साहिबाबाद गांव वार्ड 40 में नए उम्मीदवार की दस्तक से उम्मीदवारों मचा हड़कंप

गाजियाबाद। नगर निगम-नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत यानी निकाय चुनाव नवंबर अंत या दिसंबर में प्रस्तावित है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा भले ही अभी तक चुनावों की तारीख की घोषणा नहीं की हो। मगर लोकसभा-2024 के आम चुनाव से पहले यह सेमीफाइनल माने जा रहे नगरीय निकाय चुनाव को लेकर राजनैतिक पार्टी के नेताओं ने एक बार फिर पूरे दमखम के साथ चुनावी अखाड़े में उतरने के लिए तैयार हैं।

नगर निगम में इस बार 100 वार्डों में पार्षद का चुनाव होगा। पार्षद पद के सभी दावेदारों की नजर वार्डों के आरक्षण पर लगी हुई है। दावेदार अपने-अपने अनुसार वार्डों में आरक्षण लागू कराने के लिए नगर निगम के अधिकारियों का चक्कर काटना शुरू कर दिया है। अभी किसी भी राजनैतिक दल ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है जिस कारण एक-एक दल से कई लोग वार्ड में व्यक्तिगत रूप से प्रचार प्रसार कर रहे हैं। इसके साथ ही जिन लोगों के वोट किसी कारण से मतदाता सूची से कट गए हैं या नए जुड़वाने हैं वे बड़ी संख्या में सरकारी कार्यालय पहुंचकर वोट बढ़वाने का आवेदन कर रहे हैं। तो कोई वोट बढ़ाने के नाम पर फर्जी वोट बनाने का काम कर रहे है। कोई होर्डिंग लगाकर अपना प्रचार कर रहा है तो कोई चुनाव जीतने से पहले ही क्षेत्र का कार्य करा रहा है। जिससे लोगों का वोट मिल सकं। हालांकि संभावनाओं की उम्मीद पर कुछ दावेदार जोड़ तोड़ में जुट गए हैं।

वहीं इस बार नगर निकाय चुनाव में साहिबाबाद गांव वार्ड-40 में सभी दावेदारों के बीच एक नया चेहरा उभर कर सामने आया है। इस नए चेहरे की दस्तक के बाद से क्षेत्र में पार्षद पद की दावेदारी कर रहे अन्य प्रत्याशियों में खलबली सी मच गई है। हालांकि अभी तक सभी वार्डों में किसी भी प्रत्याशी का नाम पार्टी से फाइनल नही हुआ है। लेकिन इसके बाद भी पुराने दावेदारों के साथ कुछ नए दावेदार भी मैदान में कूद गए है। साहिबाबाद गांव वार्ड-40 से सुषमा शर्मा का नाम पार्षद पद के लिए उभर कर सामने आ रहा है। सुषमा शर्मा का नाम भले ही लोगों को सुनने में नया लगे। मगर उनके वर्चस्व और लोकप्रियता के चलते कुछ दावेदारों ने पहले ही हार माननी शुरु कर दी है। सुषमा शर्मा वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व पार्षद पंडि़त गणेश दत्त की पुत्रवधु है। पंडि़त गणेश दत्त 1989 के पार्षदी चुनाव में रिकार्डतोड़ वोटों से जीत हासिल कर लोहा मनवा चुके है। 1995 में कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्होंने राजनीति से मुंह मोड़ लिया और परिवारिक जीवन पर ध्यान देने लगे। उनकी लोकप्रियता आज भी उतनी है, जिनती पहले थी। अपने सौम्य व्यवहार के चलते ही ग्रहणी सुषमा शर्मा के नाम से ही क्षेत्र के लोगों में भी खुशी का माहौल है। पार्षद नगर निगम चुनाव को लेकर सुषमा शर्मा का कहना है कि उन्हें राजनीति से दूर रहना है। उनका चुनाव लडऩे का कोई मन नही है। लेकिन क्षेत्र के लोग उन्हें चुनाव लड़वाना चाहते है।

अगर किसी पार्टी से टिकत मिलता है तो जरुर लोगों की भलाई के लिए वह चुनाव लड़ेगी। क्योंकि क्षेत्र में आज भी मूलभूत सुविधाओं का आभाव है। क्षेत्र के विकास की अगर बात की जाए तो कहीं न कहीं विकास के मामले में साहिबाबाद गांव आज भी पीछे है। यह हाल तब है, जब भाजपा की मेयर है और पार्षद भी है। तब भी कोई विकास नही हुआ है। पार्षद का नैतिक काम है, क्षेत्र का विकास करना और क्षेत्र की जनता की समस्या का समाधान करना। आज भी क्षेत्र के लोग किसी भी समस्या के लिए पार्षद के पास न जाकर मेरे ससुर पंडित गणेश दत्त के पास आते है। क्योंकि उन्हें विश्वास है, उनकी समस्या का हल यहां से हो सकता है। यहीं कारण है कि क्षेत्र के लोग ही चुनाव लड़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है। अगर चुनाव में खड़ी हुई तो मेरी प्राथमिकता क्षेत्र का विकास करना है और क्षेत्र के लोगों को हर सुविधा का लाभ दिलाया जाएगा, जिनकी उन्हें जरुरत है। हमारा प्रचार ही क्षेत्र के लोग है। बता दें कि सूत्रों का कहना है कि पार्षद हिमांशु चौधरी भी फिर से दावेदारी में लगे है। लेकिन क्षेत्र में विकास कार्य न होने से लोगों में उनके प्रति आक्रोश है।