निगम अधिकारियों और कर्मचारियों में होगा टकराव ? पर्दे के पीछे से कई लोग दे रहे विवाद को हवा

गाजियाबाद नगर निगम में कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच परस्पर सहयोग की भावना रही है और दोनों एक दूसरे के साथ हर मुद्दे पर साथ खड़े रहे हैं। नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ ने भी सभी स्पष्ट कर दिया है कि उनके लिए नगर निगम का हित सर्वोपरि है। डॉ. नितिन गौड़ ने निगम की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई कारगर कदम उठाये हैं। सिर्फ डेढ़ महीने में नगर निगम की देनदारी को 33 करोड़ कम कर दिया। नगर आयुक्त ने विकास कार्यों को प्रभावित किये बिना नगर निगम की अर्थव्यवस्था को संभालने में सफल होते नजर आ रहे हैं। नगर आयुक्त ने फिजूलखर्ची पर पूर्ण विराम लगाया है। नगर आयुक्त के निर्देशानुसार निगम अधिकारियों के काम का ढ़र्रा भी बदला है। नितिन गौड़ की कार्यशैली से कई लोगों के निजी हित प्रभावित हुए हैं। ऐसे में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि निगम कर्मचारियों और अधिकारियों के विवाद को हवा दी जा रही है। कई ऐसे लोग हैं जो चाहते हैं कि नगर निगम में हड़ताल हो और उसमें वह अपनी रोटी सेक सकें। दरअसल ऐसे लोग कांटे से कांटा निकालने की नीति पर अमल करते हुए विवाद को तूल दे रहे हैं। बहरहाल संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही विवाद समाप्त हो जाएगा। लेकिन देखना होगा कि विवाद समाप्त होता है या फिर मामला आगे बढ़ता है।

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। पिछले कुछ दिनों से गाजियाबाद नगर निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच एक स्पष्टीकरण को लेकर जारी हुआ चिट्ठी सुर्खियों में है। हालांकि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। पूर्व में भी कई बार ऐसा हुआ है और बाद में बातचीत के बाद मामला शांत हो जाता है। लेकिन इस बार राजनीति कुछ अधिक गर्माया हुआ है। हालांकि निगम अधिकारियों एवं कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों के बीच इस मुद्दे पर वार्ता भी हुई है और संभवत: यह विवाद जल्द सुल­ा जाएगा। लेकिन कई ऐसे लोग हैं जो इस विवाद को हवा दे रहे हैं। पर्दे के पीछे राजनीति करने वालों की मंशा है कि विवाद बढ़े और कांटे से कांटा निकालने की उनकी मंशा सफल हो। ऐसे में देखना होगा कि कर्मचारी यूनियन और निगम अधिकारियों का विवाद आगे बढ़ता है या फिर मामला शांत होता है।
विदित हो कि चार दिन पहले नगर निगम के प्रथम श्रेणी लिपिक (विज्ञापन एवं बीओटी) नितिन भारद्वाज को एक मामले में स्पष्टीकरण जारी हुआ था। नितिन भारद्वाज गाजियाबाद नगर निगम कर्मचारी यूनियन के महामंत्री हैं। इस कारण से कर्मचारियों में रोष अधिक है। स्पष्टीकरण के विरोध में कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रविंद्र कुमार ने नगर आयुक्त को एक पत्र भेजा है। जिसमें नगर निगम में कर्मचारियों की कमी एवं कर्मचारियोें पर काम की अधिकता का दवाब सहित अन्य समस्याओं का जिक्र करते हुए स्पष्टीकरण की कार्रवाई रोकने की मांग की गई है। कर्मचारी यूनियन ने मांगें नहीं माने जाने पर मंगलवार से कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी हैै। हालांकि कर्मचारी यूनियन का यह कर्तव्य और दायित्व है कि वह कर्मचारियों के हित की बात करे। निगम अधिकारी भी इस बात को मानते हैैं कि कर्मचारियों पर काम का दबाव है। लेकिन नगर निगम के कामकाज का समय से संपादन करना भी जरूरी है। कर्मचारी यूनियन के कुछ प्रतिनिधियों एवं निगम अधिकारियों के बीच इस बात पर बातचीत हुई है और जल्द ही मामला सुल­ा जाने की उम्मीद की जा रही है। गाजियाबाद नगर निगम में कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच परस्पर सहयोग की भावना रही है और दोनों एक दूसरे के साथ हर मुद्दे पर साथ खड़े रहे हैं। नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ ने भी सभी स्पष्ट कर दिया है कि उनके लिए नगर निगम का हित सर्वोपरि है। डॉ. नितिन गौड़ ने निगम की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई कारगर कदम उठाये हैं। सिर्फ डेढ़ महीने में नगर निगम की देनदारी को 33 करोड़ कम कर दिया। नगर आयुक्त ने विकास कार्यों को प्रभावित किये बिना नगर निगम की अर्थव्यवस्था को संभालने में सफल होते नजर आ रहे हैं। नगर आयुक्त ने फिजूलखर्ची पर पूर्ण विराम लगाया है। नगर आयुक्त के निर्देशानुसार निगम अधिकारियों का काम ढ़र्रा भी बदला है। नितिन गौड़ की कार्यशैली से कई लोगों के निजी हित प्रभावित हुए हैं। ऐसे में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि निगम कर्मचारियों और अधिकारियों के विवाद को हवा दी जा रही है। कई ऐसे लोग हैं जो चाहते हैं कि नगर निगम में हड़ताल हो और उसमें वह अपनी रोटी सेक सकें। दरअसल ऐसे लोग कांटे से कांटा निकालने की नीति पर अमल करते हुए विवाद को तूल दे रहे हैं। बहरहाल संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही विवाद समाप्त हो जाएगा। लेकिन देखना होगा कि विवाद समाप्त होता है या फिर मामला आगे बढ़ता है।