मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर लगी शासन की मुहर

– प्रथम चरण में 200 हेक्टेयर में मूर्त रूप लेगी, विकसित करने में अनुमानित रूप से खर्च होंगे 1040 करोड़ रुपए

ग्रेटर नोएडा। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में औद्योगिक विकास के साथ-साथ लोगों के लिए नौकरियों और कारोबार की सौगात मिलेगी। प्राधिकरण क्षेत्र में बड़ी परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है। जिससे आने वाले समय में लाखों लोगों के लिए नौकरियां और कारोबार के सुगम अवसर उपलब्ध होंगे। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में विकसित होने वाली मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर शुक्रवार को शासन ने अपनी मुहर लगा दी है। मल्टी मॉडल लॉजिस्टक पार्क क्षेत्र में औद्योगिक विकास और रोजगार उपलब्ध कराने के साथ देश की जीडीपी को बढ़ाने में भी बड़ा योगदान मिलेगा। पीपीपी मॉडल पर बनने वाले लॉजिस्टक पार्क के डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को लेकर चर्चा हुई। यह परियोजना प्रथम चरण में 200 हेक्टेयर में मूर्त रूप लेगी और इसे विकसित करने में अनुमानित रूप से 1040 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यमुना प्राधिकरण के दूसरे चरण के मास्टर प्लान में टप्पल में एमएमएलपी विकसित किया जाना है। यह परियोजना 1600 हेक्टेयर में पूरी होगी। पहले चरण में 200 हेक्टेयर में यह परियोजना आएगी। इसके विकास में 1040 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस परियोजना में वेयरहाउसिंग, साइलो (स्टोरेज के लिए), कंटेनर यार्ड और रेल जोन बनाए जाएंगे। यमुना एक्सप्रेसवे से यह पार्क 6 किलोमीटर दूर है।

ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे यहां से 21 किलोमीटर की दूरी पर है। इस साइट से स्टेट हाइवे 22 गुजरता है। इसके अलावा एनएच-2 और यमुना एक्सप्रेसवे के बीच रोड बनाई जाएगी। लॉजिस्टिक पार्क के लिए दनकौर-सिकंदराबाद रोड को नेशनल हाईवे बनाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसे गंगा एक्सप्रेसवे से भी जोड़ा जाएगा। इस पार्क को ईस्टर्न-वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा। परियोजना की डीपीआर की मंजूरी के लिए शुक्रवार को लखनऊ में बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता औद्योगिक विकास आयुक्त अरविंद कुमार ने की और यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह भी बैठक में शामिल हुए। बैठक में डीपीआर के सभी बिंदुओं पर चर्चा की गई। इसके बाद डीपीआर को पास कर दिया गया। अब विकासकर्ता कंपनी के चयन के लिए आरएफपी और कंसेसन एग्रीमेंट तैयार किया जाएगा। दोनों कागजात तैयार होने के लिए बाद टेंडर निकाले जाएंगे। लॉजिस्टिक एंड वेयरहाउसिंग का जीडीपी अहम योगदान है। यही कारण है कि इस पर सरकार की प्राथमिकता बढ़ी है। एमएमएलपी में 4 जोन बनाए जाएंगे। इसमें वेयरहाउसिंग, साइलो (स्टोरेज के लिए), कंटेनर यार्ड और रेल जोन शामिल है। यमुना प्राधिकरण का प्रयास है कि जल्द से जल्द टेंडर निकालकर विकासकर्ता कंपनी का चयन किया जाए। इसमें जमीन प्राधिकरण देगा और विकास कार्य चयनित कंपनी करेगी। कंपनी को 40 से 50 साल तक का लाइसेंस समय मिल सकता है। इसके अलावा अन्य शर्तें भी तय की जाएंगी।

फिल्म सिटी के टेंडर (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) को मिली स्वीकृति
यमुना प्राधिकरण के सेक्टर-21 में प्रस्तावित फिल्म सिटी को लेकर शक्रवार को लखनऊ में बैठक हुई। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में फिल्म सिटी के टेंडर (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) को पास कर दिया गया। अब इसे कैबिनेट से पास कराया जाएगा। दीवाली से वैश्विक निविदा निकालने की उम्मीद है। यमुना प्राधिकरण सेक्टर-21 में 1000 एकड़ में फिल्म सिटी प्रस्तावित है। इसके लिए पहले ग्लोबल टेंडर निकाले गए थे, लेकिन एक ही कंपनी के आने के चलते हुए पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था। दोबारा टेंडर निकालने के लिए प्रक्रिया चल रही है। लखनऊ में शुक्रवार को हुई बैठक में आरएफपी पर चर्चा हुई। आरएफपी को पास कर दिया गया। अब इसे कैबिनेट में रखा जाएगा। वहां से पास होने के बाद ग्लोबल टेंडर निकाले जाएंगे। इस बार टेंडर में कई संशोधन किए गए हैं। विकासकर्ता कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रालि एयर कार्गो के लिए अलग से एसपीवी (स्पेशल परपज व्हीकल) बनाना चाहती है। हालांकि इस प्रस्ताव को पहले प्रोजेक्ट मॉनिटिरिंग एंड इंप्लीमेंटेशन कमेटी द्वारा रद्द किया जा चुका है।

जेवर एयरपोर्ट को लेकर बैठक
जेवर एयरपोर्ट को लेकर भी शुक्रवार को लखनऊ में एक बैठक हुई। बैठक में विकासकर्ता कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रालि के अधिकारियों ने शासन के समक्ष अपनी बात रखी। कंपनी ने बताया कि वह एयर कार्गो के लिए अलग से एसपीवी बनाना चाहते हैं। इसलिए इसकी अनुमति दी जाए। शासन ने कंपनी की सारी बात सुनी है। अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।