्ड स्वास्थ्य कर्मियों ने विरोध जाहिर किया। जिला मंत्री राजकुमार सिंह ने बताया कि प्रांतीय नेतृत्व द्वारा महानिदेशक एवं अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को इस संबंध में पूर्व में ही प्रत्यावेदन दिया जा चुका है लेकिन कर्मचारियों और सरकार के बीच सौहार्द की स्थिति बिगड़ती जा रही है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के विपरीत दिनांक 6 मई 2021 को प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वैश्विक महामारी कोविड-19 के सक्रमित मरीजों के उपचार हेतु केवल कोविड चिकित्सालयों में तैनात चिकित्सकों नर्सों पैरामेडिकल स्टाफ एवं सफाई कर्मियों को मूल वेतन नियत मानदेय पर 25 प्रतिशत तथा कोविड-19 सैंपल की जांच हेतु जांच लैब एवं उनसे संबंधित क्षेत्रों में तैनात लैब टेक्नीशियन डाटा एंट्री ऑपरेटर लैब अटेंडेंट को मूल वेतन मानदेय की धनराशि पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन धनराशि भुगतान किए जाने का शासनादेश निर्गत किया गया है। जबकि नॉन कोविड चिकित्सालयों के कर्मचारी ग्रामीण टीमो के कर्मचारी कोविड से ज्यादा असुरक्षित है और भारी संख्या में संक्रमित हुए है कई ने अपनी शहादत भी दी है। एसपी वर्मा अध्यक्ष डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशसन, अरुण तोमर अध्यक्ष लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन, श्रीमती हिना विक्टर अध्यक्ष राजकीय नर्सेज संघ ने विरोध प्रदर्शन में भाग लेते हुए बताया की ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर जिला चिकित्सालय तक जिन्हें नान कोविड चिकित्सालय कहा जाता है। वहां पर अचिन्हित मरीज लगातार आ रहे हैं उनकी जांच कराए जाने पर ज्यादातर मरीज पॉजिटिव आ जाते हैं। वही औषधि काउंटर पर भी फीवर के मरीजों को दवाएं प्रदान प्रदान की जा रही हैं। इंजेक्शन नियमित लग रहे हैं, इससे संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है और यही कारण है कि नान कोविड अस्पतालों में संक्रमित होने वाले कर्मचारियों की संख्या कोविड चिकित्सालयों से ज्यादा है। वही आंकड़ों के द्वारा यह भी देखा जा सकता है कि जिन कर्मचारियों की मृत्यु हुई है वह ज्यादातर नान-कोविड में कार्य कर रहे थे। ऐसे समय में प्रोत्साहन राशि से उन्हें वंचित किया जाना बिल्कुल ही उचित प्रतीत नहीं होता। श्रीमती संतोष मालिक अध्यक्ष मातृ शिशु कल्याण महिला कर्मचारी संघ ने बताया की भारत के सभी कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर के रूप में उन्हें सबसे पहले टीकाकरण किया गया परंतु कर्मचारियों के परिवार के लोग अभी तक टीकाकरण से वंचित है। वर्तमान परिवेश में चिकित्सा स्वास्थ शिक्षा परिवार कल्याण का प्रत्येक कर्मचारी किसी न किसी दशा में कोविड ड्यूटी सम्पादित कर रहा है और उसके साथ इस प्रकार का भेदभाव पूर्ण रवैया कर्मचारियों के मनोबल को कमजोर कर रहा है।