ओमिक्रॉन : संयम और समझदारी से टल सकता है खतरा

लेखक:- प्रदीप गुप्ता
(समाजसेवी एवं कारोबारी हैं। व्यापारी एकता समिति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और राजनीतिक एवं सामाजिक विषयों पर बेबाकी से राय रखते हैं।

कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते खतरे के बीच दिल्ली-एनसीआर में कोरोना में नए केस बढ़ते जा रहे हैं। पिछले 24 घंटे में दिल्ली में 249 नए मरीज मिले हैं। जबकि एक दिन पहले 180 नए मामले सामने आए थे। पिछले 24 घंटे में कोरोना से एक मरीज की मौत हुई है। दिल्ली में एक्टिव केस की संख्या 934 हो गई है। दिल्ली-एनसीआर में कोरोना के केस ऐसे वक्त में बढ़े रहे हैं, जब बाजारों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर बिना मास्क के नागरिकों की भारी भीड़ को देखा जा रहा है। इसे लेकर हाईकोर्ट ने भी चिंता जताई है।

आपदा प्रबंधन एजेंसी ने नए साल पर घर से बाहर घूमने-फिरने के लिए भीड़ होने की संभावना को देखकर कई तरह की पाबंदियां भी लगाई हैं। दिल्ली में कोविड केस बढ़ना सभी के लिए चिंता की बात है। हम सब किसी न किसी काम से रोजाना दिल्ली आते-जाते हैं। दिल्ली में ओमिक्रॉन के केस भी बढ़ रहे हैं। लिहाजा सभी व्यापारियों को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। कई एक्सपर्ट्स तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं। नया साल करीब है। ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। सभी व्यापारियों को कोरोना वायरस से बचाव के नियमों का सख़्ती से पालन करना चाहिए।

आप स्वयं मास्क पहनें और सभी स्टाफ को मास्क पहनना अनिवार्य करें। सैनिटाइजर रखें, समय-समय पर अपने हाथ को सैनिटाइज करते रहें। जो ग्राहक आपके दुकान या ऑफिस में आ रहे हैं अगर वह मास्क नहीं पहने हैं तो उन्हें भी मास्क पहनने के लिए बोलें और उनका हाथ भी सैनिटाइज कराएं। अगले कुछ दिन बहुत चुनौती भरे हैं। अगर हम सब संयम और समझदारी से काम लेंगे तो आने वाले खतरे को टाला जा सकता है।ओमिक्रॉन की घातकता को लेकर जिस तरह की खबरें सामने आ रही हैं, उससे डर और बेचैनी भी बढ़ रही है। भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में एक बार फिर कोरोना संक्रमण को लेकर घबराहट साफ देखने को मिल रही है।

दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन का पहला मामला 24 नवंबर को प्रकाश में आया था। इसके बाद से वहां इसका प्रकोप तेजी से बढ़ता चला गया। इस बीच डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि ओमिक्रोन को लेकर किसी को भी कुछ नया करने की जरूरत नहीं है। कोरोना से निपटने के हथियार पहले से मौजूद हैं। सिर्फ उचि समय पर सही तरीके से उनका इस्तेमाल होना जरूरी है। कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमिक्रॉन के खतरे के बीच कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर भी अच्छी खबर सामने आई है।

खबर है कि पूरी तरह वैक्सीनेट (दोनों डोज लगा चुके) नागरिकों में कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ कोविशील्ड वैक्सीन की प्रभावशीलता 63 फीसदी और मध्यम से गंभीर बीमारी के खिलाफ यह 81 फीसदी पाई गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक ओमिक्रॉन वेरिएंट का ट्रांसमिशन रेट पिछले सभी वेरिएंट से काफी अधिक है। यानी यह वेरिएंट ज्यादा तेज गति से किसी भी नागरिक को संक्रमित कर सकता है। भारत में पहली लहर अल्फा वेरिएंट के कारण आई थी। अल्फा वेरिएंट में एक व्यक्ति दो से तीन नागरिकों को संक्रमित कर सकता था।

जबकि दूसरी लहर डेल्टा वेरिएंट के कारण आई थी। डेल्टा वेरिएंट का ट्रांसमिशन रेट 6.5 था। मसलन यह पहली लहर से तीन गुना तेज था। अब अनुमानों के अनुसार नए ओमिक्रॉन वेरिएंट का ट्रांसमिशन रेट 12 से 18 के बीच है। यानी यह डेल्टा से करीब तीन गुना ज्यादा तेजी से फैलने की क्षमता रखता है। ओमिक्रॉन से संक्रमित होने वाले पूरी तरह से वैक्सीनेट नागरिकों में इसके गंभीर लक्षण देखने को नहीं मिले हैं। ओमिक्रॉन प्रभावित देशों में ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ रही है।

ओमिक्रॉन के संक्रमण का खतरा शरीर की क्षमता पर भी निर्भर करता है। यानी एक स्वस्थ फेफड़े, मजबूत मासपेशी और पूरी तरह से स्वस्थ मनुष्य पर इसका प्रभाव कम दिखाई देगा। कमजोर इम्यूनिटी, डायबिटीज, हार्ट डिसीज, कैंसर या आर्थराइटिस जैसी बीमारियों के शिकार मरीजों को इससे ज्यादा खतरा है। वृद्धों की इम्यूनिटी भी धीरे-धीरे कम हो जाती है, इसलिए उन्हें भी संभल कर रहने की जरूरत है। शोध बताता है कि ओमिक्रॉन बिल्कुल सामान्य सर्दी जुकाम की तरह दिखाई देता है।

इसलिए इसकी पहचान करना और ज्यादा मुश्किल है। शोधकर्ताओं का कहना है कि संभव है कि वायरस ने सामान्य जुकाम वाले वायरस से आनुवंशिक सामग्री ली हो और अपना कम से कम एक म्यूटेशन किया हो। इससे पहले भी कई शोध में कहा गया है कि ओमिक्रॉन संक्रमण के लक्षण बाकी वैरिएंट्स से अलग नजर आ रहे है। इसके लक्षण बेहद गंभीर नहीं है, इसलिए संक्रमित व्यक्तियों को इसका पता लगने में और देरी हो सकती है। ओमिक्रॉन का संक्रमण संभवत: सामान्य जुकाम की तरह नजर आता है।

ओमिक्रॉन के नए लक्षण इस बात का संकेत हैं कि ये वायरस के रिकॉम्बिनेशन का नतीजा हो सकता है। इस प्रक्रिया में दो अलग-अलग वायरस एक ही होस्ट सेल में मिलते हैं और अपनी कॉपियां (संख्या बढ़ाना) बनाते हैं। इस दौरान वायरस की नई कॉपी बनती हैं। इस नए वायरस में दोनों पैरेंट वायरस के आनुवांशिक गुण मौजूद होते हैं। दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन का पहला मामला मिला था। वहां के वैज्ञानिकों ने शुरुआत में इस बात के संकेत दिए थे कि ओमिक्रॉन संभवत: वैसे मनुष्य के शरीर में पैदा हुआ, जिसका इम्यून सिस्टम एचआईवी या किसी प्रतिरक्षात्मक बीमारी से संक्रमित था।