अवैध कॉलोनियों की जिले में बढ़ी संख्या, जीडीए के 5 हजार मकान जर्जर

मूसलाधार बारिश के बाद कॉलोनी में ही पानी भरने से मकानों को खतरा बना

गाजियाबाद। जिले में अनाधिकृत रूप से बसाई जा रही अवैध कॉलोनी तेजी से बढ़ रही है। इन अवैध कॉलोनियों में पानी,सीवर आदि की व्यवस्था न होने से बारिश के बाद जलभराव की समस्या है। मूसलाधार बारिश के बाद कॉलोनी में ही पानी भरने से मकानों को खतरा बन रहा है। वहीं, जीडीए के भी करीब पांच हजार मकान जर्जर हैं। इनमें रहने वाले लोगों के बीच दहशत का माहौल है। जीडीए के सभी 8 जोन क्षेत्र अंतर्गत इनमें अवैध कॉलोनियों को लेकर जीडीए द्वारा सर्वे कराया गया था। सर्वे के अनुसार जीडीए सीमा क्षेत्र में 321 अवैध कॉलोनी हैं।

जबकि लोगों के अनुमान के मुताबिक अवैध कॉलोनियों की संख्या 350 से अधिक है। इनमें ज्यादातर अवैध कॉलोनियों में पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं हैं। ऐसे में मूसलाधार बारिश का पानी इन अवैध कॉलोनियों में भरा रहता है। निर्मित मकानों की नींव में जाता है। इससे यहां रहने वाले लोगों को खतरा बना रहता है। वहीं,जीडीए की विभिन्न योजनाओं में तीन और चार मंजिला ईडब्ल्यूएस और एलआईजी फ्लैट बनाए हैं। यहां पर निम्न और मध्यम वर्ग के करीब पांच हजार मकान मुख्य रूप से विजयनगर, प्रताप विहार, नंदग्राम, तुलसी निकेतन, स्वर्णजयंतीपुरम, मधुबन-बापूधाम योजना, पटेलनगर, लाजपतनगर आदि योजना में बने हैं। इन फ्लैट की उचित तरीके से देखरेख नहीं होने के कारण इनमें से ज्यादातर मकान जर्जर हो चुके हैं। इनका प्लास्टर छूटकर गिर चुका है। ईंट नजर आने लगी है। कई मकानों की ईंट तक झडऩे लगी है। ऐसे में इन मकानों को असुरक्षित तक घोषित किया जा चुका है। लेकिन इसके बाद भी इन मकानों में लोग रह रहे हैं।

जीडीए के सभी 8 जोन में प्रवर्तन टीम हैं। प्रत्येक जोन में प्रवर्तन प्रभारी,सहायक अभियंता,अवर अभियंता, सुपरवाइजर तैनात हैं। यह टीम जोन में अवैध निर्माण और स्वीकृत नक्शे के विपरीत निर्माण करने पर नजर रखती है। ऑडिट टीम की जांच के दौरान 31 मार्च-2017 तक जीडीए 7406 अवैध निर्माण चिन्हित किए थे। जो 31 मार्च-2022 तक बढ़कर इनकी संख्या-14,170 तक हो गई। ऐसे में जीडीए सीमा क्षेत्र में तेजी से अवैध कॉलोनी व अवैध निर्माण बढ़ रहे हैं। जीडीए ने वर्ष-1988-90 में तुलसी निकेतन योजना बसाई थीं। यहां पर चार मंजिला 2004 ईडब्ल्यूएस और 288 एलआईजी मकान हैं। कुल 2292 फ्लैट में 15 हजार से अधिक आबादी रहती है। इसके ज्यादातर भवन जर्जर हो चुके हैं। इस कारण इन फ्लैट में रहने वाले लोगों को खतरा बना हुआ है। वहीं,विजयनगर योजना के कई ब्लॉक में चार हजार से अधिक ईडब्ल्यूएस व एलआईजी फ्लैट बने हुए हैं। करीब 30 साल पहले यहां पर इन मकानों का निर्माण शुरू किया गया था।

नंदग्राम योजना के एल और ई ब्लॉक में एलआईजी,ईडब्ल्यूएस के 2400 मकान है। प्रताप विहार सेक्टर-11,स्वर्ण जयंतीपुरम में करीब 400,पटेलनगर सेकेंड में 250 से अधिक जर्जर मकान है। जीडीए के प्रभारी चीफ इंजीनियर मानवेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि जीडीए के प्रवर्तन अनुभाग की टीमें अवैध निर्माण व अवैध कॉलोनियों में लगातार ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर रही है।जीडीए के जो भी जर्जर मकान है। उन्हें असुरक्षित घोषित किया जा चुका है। इनमें रहने वाले लोगों को इन भवनों को खाली करने के लिए नोटिस भी भेजे जा चुके हैं। मगर लोग जर्जर मकानों को खाली नहीं कर रहे है। इन्हें नोटिस भेजकर मकान खाली कराए जाएंगे।