90 मीटर से बड़े प्लॉटों पर पार्किंग व चार मंजिल फ्लोर बनाने की मांग ने फिर पकड़ा जोर

-मुख्यमंत्री मुख्य सचिव, शासन आवास एवं शहरी नियोजन मुख्य सचिव जीडीए को लिखा पत्र
-इंदिरापुरम, वैशाली, कौशांबी, शालीमार गार्डन, राजेंद्र नगर में ट्रांस हिंडन बिल्डर एसोसिएशन ने उठाई मांग

गाजियाबाद। इंदिरापुरम ,वैशाली, कौशांबी ,शालीमार गार्डन, राजेंद्र नगर एवं समस्त ट्रांस हिंडन क्षेत्र में 90 मीटर से बड़े प्लॉटों पर पार्किंग के साथ चार मंजिल फ्लोर बनाने के लिए अनुमति देने की मांग रही है। लगातार 2019 से शासन और प्रशासन को ट्रांस हिंडन बिल्डर वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा पत्र के माध्यम से अवगत कराने के बाद भी आज तक कोई सुनवाई नही हो रही है। शासन और प्रशासन की नितियों से आहत शनिवार को एक बार फिर ट्रांस हिंडन बिल्डर वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन प्रदीप गुप्ता ने मुख्यमंत्री मुख्य सचिव, शासन आवास एवं शहरी नियोजन मुख्य सचिव एवं गाजियाबाद विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष को पत्र भेजते हुए छोटे बिल्डरों को राहत देने की मांग की।

उन्होंने बताया गाजियाबाद एक स्मार्ट सिटी है और यहां के ट्रांस हिंडन क्षेत्र में अधिकतम जनसंख्या दिल्ली में नौकरी या व्यापार करती है। दिल्ली की तरह ट्रांस हिण्डन क्षेत्र में भी जमीनों की दाम बहुत महंगे है। मगर यहां पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा सिंगल यूनिट के प्लॉट आवंटित किए जाने के कारण तथा उनमें डेढ़ सौ मीटर तक के प्लॉट पर पार्किंग का प्रावधान ना होने के चलते यहां के निवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विगत 20 वर्षों में जहां एक और गाजियाबाद में बड़े प्लॉटों की (सोसायटी के प्लॉटों की) एफएआर बढ़ाई गई है। परंतु वहीं दूसरी ओर छोटे प्लॉट वालों के साथ हमेशा ही सौतेला व्यवहार रहा है। उनकी एफएआर बढ़ाने के स्थान पर निरंतर कम होती जा रही है। महंगी जमीन को देखते हुए आम आदमी को कम कीमत में मकान उपलब्ध हो सकें, इसी को ध्यान में रखते हुए 2014 में यहां पर पार्किंग के साथ चार मंजिल का प्रावधान किया गया था।

जिसमें एफएआर बढ़ाकर 3 की गई थी, परंतु 2017 में यहां पर दोबारा से एफएआर कम कर दी गई और डेढ़ सौ मीटर तक पार्किंग को भी खत्म कर दिया गया। प्रदीप गुप्ता ने कहा अगर इसी तरह छोटे बिल्डरों को शोषण होता रहा तो आम आदमी को आवास देने का प्रधानमंत्री मोदी जी का सपना कैसे पूरा होगा। जीडीए भी कार्रवाई बिल्डर तैयार होने के पश्चात करता है। अगर बिल्डिंग अवैध है तो उसके निर्माण से पहले ही उसे रोका जाए। न कि बिल्डिग़ तैयार होने के बाद। छोटी बिल्डिग़ तैयार करने में भी कम से कम 15 से 20 लाख रुपए की लागत लगती है। बाद में जीडीए उसे अवैध बताकर पल भर में ध्वस्त कर देता है।

उन्होंने बताया कि 15 से 20 वर्षों से आवासीय प्लॉट पर फ्लैट बनाने का कल्चरल है। इसमें काफी मात्रा में छोटे-छोटे बिल्डर लगे हुए हैं और लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। जिसके चलते आम आदमी को सस्ती कीमत में मकान उपलब्ध हो पा रहा है। जिसको रोका जाना उचित ही नहीं तर्कसंगत भी नहीं है। गाजियाबाद के ट्रांस हिंडन एरिया में दिल्ली और हरियाणा की तरह 90 मीटर से ऊपर के प्लाट पर पार्किंग के साथ चार मंजिल बनाने का प्रावधान लागू करवाने की व्यवस्था की जाए। जिससे यहां का समुचित विकास संभव हो पाएगा तथा सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी होगी। छोटे-छोटे बिल्डरों के साथ लाखों लोगों को रोजगार मिल पाएगा और आम आदमी का सस्ती कीमत में मकान लेने का सपना भी पूरा हो पाएगा।