मंत्री जी बिना पेंशन कैसे कटेगा बुढापा, हाथ में काली पट्टी बांधकर शिक्षकों ने मनाया ब्लैक डे

अटेवा/ एनएमओपीएस के आवाहन शिक्षक, विभिन्न कर्मचारियों ने एक स्वर में बुलंद की आवाज

गाजियाबाद। नई पेंशन के विरोध में शिक्षकों और कर्मचारियों ने 1 अप्रैल शनिवार को काली पट्टी बांधकर विरोध जाहिर करते हुए काला दिवस मनाया। अटेवा जिला अध्यक्ष मनीष शर्मा ने बताया कि आज ही के दिन एक अप्रैल 2005 से पूरे प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था। तत्कालीन सरकार द्वारा कर्मचारियों को नई पेंशन योजना को मनमाने तरीके से थोप दिया गया था। तब से लगातार शिक्षक, शिक्षिकाएं और कर्मचारी नई पेंशन योजना का विरोध करते आ रहे है और पुरानी पेंशन योजना के समर्थन में कई बार धरना-प्रदर्शन कर अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया गया। मगर अभी तक उत्तर प्रदेश की सरकार हमारी मांगों को अनसुना कर रही है। इसी क्रम में आज अटेवा/ एनएमओपीएस के आवाहन पर पूरे प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना के समर्थन में और नई पेंशन योजना के विरोध में समस्त कर्मचारियों, शिक्षक एवं शिक्षिकाओं ने काली पट्टी बांधकर विरोध किया गया।

1 अप्रैल 2005 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ओपीएस पुरानी पेंशन योजना बंद करके एनपीएस शेयर बाजारू व्यवस्था लागू की गई। जो कि शिक्षक, कर्मचारी एवम् अधिकारियो के लिए हितकर नहीं है। उन्होंने कहा पिछले कई वर्षों से शिक्षकों कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग बढ़ती जा रही है और इसके लिए अटेवा प्रदेश से लेकर देश के विभिन्न राज्यों में आंदोलन चला रहा है, प्रदेश के कुछ राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल होने से उत्तर प्रदेश में भी पुरानी पेंशन बहाली की मांग जोर पकड़ती जा रही है। ट्विटर ,फेसबुक एवं अन्य सोशल मीडिया पर सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की योजना बहाल करने की मांग की गई।

जिलाध्यक्ष ने कहा कई राज्यों ने ओल्ड पेंशन लागू कर दी है, लेकिन यूपी सरकार इसे लागू करने को लेकर बात करने को भी तैयार नहीं है। लाखों कर्मचारी अपने बुढ़ापे की फिक्र कर रहे हैं कि रिटायर होने के बाद उनका क्या होगा। जनप्रतिनिधि तो पुरानी पेंशन का लाभ आज भी उठा रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों के लिए एनपीएस लागू कर रखी है जबकि ओपीएस लागू की जाना चाहिए। इस अभियान में बेसिक शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, सिंचाई विभाग, नर्सिंग स्टाफ, पीडब्ल्यूडी, आवास विकास परिषद, लेखपाल संघ, जीडीए, बिजली विभाग के साथ-साथ सैकड़ों विभागों ने ओपीएस की मांग की।