उधर सोमालिया में आतंकी हमला, इधर भारत को दहलाने की धमकी

आतंकवाद ने समूची दुनिया का सिरदर्द बढ़ा रखा है। मानवता के दुश्मन आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए भरसक कोशिशें चल रही हैं, मगर मर्ज दूर होने का नाम नहीं ले रहा है। विभिन्न देशों को आतंकवाद की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। ताजा घटनाक्रम सोमालिया में सामने आया है। सोमालिया की राजधानी मोगादिशु में भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई की तर्ज पर आतंकी हमला किया गया है। मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले को भला कौन भूल सकता है। सोमालिया की राजधानी मोगादिशु में आतंकियों ने हयात होटल पर हमला कर देश को दहला दिया है। आतंकियों ने 2 कार बम के जरिए होटल हयात को निशाना बनाया था। इसके बाद होटल में घुसकर अंधाधुंध फायरिंग की गई।

इसे इत्तेफाक कहें अथवा कुछ और शुक्रवार को सोमालिया में 26/11 की तरह आतंकी हमला किया जाता है। जबकि शनिवार को भारत को 26/11 की तर्ज पर पुन: आतंकी हमले की धमकी मिलती है। इन दोनों घटनाओं में बेशक अभी कोई कनेक्शन नहीं मिला है, मगर सुरक्षा एजेंसियों के कान जरूर खड़े हो गए हैं। सोमालिया में आतंकी हमले में 15 से ज्यादा नागरिकों की मौत होने की खबर है। इस हमले की जिम्मेदारी कुख्यात आतंकी संगठन अल-कायदा से जुड़े अल-शबाब ने ली है। अल-शबाब भी कुख्यात आतंकी संगठन माना जाता है। इसका मकसद सोमालिया सरकार को जड़ से उखाड़ना है। 2017 में सोमालिया सरकार सत्ता में आई थी।

इसके बाद से यह आतंकी संगठन सरकार के खिलाफ मुखर है। जानकार बताते हैं कि अल-शबाब 2006 में अस्तित्व में आया था। यह संगठन सऊदी अरब के वहाबी इस्लाम को मानता है। सोमालिया का मोगादिशु शहर यूनियन ऑफ इस्लामिक कोर्ट्स के कब्जे में था, जो कि शरिया अदालतों का एक संगठन था। इसका मुखिया शरीफ शेख अहमद था। 2006 में इथियोपिया की सेना ने इस संगठन को पराजित कर दिया था। इसके बाद अल-शबाब अस्तित्व में आ गया। अल-शबाब यूनियन आॅफ इस्लामिक कोर्ट्स की ही एक चरमपंथी इकाई है। सोमालिया में आतंकी हमले की विभिन्न देशों ने निंदा की है। सोमालिया की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है।

लंबे समय तक दर्द देगा यह जख्म
वहां सरकार को आतंकी संगठन के अलावा कुख्यात अपराधियों एवं तस्करों से भी मोर्चा लेना पड़ रहा है। मोगादिशु में सुरक्षा बलों ने हयात होटल को आतंकियों के कब्जे से भले ही मुक्त करा लिया है, मगर यह जख्म भरने के बाद भी लंबे समय तक देशवासियों को दर्द देता रहेगा। उधर, मुंबई पुलिस ट्रैफिक कंट्रोल को शनिवार को पाकिस्तानी नंबर से धमकी भरा संदेश मिला। संदेश में कहा गया कि मुंबई को पुन: 26/11 जैसे आतंकी हमलों के जरिए दहला दिया जाएगा। व्हाट्सएप मैसेज के माध्यम से यह धमकी दी गई है। मैसेज में यह भी दावा किया गया है कि अगला हमला भारी हथियारों से लैस 10 पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किया जाएगा।

आतंकवाद की समस्या से ग्रस्त भारत
यह हमला मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों की यादें ताजा कर देगा। मैसेज में चेतावनी दी गई है कि यदि पुलिस ने लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश की तो मुंबई में हमला हो जाएगा। भारत में 6 आतंकी इस योजना को अंजाम देंगे। मुंबई में 26 नवंबर 2008 में आतंकी हमला किया गया था। आतंकियों ने ताज होटल में घुसकर फायरिंग और ब्लास्ट किए थे। इस हमले में 9 हमलावरों सहित 180 नागरिकों की मौत हो गई थी। आतंकवाद की समस्या से भारत काफी प्रभावित रहा है। जम्मू-कश्मीर में आज भी सुरक्षा बलों को दिन-रात आतंकियों से लोहा लेना पड़ रहा है। दिल्ली, मुंबई, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब इत्यादि राज्यों ने आतंकवाद का दंश सहन किया है।

बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद आई अक्ल
पठानकोर्ट एयरबेस पर आतंकी हमला हो या कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा जवानों को निशाना बनाए जाने की घटना, भारत में इस प्रकार की घटनाओं के पीछे पाकिस्तान का हाथ रहा है। पुलवामा में सुरक्षा जवानों की शहादत के बाद भारत ने पाकिस्तान को कड़ा सबक भी सिखाया था। भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर आतंकी बेस को नेस्तनाबूद कर दिया था। भारत-पाक बॉर्डर पर भी अब पहले जैसे हालात नहीं हैं। दरअसल मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से आतंकवाद से निपटने के लिए प्रभावी योजना पर काम किया गया है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से वहां हालात में सुधार आया है। कश्मीर में अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसे जाने के साथ-साथ पत्थरबाजों की अक्ल भी ठिकाने आ चुकी है।

आतंकियों को रास नहीं आती शांति
कश्मीर की यह शांति ना पाकिस्तान को और न घाटी में सक्रिय उसके गुर्गों को रास आ रही है तभी तो आतंकी जब-तबकोई न कोई देशविरोधी हरकत करने को आतुर रहते हैं। पाकिस्तान में पिछले दिनों सत्ता परिवर्तन देखने को मिला था। प्रधानमंत्री इमरान खान के सत्ता से बाहर होने के बाद पूर्व पीएम नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ अब पाकिस्तान की सत्ता को संभाल रहे हैं। शहबाज शरीफ का रूख भारत को लेकर उदारवादी दिखाई दे रहा है। वह दोनों देशों के बीच शांति के पक्षधर हैं।

भारत को सतर्क रहने की जरूरत
हालाकि पाकिस्तान के इतिहास को देखकर भारत कतई मौजूदा पीएम पर आंखें मूंद पर भरोसा नहीं कर सकता है। चूंकि पाक परस्त आतंकवाद की बात उठने पर वहां के हुक्मरान चुप्पी साध जाते हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद पाक के अमेरिका के साथ भी रिश्ते बेहतर होते नजर आ रहे हैं। अमेरिका ने एक बार फिर पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने की घोषणा कर दी है। इन सब चीजों को देखकर भारत को पाक की तरफ हाथ बढ़ाने से पहले गंभीरता से विचार-विमर्श करने की जरूरत है। पड़ोसी मूल्क कभी चीन तो कभी अमेरिका का पिछलग्गू बनता रहा है। तालिबान को भारत के खिलाफ खड़ा करने की मुहिम में वह सफल नहीं हो पाया।