गाजियाबाद। नगर निगम की बोर्ड बैठक में शनिवार को आपत्तिजनक बयान देने पर भाजपा पार्षद को सदन से बाहर निकालने का आदेश दे दिया गया। बाद में पार्षद को माफी मांगनी पड़ी। तब जाकर मामला शांत हो सका। इस मुद्दे पर पार्षद को खुद अपनी ही पार्टी के पार्षदों के विरोध का सामना करना पड़ा। शोर-शराबा मचने पर महापौर भी भड़क गईं। बोर्ड बैठक में बजट प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी। सभी पार्षद अपनी-अपनी बात रख रहे थे। इस बीच सूर्यनगर से भाजपा पार्षद एसके माहेश्वरी ने भी अपनी बात को रखने का प्रयास किया। ठेकेदारों के भ्रष्टाचार से खफा पार्षद माहेश्वरी ने खूब भड़ास निकाली। नगर निगम की सदन की बजट बैठक में उस दौरान जबरदस्त हंगामा हो गया जब बीजेपी के ही पार्षद श्री कुमार माहेश्वरी ने सवाल उठाया कि इन दिनों बीजेपी के ही कुछ नेता निगम में ठेकेदारी कर रहे है। गलत काम किए जाने की आपत्ति जताए जाने पर भारी भरकम दबाव बनाया जाता है। माहेश्वरी की टिप्पणी पर बीजेपी के ज्यादातर पार्षदों ने न केवल महापौर के मंच तक आ गए तथा सदन बैठक से माहेश्वारी को बाहर किए जाने का दबाव बनाया गया। एसके माहेश्वरी ने यह तक बोल दिया कि भाजपा के ठेकेदार भ्रष्ट हैं। उनका इतना कहना था कि सदन में मौजूद भाजपा के ही पार्षदों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आधा दर्जन से ज्यादा पार्षद उत्तेजित होकर महापौर आशा शर्मा और नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर के पास तक पहुंच गए। इन पार्षदों ने एसके माहेश्वरी पर सदन की गरिमा से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। पार्षदों ने कहा कि जब तक माहेश्वरी को सदन से बाहर नहीं किया जाता तब तक बैठक में आगे की कार्यवाही चलने नहीं दी जाएगी।
ऐसे में महापौर आशा शर्मा भी लाल-पीली हो गईं। उन्होंने पार्षद माहेश्वरी को आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने पर सदन से बाहर करने का आदेश दे दिया। विवाद बढ़ता देख पार्षद को अपनी गलती का अहसास हो गया। नतीजन माहेश्वरी ने अपने बयान के लिए माफी मांग ली। तब जाकर मामला शांत हो सका। पार्षद राजीव शर्मा ने इस मुद्दे को मुखरता से उठाकर माहेश्वरी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। मामला शांत होने के बाद सदन की कार्रवाई आगे बढ़ सकी।