महंगाई से बिगड़ेगी आम आदमी की आर्थिक सेहत

लेखक:- प्रदीप गुप्ता
(समाजसेवी एवं कारोबारी हैं। व्यापारी एकता समिति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और राजनीतिक एवं सामाजिक विषयों पर बेबाकी से राय रखते हैं।

बेतहाशा महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को एक और झटका लगा है। मदर डेयरी, अमूल समेत दूध उत्पादक सभी कंपनियों ने अपने सभी तरह के दूध की कीमतों में 2 रुपए प्रति लीटर का इजाफा कर दिया है। दरअसल कुछ दिनों पहले चंडीगढ़ में संपन्न हुए जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक में दूध समेत सभी डेयरी प्रोडक्टस पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला किया गया था। अब उस फैसले का असर दिख रहा है। जब दूध के दाम में बढ़ोतरी के साथ-साथ अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स की कीमतों में इजाफा हो चुका है। इधर कुछ ही दिनों पहले रिजर्व बैंक ने ग्लोबल महंगाई का हवाला देकर रेपो रेट को 0.50 फीसदी बढ़ाने का ऐलान किया।

रेपो रेट अब 4.90 से बढ़कर 5.40 फीसदी पर पहुंच गया है। रेपो रेट में बढ़ोतरी का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ता है। रेपो रेट में बढ़ोतरी का मतलब साफ है कि आपकी लोन की किस्तों की रकम बढ़ जाएगी। इससे होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की किस्त में भी इजाफा होगा। अगर आपका होम लोन 30 लाख रुपये का है और अवधि 20 साल की है तो आपकी किस्त 24,168 रुपये से बढ़कर 25,093 रुपये पर पहुंच जाएगी।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक में किए गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ”एमपीसी ने आम सहमति से रेपो दर 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।” उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है। दास ने कहा, ” मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी फैसला किया है।” रिजर्व बैंक ने सामान्य मानसून और कच्चे तेल का दाम 105 डॉलर प्रति बैरल पर रहने की संभावना के आधार पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा।

महंगाई को काबू में करने का हवाला देकर आरबीआई का रेपो रेट में बढ़ोतरी करने का यह फैसला कोई नया नहीं है। इससे पहले भी महंगाई को काबू करने का हवाला देकर आरबीआई रेपो रेट में इजाफा कर चुका है। साफ है कि आरबीआई के इस फैसले से अर्थव्यवस्था की सेहत में सुधार कब होगा ये तो तय नहीं है, लेकिन देश के आम आदमी की आर्थिक सेहत बिगड़नी तो तय है। ऐसे में सरकार को अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ-साथ लोगों की माली हालत सुधारने के लिए भी फौरन कदम उठाने चाहिए।