चंद्रशेखर रावण ने अखिलेश की हवा निकाली, दलितों के हित की अखिलेश ने नहीं मानी बात

उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव की सरगर्मी निरंतर जोर पकड़ रही है। सत्ता में काबिज होने के लिए सभी राजनीतिक दल एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं। ऐसे में विभिन्न दलों में सेंधमारी और भगदड़ की स्थिति कायम है। यूपी विधान सभा चुनाव में भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना जाहिर की जा रही है। भाजपा में सेंधमारी कर इतरा रही सपा को एकाएक जोर का धक्का लगा है। भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण ने सत्ता पाने के लिए उतावली सपा को आईना दिखा दिया है।

चंद्रशेखर रावण ने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक तरह से चंद्रशेखर ने हवा में उड़ रहे अखिलेश यादव की हवा निकाल दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अखिलेश ने दलितों के हित की बात मानने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। सपा प्रमुख पर हमला करने के साथ उन्होंने बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती की प्रशंसा की। बसपा सुप्रीमो को जन्मदिन की बधाई देकर चंद्रशेखर ने एक तीर से कई निशाने साधने का काम किया है। दरअसल भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन पर पूर्ण विराम लगा दिया है।

चंद्रशेखर ने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इस दौरान आरक्षण सहित सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया था। इस मुलाकात का कोई परिणाम न निकलने पर चंद्रशेखर रावण का गुस्सा फूटना भी जायज था। चंद्रशेखर का कहना है कि अखिलेश यादव ने मुझे और बहुजन समाज को अपमानित किया। वह दलित विरोधी हैं। उन्होंने साफ कर दिया कि हम समाजवादी के साथ गठबंधन में नहीं जा रहे हैं। रावण की पीड़ा यही नहीं रूकी। उन्होंने कहा है कि हम जेल गए, मेरी लड़ाई विधायक बनने की नहीं है, मुझे सामाजिक न्याय चाहिए।

पिछले 5 साल में समाजवादी पार्टी ने दलित की हत्या और उनके शोषण पर आवाज नहीं उठाई। भीम आर्मी चीफ के इस बयान और आक्रामक रवैये से सपा खेमे में भी खलबली मच गई है। दरअसल स्वामी प्रयास मौर्य ने भाजपा को छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है। मौर्य ने सपा ज्वाइन करने के बाद भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने ना सिर्फ भाजपा को बल्कि बसपा को भी कोसा। अति आत्मविश्वास से भरे स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह तक कह डाला कि उन्होंने जिस दल का साथ छोड़ा वह बर्बाद हो गया।

मौर्य ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का हवाला देकर अपनी बात को दमदार साबित करने की कोशिश की। भीम आर्मी चीफ के बयान के बाद सपा को जहां धक्का लगा है, वहीं भाजपा को इसका कहीं न कहीं चुनावी फायदा मिलने की उम्मीद है। चुनाव पूर्व कराए गए विभिन्न सर्वे भी भाजपा के सत्ता में लौटने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में सत्ता पर काबिज होने के लिए सपा भाजपा विरोधियों को एकजुट करने की मुहिम में जुटी है। सपा ने अब तक राष्ट्रीय लोक दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, अपना दल (कमेरा देवी) और महान दल के साथ गठबंधन किया है।

चंद्रशेखर आजाद की पार्टी भीम आर्मी से भी सपा की बातचीत चल रही थी, जहां सपा को निराशा हाथ लगी है। भीम आर्मी चीफ को भाजपा विरोधी माना जाता है। भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह भाजपा को हराने के लिए किसी भी दल के साथ गठबंधन कर सकते हैं। इसके चलते उन्होंने सपा मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। उत्तर प्रदेश में करीब 22 प्रतिशत दलित आबादी रहती है। ये समुदाय पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर सीधा अपना प्रभाव रखता है।

चंद्रशेखर भी पश्चिमी यूपी के सहारनपुर से आते हैं। ऐसे में अगर वह सपा के साथ गठजोड़ नहीं बनाते तो यह भाजपा के लिए फायदे का सौदा नजर आता है। बसपा को भी इससे थोड़ी राहत महसूस होगी। चंद्रशेखर रावण का उभार पिछले दो-तीन साल में दलित नेता के तौर पर हुआ है। उनके साथ दलित युवाओं की अच्छी खासी भीड़ भी देखी जा सकती है। भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण ने एक कार्यक्रम में खुद को दलित नेता कहे जाने पर भी आपत्ति जाहिर की थी।

उन्होंने कहा था कि वह दलितों के नहीं बल्कि हर गरीब के नेता हैं। उन्होंने कहा था कि हमें नेता नहीं कहें, क्योंकि नेता तो धोखा देते हैं। बकौल चंद्रशेखर चुनावों से पहले बड़े-बड़े ऐलान किए जाते हैं, मगर चुनाव के बाद बताते हैं कि वह तो एक जुमला था। अलबत्ता चंद्रशेखर रावण की सपा के साथ दूरियां बढ़ने से कहीं न कहीं भाजपा को फायदा मिलने मिलने की उम्मीद है। यूपी विधान सभा चुनाव में बसपा की सक्रियता बेहद कम हैं। ऐसे में दलित वोट बैंक को साधने की सपा की रणनीति पर प्रतिकूल असर पड़ा है। चंद्रशेखर रावण ने सपा को टेंशन देकर एक तरह से भाजपा को सुकून प्रदान किया है।