मशाल जुलुस के बाद विद्युत कर्मियों ने किया कार्य बहिस्कार

विद्युत निगम के निजीकरण का विरोध, 5 अक्टूबर से सात दिवसीय कार्य बहिस्कार

उदय भूमि
गाजियाबाद। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के विघटन और निजीकरण के सरकार के प्रस्ताव का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। शंतिपूर्ण प्रदर्शन, मशाल जुलुस के बाद मंगलवार को विद्युतकर्मियों ने कार्य बहिस्कार कर विरोध जाहिर किया। मुख्य अभियंता (वितरण) कार्यालय आरडीसी में विद्युत कर्मचारी संघर्ष संघर्ष समिति गाजियाबाद संयोजक अवधेश कुमार और सह-संयोजक अनिल चौरसिया ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में देश के 15 लाख बिजली कर्मचारी 5 अक्टूबर को विरोध प्रदर्शन करेंगे।

राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एंड एंड इंजिनियर्स (एनसीसीओईईई) अंतर्गत देश के सभी प्रान्तों के 15 लाख बिजली कर्मी भी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में चल रहे संघर्ष में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के साथ आंदोलन में साथ आ गई हैं। एनसीसीओईईई की 27 सितंबर को हुई बैठक में लिए गए निर्णय लिया गया है कि 5 अक्टूबर को जब उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों का पूरे दिन का कार्य बहिष्कार प्रारंभ होगा। तब उनके समर्थन में देश के सभी प्रांतों के 15 लाख बिजली कर्मी विरोध प्रदर्शन व विरोध सभायें करेंगे और उप्र के साथ एकजुटता का परिचय देंगे। 5 अक्टूबर से बिजली कर्मी पूरे दिन का कार्य बहिष्कार करेंगे। उन्होने बताया वर्ष 2000 में बिजली बोर्ड के विघटन के समय मात्र 77 करोड़ रुपये का सालाना घाटा था, जो अब 95000 करोड़ रूपये से अधिक हो गया है। इसके बावजूद निगमीकरण पर पुनर्विचार करने के बजाए प्रबंधन निजीकरण का प्रस्ताव देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडऩा चाहता है जिससे बिजली कर्मियों में भारी रोष है। उन्होने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किसी भी प्रकार से प्रदेश व आम जनता के हित में नहीं है। निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है जबकि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम बिना भेदभाव के किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति कर रहा है। निजी कंपनी लागत से कम मूल्य पर किसी उपभोक्ता को बिजली नहीं देगी। अभी किसानों, गरीबी रेखा के नीचे और 500 यूनिट प्रति माह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को पॉवर कार्पोरेशन घाटा उठाकर बिजली देता है जिसके चलते इन उपभोक्ताओं को लागत से कम मूल्य पर बिजली मिल रही है। अब निजीकरण के बाद स्वाभाविक तौर पर इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी। इस दौरान हिर्देश गोस्वामी, आलोक त्रिपाठी,भुवनेश शर्मा,रामनारायण, केके सोलंकी, योगेंद्र लाखा, दिलनवाज, जय भगवान, शेर सिंह, धीरज, सुनील, मंथा राम शर्मा,उमेश द्विवेदी,आशीष गुप्ता समेत सैकड़ो की संख्या में विद्युत कर्मियों ने एकत्र होकर कार्य बहिस्कार किया।

निजीकरण के खिलाफ मुख्य अभियंता पर सत्याग्रह

गाजियाबाद। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. वाराणसी के निजीकरण के प्रस्ताव का विरोध जारी है। विद्युत मजदूर संगठन उत्तर प्रदेश और विद्युत संविदा मजदूर संगठन के नेतृत्व में निरंतर आंदोलन चल रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को विद्युत कर्मचारियों ने राजनगर मुख्य अभियंता मुख्यालय पर सत्याग्रह कर सरकार की नीतियों के खिलाफ रोष जाहिर किया। महामंत्री आशीष कुमार ने बताया सत्याग्रह के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया। उन्होने कहा कि कोविड-19 जैसी महामारी के दौर में देश की निजी कंंपनियों के कर्मचारी वर्क फ्राम होम हैं।

घरों से बाहर निकलने में पसीना छोड़ रहे हैं। लेकिन राज्य विद्युत परिषद के कर्मचारी अधिकारी अपनी जान की परवाह न करते हुए उपभोक्ताओं की बिजली आपूर्ति, समस्याओं का समाधान पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को खुद फैसला लेना होगा कि बेहतर कौन? सरकार की योजनाओं को मूर्त रूप देने में राज्य विद्युत परिषद कार्य कर रहा है। निजीकरण के बाद बिजली महंगी हो जाएगी। चेतायाकि सरकार के निजीकरण के प्रयास को किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। मध्यांचल लखनऊ में सत्याग्रह का नेतृत्व कारपोरेट अध्यक्ष जलीलुर्रहमान, पूर्वांचल में सत्याग्रह का नेतृत्व इंद्रेश राय पूर्वांचल अध्यक्ष, पश्चिमांचल में सत्याग्रह का नेतृत्व दीपक कश्यप पश्चिमांचल अध्यक्ष, दक्षिणांचल में मुख्यालय पर सत्याग्रह का नेतृत्व मोहन बाबू आर्या ने किया। गाजियाबाद में जिला मुख्यालय पर सत्याग्रह के दौरान विद्युत कर्मियों ने सरकार से निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की पुरजोर मांग की। इस मौके पर जितेंद्र सिंह राणा, शमशाद अली, साबिर अली, फईम उल्वारी, गोविंद ओझा, संजय कुमार, शिवकुमार, देवेंद्र सिंघल, बृजगोपाल, आनंद पाल, हरिश, योगेंद्र, राहुल, रतन लाल आदि पदाधिकारी मौजूद रहे।