2 चरण में विकसित होगा मेडिकल डिवाइस पार्क

ग्रेटर नोएडा। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में प्रस्तावित मेडिकल डिवाइस पार्क को 2 चरण में विकसित किया जाएगा। प्रथम चरण में 200 एकड़ क्षेत्र में और द्वितीय चरण में 150 एकड़ क्षेत्र में विकास कार्य होंगे। भारत सरकार के रसायन एवं उवर्रक मंत्रालय से भी इस प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। यमुना प्राधिकरण की सोमवार को आयोजित बोर्ड बैठक में डिवाइस पार्क के संबंध में विस्तार से विमर्श किया गया। डिवाइस पार्क से संबंधित प्रस्ताव को भी बोर्ड बैठक में मंजूरी दे दी गई है।

मेडिकल क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने और ग्रेटर नोएडा में रोजगार के अवसर बढ़ाने को लेकर यमुना प्राधिकरण द्वारा मेडिकल डिवाइस पार्क में दिलचस्पी दिखाई गई है। यमुना प्राधिकरण की योजना मेडिकल डिवाइस पार्क को चरणबद्ध तरीके से विकसित करने की है। मेडिकल डिवाइस पार्क बन जाने के बाद ग्रेटर नोएडा का यमुना प्राधिकरण क्षेत्र देश में मेडिकल डिवाइस मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित होगा। 16 राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा अपने अपने राज्यों में मेडिकल डिवाइस पार्क विकसित करने का केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था।

जिनमें से कुछ प्रस्तावों को ही स्वीकृति मिली। जिसमें यमुना प्राधिकरण का प्रस्ताव शामिल है। केंद्र सरकार ने यमुना प्राधिकरण के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति देने के बाद डीपीआर जमा कराने को कहा था। डिवाइस पार्क के लिए पहले कलाम इंस्टीट्यूट हैदराबाद से डीपीआर तैयार कराई गई थी, मगर बाद में अर्नेस्ट एंड यंग कंपनी से इसकी डीपीआर बनवाई गई है। लगभग 350 एकड़ में डिवाइस पार्क विकसित किया जाएगा। वहां बड़ी बड़ी कंपनियां मेडिकल डिवाइस और इंस्ट्रूमेंट मैन्यूफैक्चरिंग का काम करेंगी।

इससे मेडिकल उपकरण बनाने के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर बनेगा। यहां बनने वाले मेडिकल उपकरण का विदेशों में भी निर्यात होगा। मेडिकल डिवाइस पार्क योजना के जरिये उत्तर प्रदेश में 15000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यमुना प्राधिकरण के सेक्टर-28 में प्रस्तावित मेडिकल डिवाइस पार्क मैन्यूफैक्चरिंग हब बनेगा। डिवाइस पार्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो, इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के साथ-साथ लोकेशन का भी विशेष ध्यान रखा गया है।

डिवाइस पार्क दादरी ड्राइपोर्ट से भी जुड़ा रहेगा। मेडिकल डिवाइस पार्क में 0.25 एकड़, 0.50 एकड़ व 1 एकड़ के भूखंड होंगे। मेडिकल डिवाइस पार्क में उपकरण के निर्माण की लागत भी कम आयेगी। जिससे देश में मेडिकल उपकरण सस्ते मिलेंगे। मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित होने से निकट भविष्य में यहां पर उत्पादित उपकरणों को विदेशों में भी निर्यात किया जाएगा। इससे देश की इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा। एक सर्वे के अनुसार उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 46 मेडिकल कॉलेज हैं तथा 130 फार्मास्युटिकल कॉलेज हैं। मेडिकल डिवाइस पार्क में आने वाली कंपनियों को केंद्र और राज्य सरकार कई तरह की सब्सिडी देंगे। इसमें 10 वर्षों तक जीएसटी में भी छूट भी मिलेगी।