किसानों को बरगलाने का काम कर रही कांग्रेस: वीके सिंह

सरकार की मंशा किसानों को सशक्त बनाना

किसान सम्मान निधि, पेंशन योजना, किसान क्रेडिट कार्ड व फसल बीमा की किसानों की दी सौगात

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। कृषि विधेयकों को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर है। केन्द्र सरकार पर आरोप है कि उसने किसानों से जुड़े विधेयकों को बिना उनकी सहमति के पास करा लिया। विपक्ष सरकार पर किसानों को पूंजीपतियों के हाथ की कठपुतली बनाने का भी आरोप लगा रहा है। रविवार को प्रेसवार्ता के दौरान सड़क परिवहन राज्यमंत्री, स्थानीय सांसद वीके सिंह ने सरकार का पक्ष रखने का प्रयास किया। उनका कहना था कि सरकार द्वारा जो भी कदम उठाए गए हैं। वह किसानों के हित में हैं। आरोप लगाया कि विपक्षी दल किसानों को नए कानून के नाम पर गुमराह कर रहे हैं। कांग्रेस ने किसानों के हित में कोई फैसला नहीं लिया और अब जब पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार ये फैसले ले रही है तो कांग्रेस किसानों को बरगला रही है।
सांसद वीके सिंह ने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद लगातार किसानों की हालत सुधरी है। कृषि विधेयकों से पहले भी सरकार ने किसान सम्मान निधि, पेंशन योजना, किसान क्रेडिट कार्ड व फसल बीमा जैसे कदम उठा कर किसानों को मजबूत बनाया है। कृषि विधेयक भी स्वामीरंगनाथन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही तैयार हुए हैं। विपक्षियों पर निशाना साधते हुए वीके सिंह बोले कि किसानों को बरगलाया जा रहा है। जो विरोध दिख रहा है वो किसान नहीं कर रहा। उसे विपक्ष कर रहा है। इस विरोध के पीछे की वजह उन्होंने मंडी टैक्स को बताया। उन्होंने आकडों के माध्यम से तस्वीर साफ करने की कोशिश की। सांसद ने बताया कि मंडी कानून 1939 में आया था, जिसे अंग्रेज लाए थे। आज देश में 6946 मंडियां हैं। जो सलाना 8 हजार 691 करोड़ टैक्स वसूलती हैं। इस टैक्स का 90 फीसदी हिस्सा एफसीआई व सरकार देती है। हर राज्य में मंडी टैक्स अलग होता है। पंजाब में सबसे ज्यादा 8 फीसदी है, जबकि गुजरात में सबसे कम 0.3 प्रतिशत। इससे साफ होता है कि जहां टैक्स ज्यादा है, वहां विरोध ज्यादा। इसलिए यह विरोध किसानों का नहीं उन राज्य सरकारों का है। जिनका खजाना कम होने का खतरा है। यूपीए और एनडीए के बीच किसानों की आय का अंतर बताने के लिए वीके सिंह ने आंकड़े सामने रखे। उन्होंने बीते 1 दशक के दौरान आए अंतर को दिखाने की कोशिश की। केन्द्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि यूपीए-2 के शासनकाल में 2009-14 में 2494 लाख मैट्रिक टन धान हुआ, जिसके एवज में किसानों को 2 लाख 88 हजार 770 करोड़ का भुगतान हुआ। वहीं मोदी सरकार के पहले शासनकाल में 2014-19 के बीच 2740 लाख मैट्रिक टन धान हुआ। जिसके एवज में 4 लाख 34 हजार 580 करोड़ का भुगतान हुआ। यानि मोदी सरकार के शासनकाल में उत्पादन के अलावा किसानों को भुगतान भी ज्यादा मिला। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी आकडें दिए। जिसमें उन्होंने बताया कि 2015-16 में चावल का एमएसपी 1410 रूपए था जो जब 1868 रूपए हो गया है। वहीं सोयाबीन का एमएसपी जो उस वक्त 2600 था आज बढकर 3880 हो गया है। अकाली दल द्वारा एनडीए छोडने के सवाल पर वीके सिंह ने जवाब दिया कि अकाली दल किसानों के विरोध नहीं बल्कि अपने अस्तित्व को बरकार रखने के लिए एनडीए का कुनबा छोड़कर गई। उन्होंने विपक्ष द्वारा लगाए सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार की मंशा किसानों को सशक्त बनाना है। नए विधेयकों से किसानों के पास विकल्प होंगे। वह केवल मंडी के सहारे नहीं बैठेगा। उन्होंने मधुमक्खी पालन जैसे अन्य विकल्पों की तरफ भी लाने की कोशिश हो रही है। सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यूपीए सरकार में 2009-10 में 12 हजार करोड़ का कृषि बजट 10 गुना बढ़ा दिया गया है। प्रेसवार्ता के दौरान मेयर आशा शर्मा, साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा, मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी व भाजपा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा समेत अन्य भाजपाई मौजूद रहे।