नवजोत सिंह सिद्धू के ‘बड़े भाई’ पर सियासत में उबाल

नवजोत सिंह सिद्धू आखिर चाहते क्या हैं ? बेवजह विवाद उत्पन्न कर उन्हें कैसा लाभ हांसिल होता है ? पाकिस्तान और इमरान खान के प्रति आखिरकार उनका प्रेम बार-बार क्यों उमड़ आता है ? इन सवालों के जबाव यदि सिद्धू से पूछे जाएं तो वह निश्चित रूप से गोल-मोल जबाव देकर विवाद को कायम रखने की कोशिश करेंगे। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को उन्होंने अपना बड़ा भाई बताकर एक नए विवाद को जन्म दे डाला है। सिद्धू को मालूम था कि इस प्रकार के बयान से भारत में ना सिर्फ सियासी विवाद पैदा होगा, बल्कि जन-भावनाएं भी आहत होंगी, मगर उन्होंने किसी बात का ख्याल नहीं रखा।

भारत-पाकिस्तान के संबंधों में लंबे समय से तनाव और कड़वाहट कायम है। भारत के खिलाफ पाकिस्तान की नापाक साजिशें भी किसी से छुपी नहीं हैं। इसके बाद भी यदि कोई पढ़ा-लिखा और कद्दावर राजनीतिज्ञ पाकिस्तान के प्रति अपने प्रेम का इजहार करता है तो यह सिर्फ राजनीति नहीं हो सकती। सिद्धू को भी जानना चाहिए कि देश सर्वोपरि है ना कि व्यक्तिगत संबंध। भले वह इमरान खान के अच्छे मित्र हों, मगर समय की नजाकत को ध्यान में रखकर उन्हें सार्वजनिक रूप से इस प्रकार की बयानवाजी से परहेज करना चाहिए। इमरान खान को बड़ा भाई बताने के बाद से सिद्धू न सिर्फ भाजपा के निशाने पर आ गए हैं, बल्कि खुद कांग्रेस के नेता भी उनके बयान की जमकर आलोचना कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर नवजोत सिंह सिद्धू का वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि सिद्धू का इमरान खान को बड़ा भाई बताना करोड़ों हिंदुस्तानियों के लिए चिंता का विषय है। पात्रा की बात उचित है। पाकिस्तान के प्रति भारत के आम नागरिक की सोच सिद्धू से बिल्कुल अलग है। एक तरफ सिद्धू दुश्मन राष्ट्र के पीएम को बड़ा भाई मानकर चल रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के कद्दावर नेता सलमान खुर्शीद, मणिशंकर अय्यर, राशिद अल्वी आदि हिंदुत्व को कोसकर जन-भावनाओं का भड़काने का प्रसास करते दिखाई देते हैं। वायनाड सांसद राहुल गांधी अपने इन सिपाहियों की गलती सुधारने की बजाए उनकी पैरोकारी करते दिखाई देते हैं।

भाजपा का यह मानना भी उचित है कि पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान जाएं और इमरान खान का महिमामंडन न करें, पाकिस्तान की स्तुति न करें ऐसा संभव नहीं है। अपने बयान पर घिरने के बाद सिद्धू ने पहले की तरह जिस तरीके से सफाई दी है, उससे विवाद का पटाक्षेप नहीं हो सका है। वह विवाद को कायम रखना चाहते हैं। सिद्धू ने सफाई देकर कहा है कि मुद्दों को भटकाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।.यदि बात का बतंगड़ बनाना है तो कोई भी बना सकता है। भारत और पाकिस्तान के कलाकारों की बात कर लीजिए, चाहे नुसरत फतेह अली खान हो या फिर भारत के किशोर कुमार यह सब लोग एक-दूसरे को जोड़ने वाले हैं। भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच होता है तो एक-दूसरे को गले लगाया जाता है।

अपने बचाव में सिद्धू का यह बयान तर्कसंगत नहीं माना जा सकता है। इस बीच भाजपा के बाद कांग्रेस में भी इस मुद्दे पर सिद्धू के खिलाफ आवाज बुलंद हुई है। कांग्रेस नेता और सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट कर कहा लिखा कि इमरान खान किसी का बड़ा भाई हो सकता है, मगर भारत के लिए वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और सेना के गठजोड़ की कठपुतली है। जो पंजाब में ड्रोन के जरिए हथियार और नशा भेज रहा है। इसके अलावा वह प्रतिदिन जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर आतंकवादियों को भेज रहा है। क्या हम पुंछ में हमारे सैनिकों की शहादत को इतनी जल्दी भूल गए? सांसद मनीष तिवारी का बयान अपने आप में बहुत कुछ कहता है।

इसके बाद भी यदि सिद्धू अपनी गलती को सुधारना नहीं चाहते तो कोई कर भी क्या सकता है ? नवजोत सिंह सिद्धू को यह जानना चाहिए कि राजनीति कोई खेल नहीं है। ना वह किसी कॉमेडी शो के मंच पर जाकर जनता का मनोरंजन कर रहे हैं। ताजा विवाद से इतर करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के मौके पर भी सिद्धू ने विवाद को जन्म दिया था। उन्होंने पाक सेना चीफ बाजवा को गले लगाकर बखेड़ा खड़ा कर दिया था। तब भी भाजपा ने उनके खिलाफ जमकर हमला बोला था। नवजोत सिंह सिद्धू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान राजनीति में आने से पहले क्रिकेटर रहे हैं। दोनों अपने-अपने देश के लिए खेल चुके हैं। ऐसे में दोनों में दोस्ताना संबंध होना स्वभाविक बात है, मगर इमरान खान इन दिनों भारत में आतंकवाद को बढ़ाने में व्यस्त हैं।

ऐसे में उन्हें कांग्रेस नेता का बड़ा भाई बताना बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनना तय है। सिद्धू का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब पंजाब में कुछ माह के भीतर विधान सभा चुनाव होने जा रहे हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर आरोप लगाते रहे हैं कि सिद्धू के इमरान और बाजवा से करीबी रिश्ते हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस से अलग हो चुके हैं। संभव है कि अगले विधान सभा चुनाव में वह पंजाब में भाजपा के साथ गठबंधन कर लें। पंजाब में पहले ही कांग्रेस की हालत खराब है। आपसी गुटबाजी चरम पर है। सिद्धू के कारण पार्टी में आए दिन अंतरकलह बढ़ रही है। ऐसे में सिद्धू के कारण विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की नाव यदि डूब जाए तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा। पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की बगावत का बड़ा नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।