मशहूर अभिनेता गोविंदा से मुलाकात, तरुण मिश्र के विचारों ने ची-ची को किया प्रभावित

जयपुर। भारतीय सिनेमा ने आजादी के बाद ढेरों जिम्मेदारियां निभाई हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है अपनी धरोहर को विश्व पटल पर पहचान दिलाना। रोजगार एवं इंडस्ट्री के विकास में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही रूप से भारतीय सिनेमा ने अपना योगदान दिया है। भारतीय सिनेमा का इतिहास 100 साल से भी पुराना है, मगर आज दौर बिल्कुल बदल गया है। 75 सालों में सिनेमा का रंग-रूप इतना बदला कि मानो इस पर एक अलग से फिल्म बनाई जा सकती है। फिल्म की कहानी, गीत, संगीत, पटकथा, तकनीक कई मामलों में सिनेमा में काफी बदलाव आया, मगर अब जो दौर चल रहा है, वह समाज से बिल्कुल परे है। क्योंकि पूर्व की फिल्मों में जिस तरह से हिंदू देवी-देवता को सम्मानजनक तरीके से पेश किया जाता था, वह अब नहीं है। पहले के दशक में परिवार के साथ फिल्म देख सकते थे, मगर अब फिल्म देखने से भी डर लगता है। यह बातें अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण मिश्र ने राजस्थान के होटल में भारतीय हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार एवं पूर्व सांसद गोविंदा से मुलाकात के दौरान कहीं। राज्य में गठित ब्राह्मण कल्याण बोर्ड को लेकर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र से चर्चा के दौरान राष्ट्रीय महामंत्री तरुण मिश्र की मुलाकात मशहूर एक्टर गोविंदा से हुई। उनकी बातों को सुनकर गोविंदा ने उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिए अपने होटल पर बुलाया।

जिसके बाद अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण मिश्र ने करीब एक घंटा गोविंदा से होटल में फिल्मी जगत और हिंदू देवी-देवताओं के अपमान एवं भारतीय संस्कृति को लेकर चर्चा की। तरुण मिश्र ने कहा पूर्व की फिल्मों में भारतीय संस्कृति की एक अनोखी कला झलकती थी। मगर अब की फिल्मों से भारतीय संस्कृति की छवि धूमिल हो रही है।
90 के दशक में जान से प्यारा (1992), खुद्दार (1994), आंखें (1993), राजा बाबू (1994), दीवाना मस्ताना (1997), आंदोलन, कुली नंबर-1 (1995), हीरो नंबर-1 (1997), दुल्हे राजा (1998) और बड़े मियां छोटे मियां (1998), स्वर्ग (1990) जैसी फिल्मों में आपका अभिनय प्रशंसनीय था। मगर अब की फिल्मों में जिस तरह से अश्लीलता परोसी जा रही है, उससे कहीं न कहीं आज का युवा भटक गया है। क्योंकि जिस तरह फिल्म में पहले परिवार की एकजुटता, देश के प्रति सेवाभाव को दर्शाया जाता था, अब उसी का कहीं न कहीं मजाक उड़ाया जा रहा है। क्योंकि आज के दौर में हम अपने परिवार के साथ बैठकर सिनेम में फिल्म नहीं देख सकते हैं। वहीं, अब देवी- देवताओं का अपमान कर हिंदू धर्म की आस्था के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। यह बेहद गलत है।

तरुण मिश्र ने कहा कि फिल्म जगत में गोविंदा जी ने हर एक क्षेत्र में अपने हुनर का लोहा मनवाया है। इसी काबिलियत के बल पर उन्हें भारतीय फिल्म जगत से कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। बेहद सरल स्वभाव एवं बातों के धनी गोविंदा का जीवन सादगी भरा है। इस दौरान गोविंदा की पत्नी सुनीता आहूजा ने भी तरुण मिश्र की बातों को सुनकर उनका समर्थन किया। वहीं, अभिनेता गोविंदा ने राष्ट्रीय महामंत्री तरुण मिश्र की बातों को सुनकर कहा कि जिस तरह से दौर बदल रहा है, उसी तरह से फिल्म जगत का चित्र भी बदल रहा है। साथ ही कलाकार भी अब वह नहीं रहे, न ही वह एक्टिंग रही। समय के अनुसार इंसान को बदलना चाहिए, परन्तु हिंदू देवी-देवताओं के अपमान का मैं विरोध करता हूं। मेरे फिल्मी करियर में जो भी फिल्में बनीं, उसमें लोगों की भावनाओं का विशेष ख्याल रखा गया। भारतीय हिंदी सिनेमा वही दिखाता है, जो आज के दौर में चल रहा है।